दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भ्रष्टाचार के मामले में बेहद ही बुरे फंसे हैं। उन्हें अभी राहत मिलती नहीं दिख रही। इस बीच ईडी के मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका एक बार फिर से खारिज हो गई है।
जमानत पर सुनवाई के बाद सिसोदिया के खिलाफ दिल्ली आबकारी नीति मामले में ईडी मामले के साथ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में राउज एवेन्यू कोर्ट में विशेष सीबीआई न्यायाधीश एमके नागपाल ने 28 अप्रैल को सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। वहीं इससे पहले सीबीआई मामले में 31 मार्च को जमानत खारिज कर दी गई और वर्तमान में दिल्ली उच्च न्यायालय जमानत पर सुनवाई कर रहा है।
ईडी के अनुसार, सिसोदिया और आप के अन्य नेताओं ने विशेष डीलरों के पक्ष में आबकारी नीति में संशोधन किया। आप नेता को बदले में इन व्यापारियों से भुगतान प्राप्त हुआ। हालांकि, सिसोदिया का बचाव कर रही टीम ने जोर देकर कहा है कि अधिकारियों द्वारा उनके साथ कोई पैसा नहीं जोड़ा गया है।
सिसोदिया के खिलाफ मामला
सिसोदिया के दिल्ली आबकारी नीति में शामिल होने के मामले में यह दावा किया गया था कि नीति के लाभ मार्जिन को इस तरह से बदल दिया गया था कि कुछ व्यापारियों का पक्ष लिया गया था, और परिवर्तनों के बदले में रिश्वत एकत्र की गई थी। दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने दिल्ली के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में सीबीआई जांच का आग्रह किया था और ईडी और सीबीआई ने संदिग्ध धोखाधड़ी के संबंध में मामले दर्ज किए। निष्कर्षों के अनुसार सिसोदिया ने कानूनी आवश्यकताओं का उल्लंघन किया और एक ऐसी नीति की जानकारी दी जिसके गंभीर वित्तीय प्रभाव थे। सीबीआई की चार्जशीट में उनका नाम नहीं होने के बावजूद सिसोदिया और कुछ अन्य लोगों की जांच जारी थी। इस बात पर जोर देते हुए कि सिसोदिया निर्दोष हैं, आप ने आरोपों का खंडन किया। सिसोदिया का मानना है कि नीति और उसमें किए गए समायोजन को एलजी ने स्वीकार कर लिया था और सीबीआई अब एक निर्वाचित प्रशासन के नीतिगत विकल्पों का अनुसरण कर रही है।
गौरतलब है कि कथित शराब घोटाले के इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। तब से ही जेल में बंद हैं। सिसोदिया से जेल में ही ईडी ने भी पूछताछ की थी और इसके बाद 9 मार्च को ईडी के द्वारा इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दिल्ली सरकार द्वारा 17 नवंबर 2021 को ये नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी, जिसने सिसोदिया को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। एलजी की सिफारिश के बाद CBI ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज कर इस मामले में जांच शुरू की थी। केस में मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया गया था।