जी-20 जैसे विशाल समूह की कमान इस साल भारत के हाथों में है। भारत जी-20 की अध्यक्षता संभाल रहा है। इसी क्रम में आज यानी एक मार्च से नई दिल्ली में जी20 देशों के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक शुरू हो रही है। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए विदेशी मेहमान दिल्ली पहुंच रहे हैं। मंगलवार देर रात रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव दिल्ली पहुंचे। साथ ही अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, फ्रांस की विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना भी बैठक में हिस्सा लेंगे। लावरोव के अलावा संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (UN DSA) के अंडर जनरल सेक्रेटरी ली जुन्हुआ भी बैठक में भाग लेने के लिए भारत पहुंच चुके हैं। वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार चीन के नव नियुक्त विदेश मंत्री चिन गांग 2 मार्च को जी-20 समूह बैठक में हिस्सा लेंगे। वहीं जापान के विदेश मंत्री इस बैठक में शामिल नहीं होंगे।
जी-20 की अध्यक्षता
ध्यान देने योग्य है कि भारत के हाथों में जी-20 की अध्यक्षता ऐसे समय में आई है, जब रूस और यूक्रेन के बीच जंग थमने का नाम नहीं ले रहे। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुए एक साल से भी ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन अब तक शांति स्थापित नहीं हो पाई। इस युद्ध के दौरान कई देश भारत की भूमिका को काफी अहम मानते हैं। इनके लिए युद्ध में भारत का रूख भी काफी मायने रखता है। माना जा रहा है कि रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव अपने इस दौरे के दौरान बुधवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात कर द्विपक्षीय मीटिंग भी कर सकते हैं, जिस दौरान दोनों के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर चर्चा संभव है।
40 देशों के प्रतिनिधि और संगठन ले सकते हैं भाग
इस बैठक में कुल मिलाकर 40 देशों के प्रतिनिधि और संगठन भाग लेने की उम्मीदें है। बैठक दो सत्रों में आयोजित की जाएगी, जिसमें पहला सत्र बहुपक्षवाद को मजबूत करने और सुधारों की आवश्यकता, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा और विकास सहयोग के विषयों पर केंद्रित होगा। वहीं दूसरे सत्र में आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होने की संभावनाएं है। इससे पहले बेंगलुरु में पिछले हफ्ते जी20 की एक बैठक आयोजित हुई थी। इस बैठक में यूक्रेन मुद्दे पर असहमति के कारण कोई संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका था। संयुक्त बयान को अंतिम रूप देते समय चीन ने इस पर आपत्ति जताई और रूसी हमले की निंदा करने से इनकार कर दिया। चीन ने इस साझा बयान के उस भाग पर आपत्ति जताई थी, जिसमें रूस के हमले की कड़े शब्दों में निंदा की गई थी। रूस ने भी इस बयान का विरोध किया था। इसके बाद बयान जारी नहीं हो सका था।