Thursday, November 21, 2024
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केरल हाईकोर्ट ने सुनाया नया फैसला, अब तालाक लेने से पहले जान ले ये खास नियम

केरल हाईकोर्ट का तलाक को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सामने आया है। बता दें की केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय तलाक अधिनियम, 1869 की धारा 10ए को रद्द किया जाएगा। इस अधिनियम के अनुसार कोई भी वैवाहित लड़का-लड़की को तलाक लेने से पहले एक साल तक अलग रहना अनिवार्य होता था।
इसमें अदालत का कहना है कि आपसी सहमति से तलाक याचिका दायर करने के लिए एक साल या उससे अधिक समय तक अलगाव की न्यूनतम अवधि का निर्धारण मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और यह पूरी तरह से असंवैधानिक है।

जस्टिस पीठ ने सुनाया ये फैसला

जस्टिस ए मुहम्मद मुस्तकी और जस्टस शोभा अनम्मा की पीठ ने कहा कि तलाक के समय अवधि का इंतजार करना नागरिकों की स्वतंत्रता का अधिकार प्रभावित करना है। केरल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को वैवाहित विवादों में पति-पत्नी के सामान्य कल्याण को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक समान विवाह संहिता पर गंभीरता से विचार करने का निर्देश भी दिए है।

दरअसल ये फैसला एकत युवा ईसाई जोड़े की याचिका पर आया है। इस दंपति की शादी इस साल की शुरुआत में ईसाई रीति-रिवाजों से साथ हुई थी, लेकिन दोनो को लगा की उन्होंने गलती से शादी कर ली है। जिसके बाद गलती का अहसास होने पर दोनों ने इस साल मई में फैमिली कोर्ट के समक्ष एक्ट की धारा 10ए के तहत तलाक की संयुक्त याचिका दायर की थी। लेकिन फैमिली कोर्ट ने यह कहकर याचिका खारिज कर दी कि धारा 10ए के तहत तलाक की याचिका दायर करने के लिए शादी के बाद एक साल तक अलग-अलग रहना अनिवार्य होता है।

जिसके बाद विवाहित दंपति ने फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था। दंपति ने इस एक्ट की धारा 10ए(1) को असंवैधानिक घोषित करने के लिए एक रिट याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट का कहना है कि विधानमंडल ने अपनी समझ के अनुरूप इस तरह की अवधि लगाई थी ताकि पति-पत्नी को आवेश या गुस्से में लिए गए फैसलों पर दोबारा गौर करने का समय मिल जाए और शादियां टूटने से बच जाए।

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