Saturday, November 23, 2024
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Neem Karoli Baba and Kainchi Dham: नीम करोली बाबा और कैंची धाम के बारे में क्या है खास

Neem Karoli Baba and Kainchi Dham: भारत देश कई संत-महात्मायों की भूमि रही हैं। इस धरती पर न जाने कितने महान संतों का जन्म हुआ, उन्होंने चमत्कार किए और यहीं समाधि लेकर अपने जीवन का अंत कर लिया। ऐसे ही एक महान संत की आज हम बात करने वाले हैं। जिन्हे “नीम करौली बाबा” या “नीब करोरी बाबा” के नाम से भी जाना जाता हैं।

इनके भक्त इन्हे “महाराज जी” के नाम से संबोधित करते हैं। ये 20वीं शताब्दी के महान संतों में से एक माने जाते हैं। नीम करौली बाबा अपनी आस्था और चमत्कार के लिए जाने जाते हैं। वर्तमान समय में केवल भारत देश में ही नहीं बाहर विदेशों में भी इन्हे मानने वाले भक्तों की संख्या बहुत हैं।

कैंची धाम स्थित नीम करोली आश्रम क्यों है ख़ास? पूरी जानकारी: Neem Karoli Baba

नीम करौली बाबा का जीवन काल | Neem Karoli Baba and Kainchi Dham

नीम करौली बाबा का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता पिता ने 11 वर्ष की आयु में ही उनका विवाह कर दिया था। उन्होंने कम उम्र में ही साधु बनने के लिए अपना घर छोड़ दिया था लेकिन पिता के जोर जबरदस्ती करने पर उन्होंने वैवाहिक जीवन अपनाया। वह 1 पुत्री और 2 पुत्रों के पिता बने।

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नीम करौली बाबा थे ज्ञान का भंडार 

ऐसा बताया जाता है की 17 वर्ष की आयु में ही उन्हे ईश्वर का सारा ज्ञान प्राप्त हो गया था। वो अपना गुरु हनुमान जी को मानते थे। उन्होंने पूरे भारत में अलग-अलग जगह घूमकर कई मंदिरों की स्थापना की। नीम करौली बाबा को भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता था जैसे हनुमान जी या चमत्कारी बाबा। सूत्रों के अनुसार नीम करौली बाबा ने अपने पूरे जीवन में हनुमान जी के कूल 108 अलग-अलग मंदिरों का निर्माण कराया था।

क्यों रखा गया बाबा का नाम नीम करौली

एक बार बाबा ट्रेन में सफर कर रहे थे लेकिन उनके पास टिकट नहीं था। टिकट चेकर ने जब बाबा से टिकट देखने के लिए मांगी तो टिकट होने के वजह से उन्हे ट्रेन से नीचे उतरने को कहा। जब बाबा को ट्रेन से नीचे उतार दिया तो वह वहाँ से कहीं नहीं गए। ट्रेन के पास अपना एक चिमटा रखकर बैठ गए। ड्राइवर ने गाड़ी चलाने की बहुत कोशिश की लेकिन ट्रेन हिली भी नहीं। ट्रेन में एक बड़े अफसर बैठे थे जो बाबा को जानते थे। उन्होंने सबसे बाबा से माफी मांगने को कहा और उन्हे ट्रेन में बैठने को कहा। तब सबने मिलकर बाबा से माफी मांगकर उन्हे मनाया।

बाबा ने माफी स्वीकार कर ट्रेन में बैठने का फैसला किया लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी। उस जगह के पास नीम करौली नाम का गाँव था। बाबा ने कहा यहाँ लोगों को ट्रेन पकड़ने के लिए मीलों चलना पड़ता हैं। इसलिए यहाँ एक स्टेशन बनवाया जाए ताकि लोग आसानी से ट्रेन में सफर कर सके। बाबा की इस शर्त को मान लिया गया। उस जगह पर नीम करौली नाम का स्टेशन बनाया गया। तभी से बाबा को नीम करौली बाबा के नाम से जाना जाने लगा।

आश्रम

नीम करौली बाबा के पूरे भारत देश में कई आश्रम हैं। लखनऊ, वृंदावन, ऋषिकेश, हनुमानगढ़ी, शिमला जैसी अलग-अलग जगहों पर इनके आश्रम है। लेकिन सभी आश्रमों में कैंची धाम सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और पूजा जाने वाला आश्रम हैं।

कैंची धाम | Neem Karoli Baba and Kainchi Dham

कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल से 17 किलोमीटर दूर हैं। ऐसा माना जाता हैं की इसका नाम कैंची धाम इसलिए रखा गया क्योंकी आश्रम की और जा रही सड़के दोनों और से कैंची के आकार की तरह तीखी मोड जैसी दिखती हैं। नीम करौली बाबा सबसे पहले 1961 में कैंची धाम आए थे। अपने मित्र पूर्णानन्द के साथ मिलकर उन्होंने 15 जून 1964 में कैंची धाम की स्थापना की थी। यहाँ आश्रम के अलावा नीम करौली बाबा का मंदिर भी हैं। वैसे तो यहाँ हर दिन हर मौसम में भक्तों की भीड़ रहती हैं लेकिन मंगलवार के दिन यहाँ दर्शन करने की मान्यता अधिक मानी जाती हैं।

क्यों भक्त चढ़ाते हैं कंबल ? 

आपने नीम करौली बाबा की तस्वीर में देखा होगा। वह हर तस्वीर में कंबल ओढ़े दिखाए देते हैं। इसलिए यहाँ भक्तों द्वारा कंबल चढ़ाया जाता हैं।

कैंची धाम की स्थापना दिवस

15 जून को बाबा ने कैंची धाम की स्थापना की थी इसलिए हर साल 15 जून को कैंची धाम स्थापन दिवस मनाया जाता हैं। इस दिन यहाँ भक्तों द्वारा मालपूए का भोग लगाया जाता हैं। भोग बनाने के लिए मथुरा से कारीगर बुलाए जाते हैं जो इस दिन के लिए बाबा के भोग के लिए मालपूए बनाते हैं।

कैंची धाम की विशेषता

कैंची धाम में अनगिनत की संख्या में आम भक्तों की भीड़ तो रहती ही हैं साथ ही यहाँ बड़ी-बड़ी हस्तिया भी दर्शन करने आती हैं। 70 के दशक में स्टीव जॉब्स और मार्क जुकेरबर्ग यहाँ दर्शन के लिए आए थे। पिछले वर्ष विराट कोहली भी यहाँ बाबा के दर्शन के लिए आए। इससे पता चलता हैं की नीम करौली बाबा के श्रद्धालुयों में आम से लेकर खास आदमी भी आता हैं।

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