दिल्ली की केजरीवाल सरकार दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए नए नियमों लेकर आई है, जिसके अंतर्गत स्कूली बच्चों में कुपोषण से हो रही बीमारियों पर जोर दिया गया है। दिल्ली सरकार ने यह निर्णय लिया गया है कि बच्चों के इष्टतम शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास को बाधित करने वाली समस्या से निपटने के लिए दिल्ली के सभी स्कूलों में मिनी स्नैक ब्रेक और माता-पिता परामर्श सत्र शुरू किए जाएंगे। शिक्षा निदेशालय ने एक हालिया सर्कुलर में कहा कि सभी स्कूल अपने स्कूल की समय में 10 मिनट का मिनी ब्रेक शामिल करेंगे। लंच ब्रेक से 2.5 घंटे पहले मिनी ब्रेक होना चाहिए।
क्यों उठाया गया ये कदम ?
दरअसल,इस फैसले के पीछे छात्रों को अधिक खाना खाने का पर्याप्त मौका देना है। क्योंकि ज्यादातर छात्र घर से सुबह का नाश्ता नहीं करके आते है जिससे उनके अंदर कमजोरी होने लगती है। सीधा दोपहर में भोजन करने के कारण बच्चों को मानसिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। दिल्ली सरकार के इस नए नियम के लागू होने के बाद, स्कूली बच्चों को एक अतिरिक्त भोजन मिलेगा जो पोषण से भरा होगा।
सरकार द्वारा स्कूलों को एक साप्ताहिक कार्यक्रम तैयार करने और खाद्य पदार्थों के तीन विकल्पों की पेशकश करने के लिए कहा गया है जिसमें मौसमी फल, अंकुरित अनाज, सलाद, भुने हुए चने और मूंगफली शामिल होने चाहिए। योजनाकार प्रत्येक कक्षा में प्रदर्शित किया जाना चाहिए। छात्रों को सुझाई गई वस्तुएं किफायती होनी चाहिए और उन्हें अल्पाहार के दौरान खाया जाना चाहिए।
वहीं विद्यालय के मुखिया या गृह विज्ञान के शिक्षक योजना के प्रभारी होने चाहिए। शाम के स्कूलों में, साप्ताहिक योजनाकार में कम मात्रा और उच्च पोषण वाले मिनी स्नैक्स को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। वहीं शिक्षकों को छात्रों के माता-पिता को सलाह देनी चाहिए और उन्हें शिक्षा में प्रदर्शन, ध्यान देने की अवधि, शारीरिक गतिविधि और विकास पर स्वस्थ आहार के प्रभाव के बारे में बताना चाहिए। कक्षा शिक्षकों को भी छात्रों की ऊंचाई और वजन का रिकॉर्ड रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।