Kotilingeswara Temple: हिंदू धर्म मे भगवान शिव को सभी देवों का देव माना जाता है। अर्थात भगवान शिव सबसे प्रमुख देवता माने जाते हैं। वैसे तो भारत देश मे भगवान शिव के अनगिनत मंदिर हैं और हर मंदिर मे भगवान शिव को समर्पित शिवलिंग भी जरुर स्थापित होता है लेकिन भारत देश के अन्य राज्य मे एक ऐसा मंदिर भी है जहाँ दुनिया का सबसे बङा शिवलिंग स्थापित है। जहाँ हर वर्ष लाखों लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। कोटिलिंगेश्वर मंदिर के खुलने का समय सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक है। आइए जानते हैं उस अद्भुत मंदिर के बारे मे।
भारत देश के कर्नाटक राज्य के कोल्लार जिले में एक शिव मंदिर है जिसे “कोटिलिंगेश्वर मंदिर” के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की सबसे बङी खासियत है कि इस मंदिर में दुनिया का सबसे बङा शिवलिंग है। इस मंदिर में शिवलिंगों के कुल संख्या 1 करोड़ से भी अधिक है। दक्षिण भारत के लोगों में इस मंदिर की बहुत मान्यता है।
कैसे हुआ मंदिर का निर्माण ?
कोटिलिंगेश्वर मंदिर कोन्नार नाम के एक गाँव मे स्थित है। 1980 में सबसे पहले इस जगह पर मंदिर की स्थापना स्वामी संभा शिव मूर्ति ने की थी। उन्होंने सबसे पहले 5 शिवलिंगो को स्थापित किया था। संभा शिव मूर्ति जी की मंदिर मे 1 करोङ शिवलिंग स्थापित करने की इच्छा थी। कुछ वर्षों बाद उनकी मृत्यु हो गई। तब उनके श्रद्धालुओं ने उनकी इच्छा पूरी करने के लिए इस मंदिर मे शिवलिंग स्थापित करने शुरु किए। तब जाकर वर्तमान मे कोटिलिंगेश्वर मंदिर मे 1 करोङ शिवलिंग स्थापित हुए।
कोटिलिंगेश्वर मंदिर की क्या विशेषता है ? Kotilingeswara Temple
कन्नङ भाषा मे कोटि शब्द का अर्थ होता है करोङ। इस मंदिर मे एक करोङ से भी अधिक शिवलिंग है इसलिए इसका नाम कोटिलिंगेश्वर मंदिर रखा गया। इस मंदिर का आकार शिवलिंग के जैसा है। इस मंदिर की सबसे बङी विशेषता यहाँ का विशाल आकार का शिवलिंग है जो दुनिया का सबसे बङा शिवलिंग माना जाता है।
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— Raja M (@Raja1424M) April 24, 2023
इस शिवलिंग का आकार 33 मीटर से भी लंबा है। इस शिवलिंग के ठीक सामने 17 मीटर लंबी नंदी जी की मूर्ति है। शिवलिंग के दोनो ओर पानी की टंकियां लगाई हुई हैं जिससे जल भरकर भक्त शिवलिंग पर जल चढाते हैं। मंदिर में अन्य देवताओं के 11 छोटे मंदिर भी बनाए गए हैं। साथ ही एक ध्यान हॉल भी इस मंदिर से जुङा हुआ है।
कैसे हुई 1 करोङ शिवलिंग की स्थापना ? Kotilingeswara Temple
कोटिलिंगेश्वर मंदिर के एक हॉल में छोटे-छोटे शिवलिंग स्थापित हैं जिनकी संख्या 1 करोङ से भी अधिक है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ भक्त अपनी मन्नत माँगकर जाते हैं और जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तब वह यहाँ एक शिवलिंग स्थापित करके जाते हैं। सभी शिवलिंगों का आकार अलग-अलग होता है। शिवलिंग का आकार भक्तों की इच्छा पर ही निर्भर करता है।