Friday, November 22, 2024
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रामनगरी में शालिग्राम से बनेगी भगवान राम की मूर्ति, जानिए इससे जुड़ी कई दिलचस्प बातें

Shaligram Stones Significance : नेपाल के जनकपुर से अयोध्या में दो दिव्य शालिग्राम शिलाओं को लाया गया हैं, जिनका रामनगरी में भव्य रूप से स्वागत किया गया। सबसे पहले वैदिक रीति-रिवाज से देवशिला की पूजा-अर्चना की गई। फिर उसे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौप दिया गया। हालांकि ‘शालिग्राम शिला’ के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंच रहे हैं। इन शिलाओं (Shaligram Stones Significance) से राम जी के बालस्वरूप की मूर्तियां बनाई जाएंगी। हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह के पावन दिन शालिग्राम का तुलसी के साथ विवाह कराया जाता है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती हैं।

जानिए क्या हैं शालिग्राम

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शालिग्राम, काले रंग के पत्थर होते है। हिंदू धर्म में जिनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं। मान्यता के अनुसार इन पत्थर में भगवान विष्णु का वास होता है। कार्तिक शुक्ल की एकादशी को विष्णु जी ने शालिग्राम (Shaligram Stones Significance) का स्वरूप धारण किया था और वृंदा उसी दिन तुलसी के रूप में उत्पन्न हुई थी। बता दें कि शालिग्राम शिला को भगवान विष्णु का ही एक अवतार माना जाता है, जो केवल नेपाल के गंडकी नदी में ही पाए जाते हैं।

शालिग्राम शिला पूजा का महत्व

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  • विष्णु पुराण के मुताबिक घर में शालिग्राम (Shaligram Stones Significance) की पूजा-अर्चना करना तीर्थ के समान होता है। साथ ही घर-परिवार में शांति, सुख, समृद्धि और वैभव का वास होता है और विष्णु जी का विशेष आशीर्वाद भी मिलता हैं।
  • देवउठनी एकादशी के पावन दिन तुलसी और शालिग्राम (Shaligram Stones Significance) का विवाह कराना चाहिए। इससे दांपत्य जीवन सुखमय होता है। साथ ही भगवान अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं।
  • इसके अलावा जिन लोगों के विवाह में देरी आ रही है या फिर किसी वजह से शादी नहीं हो रही, वो भी इस दिन शालिग्राम (Shaligram Stones Significance) और तुलसी का विवाह करवाय। इससे उनके विवाह का योग बन जाएगा।

Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि southblockdigital.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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