मॉनसून हो या सर्दी कभी भी घर से बाहर कदम रखो तो मच्छर आपका पीछा नहीं छो़डते। हर समय ये हमारे सिर पर मंडराते रहते है। हाफ स्लीव्स के कपड़े पहनकर बाहर जाना तो जैसे इन्होने दुष्वार कर दिया है। लेकिन अगर आपको ये लगता है कि मच्छर सिर्फ ही काट रहे है किसी और को नहीं, तो ऐसा मत सोचिए कि मच्छर से आपका कोई पुराना रिश्ता है बल्कि कुछ ऐसे वैज्ञानिक कारण है जिनकी वजह से आप मच्छरों के शिकार ज्यादा बनते है। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे है कि किन लोगों को मच्छर ज्यादा काटते है और इसके पीछे की क्या वजह होती है।
अपनी पसंद से चुनते है शिकार
जैसे मनुष्य अपने भोजन का चुनाव अपनी पसंद के हिसाब से करते है, उसी तरह मच्छर भी अपने शिकार को अपनी पसंद से चुनते है इसी कारण ये कुछ लोगो को खासकर काटते है। हमारे शरीर की कुछ चीजें ऐसी होती है जो मच्छरों को आकर्षित करती है। माना जाता है कि मच्छर एक खास तरह की चीजों वाली बॉडी को काटना पसंद करते है।
खून (Blood)
बहुत बार आपने सुना होगा कि मच्छर उनको ज्यादा काटते है जिनका खून मीठा होता है। ये बात लगभग सच भी है। कुछ खास खून तरह के वालों को काटना मच्छर ज्यादा पसंद करते हैं। जापान के शोधकर्ता ये साबित कर चुके हैं कि ए ब्लड ग्रुप की तुलना में ओ ब्लड ग्रुप के लोगों को मच्छर ज्यादा काटते हैं। इस ब्लड ग्रुप के लोग मच्छरों के लिए किसी चुम्बक की तरह काम करते हैं। वहीं बी ब्लड ग्रुप के लोगों को मच्छर सामान्य रूप से ही काटते हैं।
बैक्टीरिया (Bacteria)
जहां बैक्टीरिया ज्यादा होते हैं वहां मच्छर भी ज्यादा होते हैं। इंसान की त्वचा में रहने वाले बैक्टीरिया से रिलीज होने वाले यूरिक एसिड, लैक्टिक एसिड और अमोनिया की महक से भी मच्छर इंसान के पास ज्यादा मंडराते हैं। यही वजह है कि गंदगी वाली जगहों पर मच्छर ज्यादा होते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक मच्छर हमारे पैरों में ज्यादा काटते हैं क्योंकि पैरों में बैक्टीरिया होने के चांसेस ज्यादा होते हैं।
कार्बन डाईऑक्साइड (CO2)
CO2 की गंध भी मच्छरों को तेजी से इंसानों की तरफ आकर्षित करती हैं। मादा मच्छर अपने ‘सेंसिंग ऑर्गेन्स’ से इसकी गंध पहचान लेती है। सांस छोड़ते समय इंसान के शरीर से निकलने वाली CO2 गैस के कारण मच्छर कुछ लोगों को ज्यादा काटते हैं। मच्छर 150 फीट की दूरी से भी इसकी गंध को बड़ी आसानी से पहचान लेते हैं।
वैज्ञानिकों का दावा है कि इंसानों को सिर्फ मादा मच्छर ही काटते हैं। इसका कारण मादा के प्रजनन से जुड़ा है। दरअसल मादा मच्छर इंसान के खून में मौजूद पोषक तत्वों को लेने के बाद ही अंडे देती है।