Ram Shiv Yuddh : भगवान शिव को राम का सबसे बड़ा भक्त और उपासक माना जाता हैं। लेकिन दोनों के बीच एक ऐसा समय भी आया था जब श्रीराम और भगवान शंकर के बीच भीषण युद्ध हुआ था। आज हम आपको इस बारें में बताएंगे कि आखिर क्यों दोनों भगवानों के बीच युद्ध हुआ था।
युद्ध का कारण
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, अश्वमेध यज्ञ के दौरान श्रीराम (Lord Ram) और शिव जी (Lord Shiva) के बीच युद्ध हुआ था। अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा, कई राज्यों में गया था। इस बीच घोड़ा राजा वीरमणि के राज्य में भी गया था। ये भगवान शिव के भक्त थे। इसलिए कहा जाता है कि इनके राज्य की रक्षा खुद शिव (Lord Shiva) करते थे। राजा वीरमणि के राज्य में जब अश्व पंहुचा तो उसे बंदी बना लिया गया था। इस वजह से अयोध्या और देवपुर के बीच युद्ध शुरू हो गया।
राजा वीरमणि की रक्षा के लिए महादेव (Lord Shiva) ने वीरभद्र के साथ नंदी, भृंगी समेत शिव के सभी गण भेजे थे। इस प्रकार राम जी और शिव जी की सेना के बीच भीषण युद्ध आरंभ हो गया था। युद्ध में वीरभद्र ने भरत के पुत्र पुष्कल का वध किया और राम के भाई शत्रुघ्न को बंदी बना लिया। कुछ ही समय में श्रीराम जी (Lord Ram) की सेना, युद्ध में हारने लगी। ये देखते हुए खुद राम जी लक्ष्मण और भरत के साथ रणभूमि में पहुंचे।
भगवान श्रीराम (Lord Ram) के बाद अपनी सेना की रक्षा के लिए शिव जी भी युद्ध में पहुंचे। इस तरह भगवान शिव (Lord Shiva) और राम जी आमने-सामने आ गए। श्रीराम ने सबसे पहले पाशुपतास्त्र निकालकर शिव जी पर चला दिया, जो महादेव के हृदयस्थल में समा गया। इसके बाद भगवान रुद्र संतुष्ट हुए और उन्होंने श्रीराम (Lord Ram) से कहा युद्ध से मैं संतुष्ट हूं, अब बताओं कि आपको क्या वर चाहिए।
श्रीराम (Lord Ram) ने वर में खुद को वीरगति और सभी योद्धाओं के लिए जीवनदान देने का वर मांगा। इस प्रकार सभी योद्धा जीवित हो गए। इसके बाद शिव जी (Lord Shiva) की आज्ञा पर राजा वीरमणि ने अश्व को वापस लौटा दिया और युद्ध समाप्त हो गया।
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