Mahashivratri 2024 : 8 मार्च 2024 को महाशिवरात्रि है| ये शिव भक्त के लिए बेहद खास होता है | महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और शिव का विवाह हुआ था| महाशिवरात्री का पर्व हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष को मनाया जाता है| ऐसा मान्यता है किजो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से भगवान् शिव को अराधना करते है उसके दांपत्य जीवन में सुख और कुंवारी लड़कियों को मन चाहा जीवनसाथी मिलता है| महाशिवरात्रि को शिव जी का ध्यान रखकर शिवलिंग की पूजा की जाती है|
इस दिन शिवलिंग को पंचांग से नहलाया जाता है| दूध ,दही,जल चढ़ा कर उनके मांथे पर चन्दन का लेप लगाया जाता है|साथ ही बेल ,भांग ,फूल ,धतूरा ,जाय फल ,कमलगटे ,फल , मिठाईया और इत्र आदि से शिवलिंग की पूजा की जाती है |
महाशिवरात्रि के दिन बहुत से लोग गरीबो में भोजन ,कपडे और धन भी दान करते है| इस दिन भंडारे कराया जाते है| घरो और मंदिरो में जागरण किये जाते है और बड़े ही धूमधाम से इस पर्व को मनाया जाता है| केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में महाशिवरात्री का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है| हम सब बचपन से ही महाशिवरात्रि के बारे में कुछ न कुछ सुनते आ रहे है| तो आईये हम आपको आज इस आर्टिकल के माध्यम से महाशिवरात्रि की पूरी कहानी विस्तार से बताते है|
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महाशिवरात्री का कथा
भगवान शिव की पहली पत्नी का नाम माता सती था| माता सती ने अपने पिता राजा दक्ष के द्वारा शिव का अपमान किए जाने के कारण अग्निकुंड में कूद कर आत्मदाह कर लिया था। इसके बाद भगवान शिव ने राजा दक्ष का वध कर दिया और लंबी योग साधना में चले गए कई वर्षों के पक्ष पर्वत राज हिमालय के यहां एक पुत्री का जन्म हुआ जिनका नाम पार्वती था| पार्वती माता सती का ही पुनर्जन्म था| माता पार्वती ने हजारों वर्षों तक उत्तराखंड के गौरीकुंड में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए| इसके बाद माता पार्वती ने उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा जिसे भगवान शिव ने स्वीकार कर लिया| इसके बाद पार्वती के पिता हिमालय राज ने विवाह की तैयारी शुरू कर दी |भगवान शिव के द्वारा माता पार्वती से विवाह का प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद तीनों लोकों में तैयारी शुरू हो गई थी|
केवल देवी – देवता और मनुष्य ही नहीं भूत प्रेत भी इस विवाह में हुए शामिल
उसी समय हिमालय की नगरी हिम्मत की राजधानी त्रियुगीनारायण गांव था| इसीलिए त्रियुगी नारायण गांव के स्त्री योगी नारायण मंदिर में दोनों का विवाह करवाने का निर्णय किया गया| इस विवाह के साक्षी बनने स्वर्गलोक से सभी देवी-देवता यहां पधारे पार्वती के भाई के रूप में भगवान विष्णु ने सभी कर्तव्यों का निर्वहन किया| उन्होंने विवाह की रश्मों को निभाया था| स्वयं भगवान ब्रह्मा इस विवाह में पुरोहित बने और विवाह संपन्न कराया था|
भगवान शिवऔर माता पार्वती के द्वारा इस मंदिर में विवाह किए जाने के पक्ष यहां की महत्वता बहुत बढ़ गई थी| माता पार्वती और भगवान् शिव के विवाह में न केवल देवी देवता और मनुष्य थे बल्कि उनके विवाह में दानव जाती , पशु -पक्षी , भूत प्रेत और नागो की प्रजाति तक शामिल हुए थे| ये दुनिया का पहला प्रेम विवाह भी माना जाता है और तब से माता पार्वती और शिव जी के विवाह वाले दिन को महाशिवरात्रि के नाम ने मनाया जाता है|