Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का 100 साल उम्र में निधन हो गया है। पूनमचंद यादव एक हफ्ते से बीमार चल रहे थे। मंगलवार रात को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार उज्जैन में ही किया जाएगा। स्वर्गीय पूनमचंद यादव भले ही दुनिया से अलविदा कह गए, लेकिन वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर गए। उनका एक बेटा प्रदेश का सीएम है, बेटी शहर की कमान संभाल रहीं हैं। वहीं, अग्रज बेटा भी सामाजिक जीवन में काम कर रहा है। आइये इस लेख में पूनमचंद यादव का जीवन संघर्ष और फर्श से अर्श की कहानी जानेगे
पूनमचंद यादव का जीवन संघर्ष, सादगी, और परिश्रम की मिसाल रहा है। उनके जीवन की कहानी बताती है कि कैसे एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति ने अपने बच्चों को कामयाबी के शिखर तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पूनमचंद यादव का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था और उनके जीवन की शुरुआत संघर्षों से भरी रही। वे एक मामूली आर्थिक स्थिति वाले परिवार से थे, लेकिन उन्होंने अपने जीवन में मेहनत और दृढ़ता का जो उदाहरण प्रस्तुत किया, वह प्रेरणादायक है।
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प्रारंभिक जीवन और संघर्ष
पूनमचंद यादव ने अपना जीवन रतलाम से उज्जैन स्थानांतरित करने के बाद एक मजदूर के रूप में शुरू किया। उन्होंने शहर की एक टेक्सटाइल मिल में मजदूरी की, लेकिन वे केवल अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए ही नहीं बल्कि अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य की नींव रखने के लिए भी संघर्ष कर रहे थे। उनके चार बच्चों की पढ़ाई पर उनका विशेष ध्यान था। उन्होंने न केवल अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई, बल्कि उन्हें समाज में अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित भी किया।
मजदूरी के बाद, पूनमचंद यादव ने भजिया और दाल-बाफले की दुकान लगाई। यह उनके संघर्ष का एक और चरण था, जहां उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण करते हुए अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने का प्रयास किया। इस दौरान उन्होंने बच्चों की शिक्षा में कोई कमी नहीं आने दी। उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि आज उनके बच्चे समाज में एक अलग पहचान रखते हैं।
परिवार और सामाजिक प्रतिष्ठा | Madhya Pradesh
पूनमचंद यादव के सबसे छोटे बेटे डॉ. मोहन यादव मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। उनकी बेटी कलावती यादव उज्जैन नगर निगम में सभापति हैं, और उनके बड़े बेटे नंदलाल यादव और नारायण यादव भी समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं। पूनमचंद यादव ने अपने बच्चों को न केवल अच्छी शिक्षा दी बल्कि उन्हें समाज की सेवा के लिए भी प्रेरित किया।
उनके जीवन का यह पहलू दर्शाता है कि कैसे एक साधारण मजदूर अपने बच्चों को प्रेरित कर उन्हें समाज में उच्च स्थान पर पहुंचा सकता है। यह उनके संघर्ष, मेहनत, और बच्चों के प्रति समर्पण का ही परिणाम है कि आज उनके बच्चे समाज में अग्रणी स्थान पर हैं।
सादगी और सामान्य जीवन
पूनमचंद यादव का जीवन भले ही संघर्षों से भरा रहा हो, लेकिन वे हमेशा एक साधारण और सादगीपूर्ण जीवन जीते रहे। उनके बेटे के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनके जीवन में कोई खास बदलाव नहीं आया। पूनमचंद यादव का जीवन सादगी और आत्मसम्मान की मिसाल था। वे मुख्यमंत्री के पिता होने के बावजूद अपनी साधारण जीवनशैली और पुरानी मित्रताओं को नहीं भूले। चिंतामण गणेश मंदिर मार्ग पर पेड़ों की छांव में अपने ग्रामीण मित्रों के साथ हंसी-ठिठोली करते उन्हें देखा जा सकता था। यह उनकी सादगी का प्रतीक था कि उन्होंने कभी अपने बेटे की ऊंचाई का लाभ नहीं उठाया और हमेशा अपने पुराने जीवन से जुड़े रहे।
पिता और पुत्र का संबंध
पूनमचंद यादव और उनके बेटे डॉ. मोहन यादव के बीच का संबंध भी बेहद दिलचस्प और प्रेरणादायक था। फादर्स डे के मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने पिता से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर उनके बीच एक रोचक संवाद हुआ, जो उनके मधुर संबंध को दर्शाता है। जब मुख्यमंत्री यादव ने अपने पिता से पैसे मांगे, तो पूनमचंद यादव ने उन्हें 500 रुपये की गड्डी दी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने एक नोट रख लिया और बाकी लौटा दिए। इस पर उनके पिता ने मजाक में ट्रैक्टर की मरम्मत का बिल उन्हें सौंप दिया।
यह घटना दर्शाती है कि पूनमचंद यादव और उनके बेटे के बीच कितना आत्मीयता और मधुरता भरा संबंध था। यह पिता-पुत्र का एक ऐसा संबंध था जिसमें सादगी, प्रेम, और सम्मान की झलक मिलती है।
पूनमचंद यादव का जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो जीवन में संघर्ष करते हुए भी अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर रहते हैं। उन्होंने अपने बच्चों को न केवल शिक्षा दी बल्कि उन्हें समाज में उच्च स्थान पाने के लिए प्रेरित किया।
पूनमचंद यादव का जीवन हमें यह सिखाता है कि सादगी, मेहनत, और परिवार के प्रति समर्पण से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। वे अपने पीछे एक भरा-पूरा और सुसंस्कृत परिवार छोड़ गए, जो आज समाज में उच्च स्थान पर है और लोगों की भलाई के लिए काम कर रहा है। उनका जीवन हम सभी के लिए एक आदर्श और प्रेरणादायक कथा है।