JGGGLCCE: झारखण्ड सरकार द्वारा प्रतियोगी परीक्षा के दौरान मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद करने का फैसला एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। राज्य की विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे सरकार की “नाकाम व्यवस्था को छिपाने का एक और फरमान” बताया है। यह विवाद तब खड़ा हुआ जब राज्य सरकार ने झारखंड सामान्य स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (JGGGLCCE) के दौरान इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने की घोषणा की।
Table of Contents
Toggleझारखंड सरकार का फैसला
राज्य सरकार की आधिकारिक सूचना के अनुसार, 23 और 24 सितंबर को आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान इंटरनेट सेवाएं सुबह 8 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक बंद रहेंगी। सरकार का तर्क है कि यह कदम परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या अनुचित तरीके से नकल रोकने के लिए उठाया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि परीक्षा के संचालन में किसी भी प्रकार की लापरवाही सहन नहीं की जाएगी। सरकार का मानना है कि इंटरनेट सेवाएं बंद करने से परीक्षा में नकल और अन्य अवैध गतिविधियों को रोका जा सकेगा।
भाजपा की आलोचना
भाजपा ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है। पार्टी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि राज्य सरकार परीक्षा में नकल रोकने के लिए फुलप्रूफ व्यवस्था करने में विफल रही है, इसलिए उसने पूरे राज्य के 3.5 करोड़ लोगों के लिए इंटरनेट बंद कर दिया। उन्होंने इस फैसले को “मनमाना” और सरकार की “विफलता” का प्रतीक बताया। भाजपा का तर्क है कि इंटरनेट बंद करने से जनता को असुविधा होगी और यह निर्णय सरकार की अक्षमता को दर्शाता है।
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इससे राज्य में जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सिर्फ मोबाइल इंटरनेट ही नहीं, बल्कि ब्रॉडबैंड सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। सेठ ने कहा कि इंटरनेट सेवाएं स्थगित करने से आम जनता के दैनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न होगी और इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यक सेवाएं भी प्रभावित होंगी।
ये भी पढ़ें : Army Agniveer Result 2024: भारतीय सेना अग्निवीर का परिणाम जारी, ऐसे चेक करें रिजल्ट
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
यह मुद्दा अब राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है। विपक्ष इसे एक बड़े मुद्दे के रूप में उठा रहा है, जबकि राज्य सरकार इसे एक आवश्यक कदम के रूप में देख रही है। भाजपा का आरोप है कि हेमंत सोरेन की सरकार व्यवस्था सुधारने में पूरी तरह विफल रही है और परीक्षा के दौरान नकल रोकने के लिए एक ठोस तंत्र विकसित नहीं कर पाई है। इंटरनेट सेवाएं बंद करने से राज्य के व्यापार, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिसका सीधा असर आम जनता पर होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष इस मुद्दे को आगामी चुनावों में जोर-शोर से उठाएगा। इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने का फैसला सिर्फ परीक्षार्थियों को ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य की जनता को प्रभावित करता है, जिससे यह मुद्दा और भी संवेदनशील हो गया है। झारखंड जैसे राज्य में, जहां इंटरनेट सेवाएं कई क्षेत्रों में पहले से ही सीमित हैं, इस प्रकार का फैसला लोगों के लिए बड़ी समस्या बन सकता है।
प्रशासनिक पक्ष
झारखंड सरकार का कहना है कि इंटरनेट सेवाएं बंद करना परीक्षा के सुचारू संचालन और अनुचित तरीकों को रोकने के लिए अत्यावश्यक है। परीक्षा के दौरान नकल रोकने के लिए पहले भी ऐसे कदम उठाए गए हैं, और कई अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार की नीति अपनाई जाती है। सरकार का यह भी दावा है कि यह फैसला केवल कुछ घंटों के लिए है और इससे किसी को दीर्घकालिक परेशानी नहीं होगी।
हालांकि, तकनीकी विशेषज्ञ और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि इंटरनेट बंद करना समस्या का हल नहीं है, बल्कि यह तकनीकी और प्रबंधन की विफलता को दर्शाता है। विशेषज्ञों का तर्क है कि परीक्षा केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और तकनीकी उपायों के माध्यम से नकल की रोकथाम की जा सकती है, बिना इंटरनेट बंद किए। इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में लोग पूरी तरह से ऑनलाइन सेवाओं पर निर्भर हैं, जिससे इंटरनेट बंद होने से उनके रोजमर्रा के कार्यों में बड़ी बाधा उत्पन्न हो सकती है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
इंटरनेट सेवाएं बंद होने से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। विशेष रूप से छोटे व्यवसाय और छात्र-छात्राएं इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं। ऑनलाइन कक्षाओं और कामकाजी पेशेवरों के लिए इंटरनेट सेवाओं का निलंबन एक बड़ी समस्या है। कई क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाओं के लिए भी आवश्यक हो गई हैं, जिससे इस फैसले का असर और भी गंभीर हो सकता है।
इसके अलावा, झारखंड जैसे राज्य में जहां पहले से ही डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, वहां इंटरनेट सेवाएं बंद करना सरकार की डिजिटल इंडिया मिशन के उद्देश्यों के विपरीत है। इस फैसले से राज्य के डिजिटल विकास में रुकावट आ सकती है और इससे लोगों की जीवनशैली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
झारखंड सरकार का इंटरनेट सेवाएं बंद करने का फैसला एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद कदम है, जिसका व्यापक असर जनता पर पड़ रहा है। भाजपा और अन्य विपक्षी दल इस फैसले को सरकार की विफलता के रूप में देख रहे हैं, जबकि सरकार इसे परीक्षा में अनुचित तरीकों को रोकने के लिए आवश्यक मानती है। इंटरनेट सेवाएं बंद करने के इस मुद्दे ने न केवल राजनीतिक, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी बहस छेड़ दी है। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि सरकार इस मुद्दे को कैसे संभालती है और क्या इससे भविष्य में परीक्षाओं के संचालन के तरीके में कोई बदलाव आएगा।