Mukhtar Ansari:माफिया मुख्तार अंसारी की दिल का दौरा पड़ने से मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मौत हो गई है। सूचना मिलने पर बांदा के डीएम व एसपी जेल पहुंचे और मुख्तार को आनन फानन में बांदा के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दो दिन पहले मुख्तार को पेट में गैस व यूरिन इन्फेक्शन की शिकायत के कारण मेडिकल कॉलेज अस्पताल जे जाया गया था। एक इंटरव्यू में अंसारी ने कहा था की उसे जेल के अंदर जान से मारने की साजिश चल रही है और उसे धीरे धीरे काम मात्रा में ज़हर दिया जा रहा है।
मुख्तार को मौत से करीब तीन घंटे पहले ही इलाज के लिए मंडलीय कारागार से बांदा मेडिकल कॉलेज लाया गया था। जहां नौ डॉक्टरों की टीम उसके इलाज में जुटी रही। प्रशासन ने मुख्तार की मौत की सूचना रात करीब साढ़े दस बजे सार्वजनिक की थी । तब तक मुख्तार के परिवार का कोई सदस्य मेडिकल कॉलेज नहीं पहुंचा था। बाहुबली नेता के मौत के बाद मऊ, बांदा और गाजीपुर में धारा 144 लागू की गई है. इसके साथ ही यूपी में हाई अलर्ट है और सभी जिलों के कप्तानों को हाई अलर्ट पर रहने पर कहा गया है।
समाजवादी पार्टी ने मुख्तार अंसारी के मौत का दुख जताया है. सपा पार्टी ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर लिखा-“पूर्व विधायक श्री मुख्तार अंसारी जी का इंतकाल, दुःखद. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें. शोकाकुल परिजनों को यह असीम दुःख सहने का संबल प्राप्त हो.विनम्र श्रद्धांजलि “इस घटना के बाद पूर्वाचल के अलावे सम्पूर्ण राज्य के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में धारा 144 लगा दिया है। सारे थाने को हाई अलर्ट कर दिया गया है कही भी भीड़ लगाने की अनुमति नहीं दी गई है। मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने कहा की मुझे आधिकारिक रूप से कुछ नहीं बताया गया था, मुझे मीडिया के जरिए इस बारे में पता चला लेकिन अब पूरा देश सब जानता है। मुझे इस देश के न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
मुख्तार अंसारी का इतिहास
मुख्तार अंसारी का जन्म 1963 में एक प्रभावशाली परिवार में हुआ था और मात्र 15 साल की उम्र में उसने खुद का गिरोह खड़ा किया. उसके बाद सरकारी ठेकों पर जबरन कब्जा शुरू कर दिया था। कुछ समय के बाद अपराध की दुनिया में प्रवेश कर मुख़्तार ने अपनी पहचान माफिया के रूप में बना ली थी। 15 साल के उम्र में गाजीपुर के सैदपुर थाने में मुख़्तार के खिलाफ पहला आपराधिक धमकी की FIR दर्ज करवाई गई थी। करीब दो दशक के बाद राज्य के अलग अलग थानों में इसके खिलाफ करीब 20 मामले दर्ज हो गए थे।
मऊ से पहली बार विधायक
1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार मऊ विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधायक चुना गया था। उसने 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में निर्दलीय चुनाव लड़ा था, क्युकी उसके बढ़ते अपराध को देखते हुए कोई भी पार्टी ने उसे अपने पार्टी का टिकट नहीं दिया था। इसी सीट से उनका निर्दलीय चुनाव लड़ना सही साबित हुआ और जनता के प्यार और समर्थन के कारण जीत हासिल किया था।2012 में मुख़्तार ने अपनी पार्टी कौमी एकता दल शुरू किया और फिर मऊ विधानसभा से जीत हासिल की. मुख़्तार के प्रति लोगो का प्यार इस कदर था की 2017 के विधानसभा चुनाव में एकबार फिर मऊ से जीत हासिल किया था।
मुख़्तार का खूनी खेल
मुख़्तार अंसारी ने अपना खूनी खेल साल 2004 के लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही शुरू कर दिया था।साल 2004 फरवरी में कृष्णानंद राय के खास रहे टुनटुन उर्फ अक्षय राय की हत्या की गई थी। साल 26 अप्रैल 2004 को कृष्णानंद के करीबी झिनकू और भाजपा कार्यकर्ता शोभनाथ राय की हत्या की गई थी। 27 अप्रैल 2004 को दिलदारनगर में रामावतार की हत्या हुई थी। नवंबर 2005 में पूर्व विधायक कृष्णानंद राय और छह अन्य लोगों को 400 राउंड से ज्यादा फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया था।.इस नरसंहार में विधायक कृष्णानंद राय के शरीर से 66 गोली निकली गई थी। 3 अगस्त 1991 को अवधेश और उनके भाई अजय वाराणसी के लहुराबीर इलाके में अपने घर के बाहर खड़े थे, तब उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया गया था। इस केस में उसे आजीवन कारावास की सजा हुई थी।
मुख्तार को आज किया जाएगा सुपुर्द – ए – खाक
ऐसे बहुत सारे केस में मुख़्तार अंसारी को सजा के साथ साथ बरी भी किया गया था। जैसे जैसे सत्ता बदलते रही अंसारी का भी जेल बदलते रहा था। 18 महीने पहले ही योगी सरकार ने मुख्तार अंसारी को पंजाब के जेल से अपने राज्य में मगवाया गया था। आज 18 महीने के बाद योगी की सरकार ने पिछले चार दशक का अपराधिक किताब को हमेशा के लिए बंद करवा दिया मुख़्तार अंसारी के मौत के बाद 2 डॉक्टर के एक टीम वीडियोग्राफ़ी के साथ शव का पोस्टमार्टम करेंगे। उसके बाद उनके धर्म के अनुसार उनकी पुस्तैनी गाजीपुर के काली बाग कब्रिस्तान में गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को सुपुर्द – ए – खाक किया जाएगा।