Neena Gupta: बॉलीवुड इंडस्ट्री की जानी मानी एकट्रेस नीना गुप्ता आज के समय में किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। नीना ने अपनी एक्टिंग के दम पर इंडस्ट्री में अपनी खास जगह बनाई हैं। वहीं इन दिनों एक्ट्रेस सुर्खियों में छाई हुई हैं। दरअसल हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान नीना ने ‘नारीवाद’ को फालतू मुद्दा बताया था, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना की जा रही है।
सोशल मीडिया पर बढ़ते विवाद को देखते हुए नीना ने चुप्पी तोड़ी है। अभिनेत्री ने कहा कि विवाद पैदा करने के लिए इंटरव्यू के इस हिस्से को इस्तेमाल किया गया है।
‘फालतू नारीवाद’ बयान पर नीना गुप्ता ने तोड़ी चुप्पी
आपको बता दें कि एक इंटरव्यू के दौरान नीना गुप्ता ने ‘फालतू नारीवाद’ बयान पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि इंटरव्यू के उस हिस्से का इस्तेमाल सिर्फ प्रमोशन के लिए किया गया है। अभिनेत्री ने कहा, ‘विवाद पैदा करने के लिए यह सब किया जा रहा है। इंटरव्यू के फालतू नारीवाद वाले हिस्से को प्रमोशन के लिए इस्तेमाल कर सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
इसके बाद से ही लोग आपस में लड़ रहे हैं। एक व्यक्ति मेरा समर्थन कर रहा है, तो वहीं दूसरा मुझे कोस रहा है। यहां तक की मेरे फैंस नेटीजंस को इंटरव्यू देखने की सलाह दे रहे हैं।’ एक्ट्रेस ने आगे कहा, ‘ऐसा नहीं है कि गलतियां नहीं होती हैं, मुझसे भी कई बार गलतियां हुई हैं। हालांकि, कुछ लोग हैं, जो सोशल मीडिया पर बिना सोचे अपनी राय व्यक्त कर देते हैं।
मैं आपको बता दूं कि अगर मैं गुस्से में हूं, या मेरा किसी से झगड़ा हुआ है तो मैं सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट नहीं करती हूं। मैं सभी को सलाह भी देती हूं कि अगर आप नशे में हैं, तो आपको पोस्ट नहीं करना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं, तो बाद में आपको पछताना पड़ता है। सोशल मीडिया या इंटरव्यू में कुछ भी बोलने से पहले सही भाषा का प्रयोग करें, क्योंकि आप जो कहते हैं उसे बहुत सारे लोग सुन रहे हैं।’
‘नारीवाद’ मुद्दे पर नीना ने रखी थी अपनी राय
गौरतलब है कि बीते दिनों एक इंटरव्यू में नीना ने ‘नारीवाद’ मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की थी। अभिनेत्री ने पुरुषों और महिलाओं को समान बताने वाले नारीवादी सिद्धांत को खारिज किया था। अभिनेत्री ने कहा था, ‘यह सच नहीं है, महिलाओं के लिए नारीवाद के विचार में विश्वास करना आवश्यक नहीं है। महिलाओं को हमेशा पुरुषों की जरूरत होती है।’ नीना ने कहा, ‘मैं कहना चाहती हूं कि फालतू नारीवाद या इस विचार पर विश्वास करना जरूरी नहीं है कि महिलाएं पुरुषों के बराबर हैं।’