Thursday, September 19, 2024
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Kisan Aandolan: शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन के 200 दिन पूरे, विनेश फोगाट पहुंची शंभू बॉर्डर

Kisan Aandolan : शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन ने शनिवार, 31 अगस्त, 2024 को 200 दिन पूरे कर लिए हैं। यह आंदोलन किसानों की विभिन्न मांगों के लिए 13 फरवरी से चल रहा है और अब भी पूरी ताकत से जारी है। इस ऐतिहासिक आंदोलन में किसान मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी और अन्य महत्वपूर्ण मांगों को लेकर विरोध कर रहे हैं। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, इस आंदोलन ने न केवल पंजाब और हरियाणा बल्कि पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है।

विनेश फोगाट का समर्थन

इस महत्वपूर्ण मौके पर प्रसिद्ध पहलवान विनेश फोगाट भी शंभू बॉर्डर पर पहुंचीं और आंदोलनकारी किसानों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। विनेश फोगाट ने कहा, “हर कोई मजबूरी में आंदोलन करता है। जब लंबा आंदोलन चलता है तो लोगों में उम्मीद आ जाती है। अपने लोग सड़क पर बैठेंगे तो देश तरक्की कैसे करेगा? मुझे लगता है कि अपने हक के लिए सड़क पर आना चाहिए।”

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विनेश फोगाट के इस समर्थन ने आंदोलन में नई ऊर्जा भर दी है। उन्होंने किसानों के संघर्ष और उनकी मांगों को सही ठहराते हुए कहा कि वे खुद भी खेतों में काम कर चुकी हैं और किसानों की समस्याओं को बखूबी समझती हैं। विनेश की उपस्थिति ने आंदोलनकारियों का मनोबल और बढ़ा दिया है, जो पहले से ही सरकार के खिलाफ संघर्ष करने के लिए दृढ़ संकल्पित थे।

13 फरवरी से जारी है आंदोलन

किसानों का यह आंदोलन 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर चल रहा है। शुरूआत में, किसानों ने दिल्ली मार्च की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें दिल्ली की सीमाओं पर ही रोक दिया। इसके बावजूद, किसानों ने हार नहीं मानी और शंभू बॉर्डर पर डटे रहे। अब आंदोलनकारी किसानों की संख्या में और वृद्धि हो रही है, और यह संभावना जताई जा रही है कि खनौरी और रतनपुरा बॉर्डर पर भी बड़ी संख्या में किसान जुटेंगे।

सरकार से संवाद की कोशिशें नाकाम

अमृतसर जिले के किसान नेता बलदेव सिंह बग्गा ने बताया कि किसानों ने सरकार से संवाद स्थापित करने के कई प्रयास किए हैं, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी कई बार पत्र लिखे गए, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला। ऐसा लगता है कि सरकार किसानों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।”

सरकार की इस उदासीनता के कारण किसानों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक सरवन सिंह पंढेर ने किसानों से 31 अगस्त को शंभू और खनौरी पॉइंट पर बड़ी संख्या में एकत्रित होने की अपील की है। पंढेर ने कहा, “यह आंदोलन केवल हमारी रोटी-रोजी का सवाल नहीं है, बल्कि यह हमारे अस्तित्व की लड़ाई है।”

कंगना रनौत के खिलाफ नाराजगी

किसानों ने बॉलीवुड अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की मांग की है। कंगना रनौत ने कुछ समय पहले किसानों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की थीं, जिससे किसान समुदाय में भारी गुस्सा फैल गया था। किसानों का कहना है कि कंगना की टिप्पणियों ने उनके संघर्ष और आंदोलन का अपमान किया है।

किसानों ने भारतीय जनता पार्टी से कंगना के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का आग्रह किया है। वे इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि भविष्य में किसी भी सार्वजनिक हस्ती को किसानों के संघर्ष का मजाक उड़ाने की हिम्मत न हो।

आंदोलन की आगामी रणनीति

शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन के 200 दिन पूरे होने के बाद, किसानों की अगली रणनीति पर भी चर्चा हो रही है। सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि किसानों का हौसला टूटने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि “अगर सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है, तो हम अपने आंदोलन को और भी बड़े स्तर पर ले जाएंगे।”

आंदोलनकारी अब खनौरी, शंभू, और रतनपुरा बॉर्डर पर भी बड़ी संख्या में इकट्ठा होने की योजना बना रहे हैं। यह आंदोलन किसानों की आर्थिक सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए है, और इसे कमजोर नहीं किया जा सकता।

सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार

किसानों के इस लंबे और लगातार जारी आंदोलन के बावजूद, सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सरकार की इस चुप्पी ने आंदोलनकारियों को और भी दृढ़ बना दिया है।

किसानों का कहना है कि “अगर सरकार ने हमारी बात नहीं मानी, तो हम अपने आंदोलन को जारी रखेंगे और इसे और भी व्यापक बनाएंगे।”

इस आंदोलन ने न केवल किसानों की आवाज को मजबूत किया है, बल्कि देश के दूसरे हिस्सों में भी किसानों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाई है। शंभू बॉर्डर पर किसानों का यह आंदोलन भारतीय कृषि के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

शंभू बॉर्डर पर चल रहा किसान आंदोलन देश के किसानों की आवाज को बुलंद कर रहा है। विनेश फोगाट जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों के समर्थन से इस आंदोलन को नई ऊर्जा मिल रही है। सरकार की चुप्पी और किसानों के साथ संवाद की विफलता ने आंदोलनकारियों को और भी दृढ़ बना दिया है।

किसानों की मांगें स्पष्ट हैं: सभी फसलों के लिए MSP की कानूनी गारंटी और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान। जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती, यह आंदोलन जारी रहेगा और भारतीय कृषि की दशा और दिशा को प्रभावित करता रहेगा।

आंदोलन के 200 दिन पूरे होने के बाद, अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार कैसे प्रतिक्रिया देती है और किसानों की मांगों को कैसे पूरा किया जाता है। क्या यह आंदोलन भारत की कृषि नीति में एक नया अध्याय जोड़ेगा या किसानों को और लंबा संघर्ष करना पड़ेगा, यह समय ही बताएगा।

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