Sunday, December 22, 2024
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मुंशी प्रेमचंद पुण्यतिथी : अपनी कलम से उपन्यासों में जान डाल दिया करते थे मुंशी प्रेमचंद

कलम  के जादूगर उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की आज पुण्यतिथी है। मुंशी प्रेमचंद का पूरा नाम ” धनपत राय श्रीवास्तव ” था। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के लमही में हुआ था। 8 अक्टूबर 1936 को वे स्वर्गवासी हो गए। आज मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथी के मौके पर देश में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। कलम के जादूगर मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों को समाज का दर्पण कहा जाता है। उन्होंने बड़े भाई साहब, ईदगाह, पंच परमेश्वर, नमक का दारोगा, दो बैलों की कथा, पूस की रात, मंत्र समेत कई उपन्यास लिखें, जिन्हें पढ़ने पर समझ आता है कि मुंशी प्रेमचंद का लेखन कितना मजबूत और सटीक था। मुंशी प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यास में समाज में धटित हो रही चीजों की झलक दिखाई देती है जिसे लोग महसूस कर सकते हैं।

मुंशी प्रेमचंद के कथन

मुशी प्रेमचद अपने कलम से उपन्यासों और कहानियों में जान डाल दिया करते थे। उनकी कहानियों का किरदार लोगों को कहानी से जोड़े रखने का काम करता हैं। चाहे वो नमक का दारोगा हो या फिर ईदगाह, उनकी हर कहानी प्रेरणादायक है। मुंशी प्रेमचंद न केवल उपन्यासकार और कहानीकार थे बल्कि वे एक अच्छे विचारक भी थे। उनके विचार आज सही साबित हो रहे हैं। जैसा की उनका एक कथन है, जिसमें वे कहते हैं कि ” दौलत से आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है।” मुंशी प्रेमचंद का ये कथन आज सही साबित हो रहा है। आज समाज में जिसके पास पैसा होता है उसकी खूब वाहवाही होती है। लेकिन सच तो ये है कि लोग अमीर व्यक्ति से नहीं बल्कि उसके पैसे से ज्यादा प्रभावित होते है। उनका एक और भी कथन है जिसमें वे कहते हैं कि ” संसार के सारे नाते स्नेह के नाते हैं, जहां स्नेह नहीं वहां कुछ नहीं है।” मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथी पर उनके उप्नयासों को पढ़ना और मुंशी प्रेमचंद के कथनों को अपने जीवन में उतारना ही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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