Friday, November 22, 2024
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Mahabharat : अर्जुन को मिला था श्राप, जानिए क्यों एक साल के लिए स्त्री बने थे अर्जुन

Mahabharat : महाभारत हिंदु धर्म का सबसे बङा ग्रंथ है। महाभारत के युद्ध के बारे में तो सभी जानते हैं। कौरवों और पांडवों के युद्ध से अलग महाभारत ग्रंथ में इतनी कथाओं और कहानियों का वर्णन है कि सभी कहानियों के बारे में पता होना बहुत मुश्किल है। महाभारत की कुछ ऐसी कहानियाँ हैं जो हमें सोचने पर विवश कर देती हैं। आज ऐसी ही एक हैरान करने वाली कहानी के बारे में जानते हैं जो शायद ही किसी ने सुनी होगी।

महाभारत मुख्य रुप से कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध पर आधारित है। जिस युद्ध में जीत पांडवों की हुई थी। पांडव राजकुमार पांडु के पाँच पुत्र थे। पांडवों में सबसे बङे भाई युधिष्ठिर के छोटे भाई अर्जुन थे। अर्जुन को अपने जीवन में एक ऐसा श्राप मिला था जो प्रकृति के नियम के भी खिलाफ था। जानते हैं विस्तार से उस श्राप के बारे में।

Mahabharat

अर्जुन को कौन सा श्राप मिला था ? Mahabharat

देवलोक की एक अप्सरा उर्वशी ने पांडुपुत्र अर्जुन को महिला बनने का श्राप दिया था। उस श्राप के कारण ही अर्जुन ने अपने अज्ञातवास के दौरान एक साल के लिए महिला के रुप में जीवन बिताया था। उस काल में वह शारीरिक और मानसिक पूरी तरह से एक महिला बन गए थे।

क्यों दिया उर्वशी ने अर्जुन को श्राप ? Mahabharat

अर्जुन इंद्रलोक में अस्त्र-शस्त्र की विद्या ग्रहण करने गए थे। वे पूरी लगन और मन से विद्या सीखते और इंद्र को खुश करने की कोशिश में लगे रहते थे। एक बार देवराज इंद्र ने अर्जुन से कहा कि वह अस्त्र-शस्त्र की विद्या के साथ ही नृत्य भी सीखे। इंद्र की बात मानकर अर्जुन अप्सराओं का नृत्य देखने पहुँच गया। वहाँ वह बहुत ध्यान और आनंद से नृत्य देख रहा था। तभी सभी अप्सराओं में से एक अप्सरा अर्जुन को देखकर उसकी ओर आकर्षित हो गई। उस अप्सरा का नाम था उर्वशी।

उर्वशी अर्जुन के पौरुष से इतना प्रभावित हो गई कि उसने अर्जुन के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया। अर्जुन ने उर्वशी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। जब अर्जुन के मना करने के बाद भी उर्वशी ने जबरदस्ती उससे विवाह की जिद की। तब अर्जुन ने कहा कि इंद्रदेव मेरे लिए पिता के समान हैं और आप उनकी प्रेमिका हैं। उस नाते से आप मेरे लिए माँ के समान हुई। मैं आपको माँ की नजर से देखता हुँ कामवासना की नजर से नहीं।

अर्जुन के मुँह से अपने लिए माँ शब्द सुनकर उर्वशी को अपना अपमान महसुस हुआ। जिससे उर्वशी बहुत ही क्रोधित हो गई और क्रोध में आकर उसने कहा कि अर्जुन तुमने एक स्त्री का अपमान किया है। अपने जिस पुरुषार्थ पर तुम्हें घमंड है वही पुरुषार्थ तुम्हारा साथ छोङ देगा और तुम हमेशा के लिए नपुंसक बन जाओगे।

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जब अर्जुन ने उर्वशी से मिले श्राप के बारे में देवराज इंद्र को बताया तब उन्होंने कहा कि ये श्राप का प्रभाव खत्म तो नहीं हो सकता लेकिन मैं इस श्राप की अवधि को जीवन भर से केवल एक वर्ष के लिए कर सकता हूँ। जिससे तुम्हें अपने जीवन के किसी भी एक वर्ष के लिए पुरी तरह से महिला के रुप में जीवन जीना होगा।

अर्जुन का श्राप कैसे बना वरदान ?

कौरवों से चौसर में हारने के बाद पांडवों को वनवास के साथ ही 1 वर्ष का अज्ञातवास मिला था। जिसके अनुसार अगर उस अज्ञातवास के दौरान किसी ने भी पांडवों को देख लिया तो वह अज्ञातवास भंग हो जाएगा। अज्ञातवास के भंग होने से बचने के लिए ही अर्जुन ने अपने अज्ञातवास के दौरान एक वर्ष के लिए अपने श्राप का सदुपयोग किया और महिला का रुप धारण कर लिया। ताकि महिला के रुप में कोई भी उसे पहचान न पाए।

उस पुरे एक वर्ष तक अर्जुन एक महिला के रुप में ही रहे जिससे उनका अज्ञातवास भी सफल हुआ। इस तरह उर्वशी द्वारा मिला श्राप अर्जुन के लिए वरदान साबित हुआ और ठीक एक साल बाद अर्जुन को उसका पौरुष वापिस भी मिल गया।

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