Dhwaj Navami Vrat : पौष माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि का शुभ आरंभ हो चूका हैं। इस मास में कुछ उपाय करने से जीवन में सफलता मिलती है। साथ ही इस माह की शुक्ल पक्ष नवमी को ध्वज नवमी का व्रत रखने का विधान है। इस वर्ष ये दिन शनिवार, 17 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी।
हिन्दू धर्म के अनुसार, इस दिन माँ दुर्गा ने राक्षस रक्तासुर का वध किया था। राक्षस की हार के बाद, देवताओं ने माँ भवानी को ध्वज अर्पित किया था और तभी से इस व्रत (Dhwaj Navami Vrat) का प्रचलन शुरु हो गया था। इस व्रत को नियम अनुसार करने से व्रतकर्ता को हर क्षेत्र में विजय मिलती है। साथ ही उसे चोर, अग्नि, जल, राजा व शत्रु के भय से मुक्ति का वरदान मिलता हैं।
ध्वज नवमी व्रत की कथा
हिन्दू मान्यता के अनुसार, जब श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने युधिष्ठिर को ये बताया कि महिषासुर का वध करने के बाद रक्तासुर राक्षस ने तीनों लोकों का राज्य प्राप्त कर लिया है। उन्होंने ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर इस कार्य को अंजाम दिया। इसके बाद अब वह सभी राक्षसों को एकत्रित कर रहें है, ताकि वह देवताओं की नगरी अमरावती पर आक्रमण कर सकें।
युद्ध का सामना नहीं कर पाने पर, देवता मैदान छोड़ माँ दुर्गा (Ma Durga) के पास गए। देवताओं की प्रार्थना पर माता दुर्गा ने नवदुर्गा के साथ मिलकर कुमारी स्वरूपा भगवती का रूप धारण किया और युद्ध में प्रकट हुई। माँ दुर्गा ने 20 भुजाओं में अलग-अलग हथियार धारण किए और शेर (Lion) पर सवार होकर रक्तासुर की सेना का वध किया । रक्तासुर के गले पर आक्रमण कर माँ दुर्गा (Ma Durga) ने उन्हें नीचे गिराया और त्रिशूल से उनका वध किया।
इस प्रकार माँ दुर्गा से प्रसन्न होकर तमाम देवताओं ने मां भगवती को ध्वज अर्पित किए और उनका विशेष उत्सव मनाया। तभी से भक्तजन इस दिन (Dhwaj Navami Vrat) व्रत रखते है और माँ दुर्गा की उपासना करते हैं।
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