Thursday, November 21, 2024
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Israel – Hezbollah War : आखिर कैसे हुआ हिज़बुल्लाह का उदय और कितना खतरनाक है ये आतंकी संगठन ?

Israel – Hezbollah War:1982 के लेबनान युद्ध की शुरुआत और उसके परिणामस्वरूप हिज़बुल्लाह का उदय मध्य पूर्व के क्षेत्रीय राजनीति और सैन्य संघर्षों के महत्वपूर्ण मोड़ थे। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लंबे संघर्ष के संदर्भ में इस युद्ध की जड़ें और इसके परिणाम को समझना महत्वपूर्ण है।

1982 में इजरायली आक्रमण

1970 और 1980 के दशक में, लेबनान में फिलिस्तीनी संगठन फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) काफी सक्रिय था। यह संगठन इजरायल के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में शामिल था, और इसने दक्षिणी लेबनान को अपने हमलों का आधार बनाया। इजरायल के लिए यह एक निरंतर खतरा था, और इस खतरे को समाप्त करने के लिए इजरायल ने लेबनान पर आक्रमण करने की योजना बनाई।

इजरायल ने 6 जून 1982 को “ऑपरेशन पीस फॉर गैलिली” के तहत लेबनान पर आक्रमण किया। इसका प्रमुख उद्देश्य PLO के आधारों को नष्ट करना और फिलिस्तीनी सशस्त्र समूहों को लेबनान से बाहर करना था। इजरायली सरकार ने यह भी आशा की थी कि इस आक्रमण के परिणामस्वरूप, लेबनान में एक नई ईसाई वर्चस्व वाली सरकार स्थापित की जाएगी, जो इजरायल के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाए रखेगी।

इस आक्रमण की आधिकारिक वजह ब्रिटेन में इजरायल के राजदूत श्लोमो अर्गोव पर हमला थी, जिसे अबू निदाल संगठन (जो फतह से टूटकर बना था) के आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। इजरायल ने इस हमले के लिए PLO को दोषी ठहराया, हालांकि हमले में PLO की कोई सीधी भागीदारी नहीं थी। इस घटना ने इजरायल को लेबनान पर आक्रमण करने का बहाना दिया। इजरायली प्रधानमंत्री मेनाकेम बेगिन ने इस हमले के बाद कहा कि PLO का सफाया जरूरी है, और यह कदम इजरायल की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।

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युद्ध के नतीजे

लेबनान में इजरायली सेना ने बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान चलाया। शुरुआती दिनों में ही इजरायली सेना ने PLO के कई ठिकानों को तबाह कर दिया और उन्हें लेबनान के दक्षिणी हिस्से से खदेड़ दिया। अमेरिकी मध्यस्थता के तहत, PLO के सशस्त्र लड़ाकों को लेबनान छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। उन्हें ट्यूनीशिया, यमन और अन्य देशों में निर्वासित कर दिया गया।

हालांकि, इजरायल के आक्रमण का प्रमुख उद्देश्य केवल PLO को समाप्त करना नहीं था। इजरायल ने दक्षिणी लेबनान पर कब्जा करके वहां से सीरियाई बलों को भी बाहर करने का प्रयास किया। इसके अलावा, इजरायल ने एक नई सरकार स्थापित करने की कोशिश की, जिसमें ईसाई नेता बशीर गेमायेल को राष्ट्रपति बनाया गया। इजरायल को उम्मीद थी कि बशीर गेमायेल की सरकार इजरायल के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर करेगी, जिससे इजरायल को लंबी अवधि की सुरक्षा मिल सके।

मगर बशीर गेमायेल की हत्या ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया। 14 सितंबर, 1982 को एक बम धमाके में उनकी हत्या कर दी गई। उनके मारे जाने के बाद, लेबनान में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ गई, और शांति संधि की उम्मीदें समाप्त हो गईं।

हिज़बुल्लाह का उदय

1982 का लेबनान युद्ध कई मायनों में एक असफलता साबित हुआ। इजरायल का उद्देश्य था कि वह PLO को खत्म करके लेबनान में स्थिरता स्थापित करेगा, लेकिन इस युद्ध के परिणामस्वरूप एक और बड़ा खतरा उत्पन्न हुआ – हिज़बुल्लाह।

हिज़बुल्लाह का गठन ईरान द्वारा समर्थित शिया लड़ाकों के एक समूह के रूप में हुआ, जो दक्षिणी लेबनान में इजरायल के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ने लगे। हिज़बुल्लाह ने इजरायल के कब्जे वाले क्षेत्रों में अपने हमलों को तेज कर दिया और धीरे-धीरे एक प्रभावशाली सैन्य और राजनीतिक संगठन के रूप में उभरा। 1985 तक इजरायल ने दक्षिणी लेबनान का अधिकतर हिस्सा छोड़ दिया था, लेकिन हिज़बुल्लाह ने इजरायल के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखा।

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हिज़बुल्लाह और इजरायल के बीच संघर्ष

2000 तक, हिज़बुल्लाह ने इजरायल को लेबनान के अंतिम हिस्सों से भी हटने के लिए मजबूर कर दिया। यह इजरायल के लिए एक बड़ी हार मानी गई, क्योंकि उसके लक्ष्य पूरे नहीं हो सके थे। हिज़बुल्लाह ने अपने सैन्य अभियानों के माध्यम से लेबनान में एक मजबूत स्थिति बना ली और 2006 में इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच फिर से एक बड़ा युद्ध छिड़ा। यह युद्ध 34 दिनों तक चला और इसमें दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इजरायल और हिज़बुल्लाह

आज हिज़बुल्लाह लेबनान में एक प्रमुख राजनीतिक और सैन्य शक्ति है। यह ईरान के समर्थन से अपनी सैन्य क्षमताओं को लगातार बढ़ा रहा है और इजरायल के खिलाफ किसी भी संभावित संघर्ष के लिए तैयार है। इजरायल, जो हिज़बुल्लाह को एक बड़ा खतरा मानता है, उसे खत्म करने के लिए लगातार प्रयासरत है।

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा हाल ही में हिज़बुल्लाह के लीडर हसन नसरल्लाह की हत्या को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम के रूप में बताया गया है। नेतन्याहू का मानना है कि नसरल्लाह की हत्या से क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदल जाएगा और इजरायल को एक महत्वपूर्ण बढ़त मिलेगी।

हालांकि, इजरायल को यह नहीं भूलना चाहिए कि इसी तरह के आक्रमणों और सैन्य कार्रवाइयों ने 1980 के दशक में हिज़बुल्लाह के उदय को बढ़ावा दिया था। यदि इजरायल फिर से हिज़बुल्लाह के खिलाफ अत्यधिक सैन्य कार्रवाई करता है, तो यह लेबनान में और अधिक अस्थिरता पैदा कर सकता है और इजरायल के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा चुनौतियां खड़ी कर सकता है।

1982 का लेबनान युद्ध और इसके परिणामस्वरूप हिज़बुल्लाह का उदय एक जटिल और महत्वपूर्ण घटना है, जिसने मध्य पूर्व की राजनीति और सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डाला है। इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच संघर्ष एक लंबे समय से चल रहा है और दोनों पक्ष अपने-अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संघर्षरत हैं।

 

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