Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने अपने नीति शास्त्र या चाणक्य नीति में जीवन से जुड़े सभी अहम बिंदुओं का उल्लेख किया है। नीति शास्त्र में जीवन को सुखमय एवं सफल बनाने के लिए कई तरीकों के बारें में विस्तार से बताया है। आज हम आपको इस आर्टिकल में उस चीज (Chanakya Niti Shastra) के बारें में बताएंगे, जो धरती पर सबसे बड़ा रोग यानी बीमारी (Disease) है।
जानिए क्या कहती है चाणक्य नीति
- चाणक्य की नीति शास्त्र (Chanakya Niti Shastra) के मुताबिक वासना (Desire) से बड़ा रोग कुछ भी नहीं होता है। वासना के चलते व्यक्ति अपने परिवार को तो खोता ही है। साथ ही समाज में भी उसका मान-सम्मान नहीं होता हैं।
- वासना के अलावा मोह से बड़ा भी कोई रोग नहीं होता है। अपने मोह के कारण इंसान बड़ी से बड़ी परेशानी में पड़ जाता है, जिससे बाहर निकालमे में ही उसका पूरा जीवन चला जाता है। बता दें कि मोह के बराबर व्यक्ति का शत्रु और कोई नहीं होता है। इसलिए अपने मोह को त्याग कर हमको हमेशा अपने ज्ञान को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
- वासना और मोह के अलावा क्रोध भी मनुष्य का सबसे बड़ा रोग होता हैं। नीति शास्त्र (Chanakya Niti Shastra) में क्रोध की तुलना अग्नि से की गई है। इसमें बताया गया है कि इंसान के गुस्से के समान अग्नि का वजूद भी कम हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को हर परिस्थिति में अपने गुस्से पर काबू पाना आना चाहिए।
- नीति शास्त्र (Chanakya Niti Shastra) के अनुसार मूर्ख लोग बुद्धिमान व्यक्ति से बहुत ज्यादा इर्ष्या करते हैं, जिसके चलते वह गलत मार्ग पर चलके कामयाबी को अपनाने का प्रयास करते है। बहरहाल कमाई हुई विद्या को अभ्यास के जरिए सुरक्षित किया जा सकता है। लेकिन अज्ञानी व्यक्ति को जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं।
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