Navratri 2024 Maa Brahmacharini: नवरात्रि में दुर्गा माता के नौ अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। इस दिन दुर्गा माता के ब्रह्मचर्य रुप की पूजा की जाती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी नाम का अर्थ हुआ तपस्या करने वाली अर्थात ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली।
ब्रह्मचारिणी माता का स्वरुप | Navratri 2024 Maa Brahmacharini
नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माता की पूजा पार्वती माता के अविवाहित रुप में की जाती है। ब्रह्मचारिणी देवी पार्वती माता का ही एक रुप है जो सफेद साङी पहनती है। इनके बाएं हाथ में कमंडल और दाएं हाथ में जपमाला रहती है। ये बिना किसी श्रृंगार के साधारण स्वरुप में रहती हैं। इनका स्वरुप बहुत सरल, सहज और शांत होता है। अविवाहित कन्याओं द्वारा ब्रह्मचारिणी माता की पूजा और व्रत करने से उन्हें अच्छा और गुणी वर मिलता है।
ब्रह्मचारिणी माता की कथा
ब्रह्मचारिणी माता को पार्वती माता का रुप माना जाता है। पार्वती माता पर्वतराज हिमालय की पुत्री थी। उन्होने भगवान शिव से विवाह करने का संकल्प लिया। माता पार्वती के माता-पिता ने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन वह अपने निर्णय पर दृढ रही। उन्होने भगवान शिव को पाने के लिए लगभग 5000 वर्षों तक तपस्या की थी।
दुसरी ओर भगवान शिव भी अपनी ध्यान समाधि में लीन थे। सभी देवता मिलकर प्रेम और वासना के देवता कामदेव के पास गए और उनसे भगवान शिव के मन में माता पार्वती के प्रति प्रेम जागृत करने की विनती की। कामदेव ने भगवान शिव पर अपना इच्छाशक्ति बाण चलाया लेकिन शिव जी की तपस्या भंग होने के कारण उन्होने अपना तीसरा नेत्र खोल लिया और कामदेव को भस्म कर दिया।
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पार्वती माता भगवान शिव के समान ही पहाङों में रहने लगती हैं और तपस्या और ब्रह्मचर्य में संलग्न रहती हैं। भगवान शिव माता पार्वती की तपस्या से आकर्षित होते हैं और प्रच्छन्न रुप धारण करके माता पार्वती के पास जाते हैं और भगवान शिव के नाम की और रुप की बहुत बुराई करते हैं। लेकिन फिर भी माता पार्वती अपने संकल्प पर दृढ रहती हैं।
जब पार्वती माता अपनी तपस्या के अंतिम चरण में थी तब प्रकांडसुर नाम के राक्षस ने अपनी सेना के साथ माता पार्वती पर हमला कर दिया। माता पार्वती की सहायता के लिए देवी लक्ष्मी और सरस्वती हस्तक्षेप करती हैं। कई दिनों तक राक्षसों के साथ युद्ध चलने के बाद माता पार्वती के पास रखा कमंडल गिर जाता है और उसमें भरे जल में सभी राक्षस बहकर मर जाते हैं।
अंत में भगवान शिव ब्रह्मचर्य का रुप धारण करके माता पार्वती के पास आते हैं और उनसे कुछ प्रश्न पूछकर उनकी परीक्षा लेते हैं। सभी प्रश्नों का देवी पार्वती सही उत्तर देती हैं। तब भगवान शिव माता पार्वती की बुद्धि की प्रंशसा करते हैं और उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखते हैं। जब माता पार्वती को पता चला की वह भगवान शिव है तब उन्होने उनसे विवाह के लिए हाँ कर दिया।
ब्रह्मचारिणी माता का प्रिय भोग | Navratri 2024 Maa Brahmacharini
वैसे तो सच्चे मन से देवी ब्रह्मचारिणी को जो भी भोग लगाओ वे स्वीकार करती हैं लेकिन उनका प्रिय भोग लगाने से भक्तों पर विशेष कृपा करती हैं। ब्रह्मचारिणी माता को मीठा और सफेद खाद्य पदार्थ पसंद हैं। माता ब्रह्मचारिणी को चीनी, मिश्री, दूध से बनी चीजें और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। ब्रह्मचारिणी माता को कमल, गुङहल और वटवृक्ष के फूल प्रिय होते हैं इसलिए उन्हें ये फूल भी चढाने चाहिए।