MoE Guidelines for Coaching Centres : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग सेंटरों के लिए रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशंस पर नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। भारत के सभी राज्यों के लिए सरकार ने ये गाइडलाइन जारी की है। दिशा-निर्देशों में कई अहम बातें कही गई हैं, जिनमें कोचिंग सेंटर में 16 वर्ष से कम उम्र के छात्रों का नामांकन नहीं करना, संस्थाओं द्वारा भ्रामक वादे नहीं करना और रैंक या अच्छे अंक की गारंटी नहीं देना शामिल है। इस फैसले के पीछे सरकार ने अपनी मंशा भी जाहिर की है। इसके जरिये वह कोचिंग की ‘मशरूमिंग’ को रोकना चाहती है। सरकार इन दिशानिर्देशों के जरिए कोचिंग संस्थानों को कानूनी ढांचे में लाकर विनियमित करना चाहती है। वहीं, नियमों के उल्लंघन पर दंड का भी प्रावधान किया गया है।
फैसले के पीछे सरकार की मंशा
इस फैसले के पीछे सरकार का मानना है कि इससे छात्रों से ज्यादा फीस वसूली की शिकायतें, छात्रों में तनाव और आत्महत्या के मामले कम होंगे। गौरतलब है कि फैसला सरकार को मिली उन शिकायतों के बाद आया है, जिसमें छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, कोचिंग में आग की घटनाओं और सुविधाओं की कमी के साथ-साथ उनके द्वारा अपनाई जाने वाली शिक्षण प्रणाली के बारे में चिंता जताई गई थी।
पैरेंट्स के पास आखिर कैसी मजबूरी ?
देखा जाए तो कोई भी पैरेंट शौकिया अपने बच्चे को कोचिंग नहीं भेजना चाहता। अक्सर यह उनकी मजबूरी होती है। बच्चे करीब 16-17 साल तक इंटरमीडिएट करते हैं। ऐसे में उन बच्चों को स्टैंडर्ड बढ़ने के साथ खुद पढ़ा पाना मुश्किल हो जाता है। सबसे ज्यादा बच्चे फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स और अकाउंट्स के लिए कोचिंग करते हैं। और भी कई ऐसे वजब हैं जिस कारण बच्चे कोचिंग क्लास ज्वाइन करते हैं।
शिक्षा मंत्रालय के गाइडलाइन की कुछ महत्वपूर्ण बातें
1. शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार किसी भी व्यक्ति को कोचिंग संस्थान शुरू करने या प्रबंध करने के लिए केंद्र सरकार से उसे पंजीकृत करवाना होगा।
2. अब कोचिंग क्लास में पढ़ाने वाले टीचर या ट्यूटर को कम से कम ग्रेजुएट होना जरूरी है। इससे कम योग्यता वाले लोग कोचिंग क्लास में नहीं पढ़ा सकते।
3. कोचिंग पढ़ने के लिए उम्र कम से कम 16 साल होनी चाहिए या विद्यार्थी को हाईस्कूल पास होना चाहिए। दोनों में से एक शर्त पूरी करनी जरूरी है।
4. कोचिंग संस्थान अब न तो अच्छी रैंक और न ही गुमराह करने वाले वादे कर सकते हैं। इसी के साथ सेंटर को एक वेबसाइट भी बनानी अनिवार्य होगी, जिस पर छात्रों से ली जाने वाली फीस आदि का पूरा अपडेट होगा।
सजा का क्या है प्रावधान
गाइडलाइन के अनुसार पहली बार नियम तोड़ने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। दूसरी बार नियम तोड़ा तो जुर्माने की राशि बढ़कर एक लाख रुपये हो जाएगी। इसके अलावा रजिट्रेशन भी रद्द हो सकता है।
M.Phill कोर्स को लेकर UGC ने यूनिवर्सिटीज को दी कड़ी चेतावनी