Friday, November 22, 2024
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Khanyar encounter: खानयार इलाके में आतंकवाद का खात्मा करने में सुरक्षाबलों की अनोखी रणनीति

Khanyar encounter: शनिवार को जम्मू-कश्मीर के खानयार इलाके में सुरक्षाबलों ने लश्कर-ए-तैयबा के कुख्यात कमांडर उस्मान को मार गिराने में बड़ी सफलता प्राप्त की। यह मुठभेड़ दो साल बाद इतनी बड़ी कार्रवाई के रूप में सामने आई है, जिसने घाटी में सुरक्षा बलों की स्थिति को और मजबूत कर दिया है। इस अभियान को सफल बनाने में सिर्फ आधुनिक हथियारों और तकनीकों का ही नहीं बल्कि बिस्कुटों की भी भूमिका रही, जिसने इस ऑपरेशन को अनोखा बना दिया।

अभियान की रणनीति में बिस्कुटों की भूमिका

इस अभियान के दौरान सेना और पुलिस बलों को एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा, और वह थी आवारा कुत्तों का भौंकना। इन कुत्तों के भौंकने से आतंकवादी सतर्क हो जाते थे, जिससे मुठभेड़ की संभावनाओं पर असर पड़ सकता था। सेना ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए एक अनोखी रणनीति अपनाई। सुरक्षा बलों ने खोजी टीमों को बिस्कुट दिए ताकि वे कुत्तों को भौंकने से रोक सकें और अभियान में निर्विघ्न आगे बढ़ सकें। खोजी दल ने जैसे ही अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाए, उन्होंने बिस्कुटों का उपयोग कर कुत्तों को शांत किया, जिससे बिना किसी रुकावट के अभियान को आगे बढ़ाना संभव हो सका। इस प्रकार, बिस्कुटों ने अभियान की सफलता में अप्रत्याशित योगदान दिया।

योजना और खुफिया जानकारी का सटीक उपयोग

जब खुफिया एजेंसियों को पता चला कि लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर उस्मान की उपस्थिति खानयार इलाके में है, तो सेना ने नौ घंटे लंबी योजना तैयार की। सेना ने इस बार ऐसा अभियान चलाया जिसमें कुत्तों के भौंकने जैसी छोटी बाधाओं का भी ध्यान रखा गया। इस तरह की तैयारी ने न केवल इस ऑपरेशन को सफल बनाया बल्कि सुरक्षाबलों के इस प्रयास ने आतंकियों के खिलाफ बड़ी कामयाबी हासिल की।

उस्मान की घाटी में मौजूदगी और उसका आतंकवादी इतिहास

इस ऑपरेशन के दौरान मारे गए आतंकी कमांडर उस्मान का आतंकवादी इतिहास बहुत पुराना है। 2000 के दशक की शुरुआत में उसने घाटी में कई आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया और फिर पाकिस्तान जाकर अपनी गतिविधियों को और विस्तारित किया। वह 2016-17 के दौरान दोबारा घाटी में घुसपैठ कर वापस सक्रिय हुआ और स्थानीय सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया। पिछले साल उसने पुलिस उपनिरीक्षक मसरूर वानी की हत्या में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस प्रकार, उस्मान की मौत ने सुरक्षा बलों को आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी जीत दी है।

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“द रेसिस्टेंस फ्रंट” पर कड़ा प्रहार

सुरक्षाबलों की इस कार्रवाई से लश्कर-ए-तैयबा की एक ब्रांच “द रेसिस्टेंस फ्रंट” को भी तगड़ा झटका लगा है। इस शाखा का मकसद गैर-स्थानीय मजदूरों और सुरक्षाकर्मियों पर हमला करना रहा है, जिससे घाटी में अस्थिरता बनी रहती थी। उस्मान की मौत से “द रेसिस्टेंस फ्रंट” पर दबाव बढ़ा है और यह मुठभेड़ सुरक्षा बलों के दृढ़ संकल्प और अनोखे दृष्टिकोण को दर्शाती है।

सुरक्षा बलों की अनूठी रणनीति की सफलता

यह मुठभेड़ सिर्फ एक आतंकवादी के खात्मे का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह बताती है कि सुरक्षा बल अपने अभियानों की सफलता के लिए कितनी दूर तक जा सकते हैं और कैसे छोटी-छोटी बाधाओं का भी ध्यान रखते हुए अपनी रणनीतियों को विकसित करते हैं। खानयार में बिस्कुटों का उपयोग करके कुत्तों को शांत करना एक अप्रत्याशित कदम था, लेकिन इसने इस अभियान को सफल बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस मुठभेड़ ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के आत्मविश्वास को बढ़ावा दिया है और आतंकियों को यह संदेश दिया है कि भारत की सुरक्षा प्रणाली किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।

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