Land For Job Scam Bihar : लैंड फॉर जॉब स्कैम के मामले में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनके पुत्र तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और बेटी मीसा भारती पर लगे गंभीर आरोपों के बावजूद, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सभी आरोपियों को एक-एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी है। इस मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को अपने पासपोर्ट सरेंडर करने का भी आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी।
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Toggleक्या है मामला ?
लैंड फॉर जॉब स्कैम 2004 से 2009 के बीच के उस दौर से जुड़ा है जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर नियुक्ति के बदले जमीन के टुकड़े लिए। दावा है कि इन नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया, जिससे कि यह नियुक्तियाँ नियमों के खिलाफ मानी जा सकती हैं। इसके तहत कथित तौर पर पटना के निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में रेलवे के विभिन्न जोनों में नियुक्त किया गया।
सीबीआई का कहना है कि जमीन की यह सौदेबाजी यादव परिवार के सदस्यों के नाम पर की गई, जिसमें राबड़ी देवी और उनकी बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव के नाम पर डीड के जरिए जमीनों का हस्तांतरण हुआ। आरोप है कि इन नियुक्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता का अभाव था, और इन पदों को हासिल करने के लिए उम्मीदवारों ने यादव परिवार को जमीनें दीं।
जांच और कोर्ट की कार्यवाही
ईडी और सीबीआई ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत जांच की। आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की विभिन्न धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई है। ईडी द्वारा प्रस्तुत सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने समन जारी किए थे, जिसके बाद लालू यादव और उनके परिवार को कोर्ट में पेश होना पड़ा।
समन और पेशी के दौरान की गई कार्रवाईयां
समन जारी होने के बाद लालू यादव, उनके पुत्र तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और बेटी मीसा भारती कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट में सभी आरोपी एक ही टेबल पर बैठे नजर आए। कोर्ट ने समन की तामील की पुष्टि करते हुए आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई की। इसके बाद कोर्ट ने एक-एक लाख रुपये के मुचलके पर आरोपियों को जमानत दी। कोर्ट ने सभी आरोपियों को अपने पासपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है ताकि वे विदेश यात्रा न कर सकें और जांच प्रक्रिया में बाधा न आए।
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मामले पर आरोपियों का पक्ष
जमानत मिलने के बाद तेजस्वी यादव ने इस मामले को राजनीतिक साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि मामले में कोई ठोस आधार नहीं है, और यह उनके खिलाफ एक साजिश का हिस्सा है। तेजस्वी ने कहा कि जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है और उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा है कि उन्हें इस मामले में जल्द ही न्याय मिलेगा।
इस मामले के प्रमुख बिंदु
- पद का दुरुपयोग: लालू प्रसाद यादव पर आरोप है कि उन्होंने रेल मंत्री रहते अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कई नियुक्तियाँ कीं।
- बिना विज्ञापन के नियुक्तियाँ: सीबीआई का दावा है कि इन नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया, जो रेलवे की भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ है।
- जमीन के बदले नौकरी: आरोप है कि यादव परिवार ने इन नियुक्तियों के बदले जमीन के टुकड़े लिए, जिनमें से अधिकांश जमीन यादव परिवार के सदस्यों के नाम पर हस्तांतरित हुई।
- जांच एजेंसियों का हस्तक्षेप: मामले की जाँच केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जा रही है, जिन्होंने आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य वित्तीय अनियमितताओं की जांच की है।
आगे की कार्रवाई और सुनवाई
इस मामले की अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी, जिसमें कोर्ट अन्य कानूनी पहलुओं पर चर्चा कर सकता है। मामले की संवेदनशीलता और राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कोर्ट द्वारा इस मामले में क्या निर्णय लिए जाते हैं।
इस मामले में लालू यादव और उनके परिवार पर लगे आरोप उनके राजनीतिक करियर और आरजेडी की छवि पर असर डाल सकते हैं। यह मामला भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के आरोपों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, और इसका फैसला भविष्य की राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है।