Wednesday, October 30, 2024
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Narak Chaturdashi 2024: कब मनाई जाती है नरक चतुर्दशी

Narak Chaturdashi 2024: जैसा कि हम सब जानते हैं, कि कार्तिक महीना चल रहा है। पूरे साल में आने वाले सभी महीनों में कार्तिक महीना ऐसा महीना है जिसमें सबसे ज्यादा त्यौहार आते हैं। उन सभी त्यौहारों में से एक है दीपावली का त्यौहार। दीपावली साल में आने वाले मुख्य वार्षिक त्योहारों में से एक है। हिन्दु धर्म में दीपावली को त्यौहार को रोशनी का त्यौहार माना जाता है। दीपावली का त्यौहार धनतेरस से शुरु होकर भैयादूज तक चलता है।

दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है, जिसे अधिकतर लोग छोटी दीपावली के नाम से जानते हैं। नरक चतुर्दशी को नरक चौदस, रुप चतुर्दशी, काली चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदु धर्म में नरक चतुर्दशी के त्यौहार को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

कब मनाई जाती है नरक चतुर्दशी | Narak Chaturdashi

Narak Chaturdashi kyi banyi jati hai

नरक चतुर्दशी हर वर्ष कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।

इस वर्ष कब है नरक चतुर्दशी

इस वर्ष नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार को मनाई जाएगी।

क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी

पौराणिक कथा के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण ने अत्याचारी और शक्तिशाली राक्षस नरकासुर का वध किया था। राक्षस नरकासुर ने 16,100 कन्याओं को बंदी बना लिया था। भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करके सभी कन्याओं को उसकी बंदी गृह से मुक्त कराया था और उन सभी कन्याओं से विवाह कर उन्हें पत्नी के रुप में स्वीकार के समाज में सम्मान और आदर दिलाया था। इसी उपलक्ष्य में उनके लिए दीपकों की बारात सजाई गई थी। तभी से लेकर आज तक नरक चतुर्दशी के दिन दीपक जलाकर रोशनी की जाती है।

नरक चतुर्दशी के दिन व्रत रखने का महत्व | Narak Chaturdashi

कई लोग नरक चतुर्दशी के दिन व्रत भी रखते हैं। उसके पीछे भी एक प्रसिद्ध कथा सुनने को मिलती है। प्राचीन काल में रंति नाम के एक राजा थे, जो बहुत ही पुण्यात्मा और धर्मात्मा थे।  अपने पूरे जीवन में उन्होनें कभी कोई पाप नहीं किया था। जब उनकी मृत्यु का समय आया तो उनके सामने यमदूत आकर खड़े हो गए। उन्हें देख कर राजा को हैरानी हुई क्योंकि यमदूत का अर्थ होता है कि आपको नरक भोगना पङता है।

राजा ने पूछा कि मैंने अपने जीवन में कोई गलत काम नहीं किया, फिर आप क्यों आए हैं। तब यमदूत ने कहा एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था इसलिए आपको उसी पाप का फल मिला है। तब राजा रंति ने यमदूत से एक वर्ष का समय मांगा।

एक वर्ष का समय मिलने पर राजा वन में ऋषियों के पास गए और सारी बात कही। तब ऋषियो ने राजा को बताया कि कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष में नरक चतुर्दशी के दिन व्रत करें और ब्राह्मण को भोजन कराएं। ऐसा करने से आपको विष्णु लोक की प्राप्ति होगी। राजा ने ऋषियों की बात मानकर उनके अनुसार ही कर्म किया।

जिसके फलस्वरुप राजा को एक वर्ष के बाद सीधा विष्णु लोक में स्थान मिला। तभी से नरक चतुर्दशी के दिन व्रत का नियम करने का प्रावधान है। माना जाता है कि इस दिन पूरे विधि-विधान से व्रत और ब्राह्मण भोज कराने से सभी तरह के पाप और नरक से मुक्ति मिलती है।

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