Thursday, September 19, 2024
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Jammu – Kashmir Election: मुस्लिम इलाके के लिए भी बीजेपी ने बनाया बैकडोर प्लान, जानिए क्या है भाजपा का प्लान

Jammu – Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का माहौल तेजी से गरमा रहा है, और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सत्ता में आने के लिए अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। धारा 370 हटने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है, और इस बार बीजेपी ने अपने दम पर सरकार बनाने का सपना देखा है। इसके लिए पार्टी ने जहां जम्मू रीजन में पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं कश्मीर के मुस्लिम बहुल इलाकों के लिए एक विशेष ‘बैकडोर प्लान’ तैयार किया है।

बीजेपी का अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय 

बीजेपी ने इस बार जम्मू-कश्मीर में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला किया है। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता पूरी तरह से तैयार हैं कि उन्हें अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरना है। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में यह तय किया गया कि बीजेपी जम्मू रीजन की सभी 43 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी, जबकि कश्मीर रीजन की 47 सीटों में से 20-25 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी। बाकी बची सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देकर उन्हें जिताने का प्रयास किया जाएगा।

बैकडोर प्लान: मुस्लिम बहुल इलाकों पर फोकस | Jammu Kashmir Election

बीजेपी ने कश्मीर के मुस्लिम बहुल इलाकों के लिए एक खास बैकडोर प्लान तैयार किया है। पार्टी का मानना है कि जम्मू रीजन में 35-37 सीटें जीतने के बाद, कश्मीर की 10-12 सीटें जीतकर सरकार बनाने का सपना साकार किया जा सकता है। कश्मीर के कई मुस्लिम बहुल इलाकों में बीजेपी खुद चुनाव नहीं लड़ेगी, बल्कि निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन करेगी। इससे पार्टी का सीधा टकराव नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) जैसी पार्टियों से नहीं होगा, जो इन इलाकों में मजबूत पकड़ रखती हैं।

जम्मू रीजन: बीजेपी का किला | Jammu Kashmir Election

जम्मू रीजन को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने इस क्षेत्र में सभी राजनीतिक दलों का सफाया कर दिया था, और किंगमेकर बनकर उभरी थी। इस बार भी पार्टी का पूरा फोकस इसी रीजन पर है। पार्टी को उम्मीद है कि वह जम्मू रीजन की 43 सीटों में से 35-37 सीटें जीत सकती है। यह क्षेत्र हिंदू बहुल है, और पार्टी यहां अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए है।

लोकसभा चुनाव का फॉर्मूला

बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की 5 में से 2 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था और दोनों ही सीटें जीती थीं। पार्टी ने जम्मू और उधमपुर सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि श्रीनगर, बारामूला, और अनंतनाग सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा था। इस रणनीति से बारामूला में NC और PDP के दिग्गज नेता हार गए थे, और निर्दलीय शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद सांसद बने थे। इस बार भी पार्टी इसी रणनीति को विधानसभा चुनाव में लागू करने जा रही है।

निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन

बीजेपी ने कश्मीर के मुस्लिम बहुल इलाकों में निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देने की योजना बनाई है। पार्टी का मानना है कि सीधे चुनावी मैदान में उतरने के बजाय निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देकर वह इन इलाकों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकती है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पार्टी निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन कर सकती है। इससे पार्टी को कश्मीर रीजन की 10-12 सीटें जीतने की उम्मीद है।

दूसरे दलों के दिग्गज नेताओं पर नजर

बीजेपी ने अन्य राजनीतिक दलों के दिग्गज नेताओं पर भी नजर गड़ाई हुई है। पार्टी पीडीपी नेता और महबूबा मुफ्ती सरकार में मंत्री रहे चौधरी जुल्फिकार अली को अपने साथ मिला चुकी है और उन्हें चुनावी मैदान में उतारने की योजना बना रही है। ऐसे ही कई अन्य चेहरों पर भी पार्टी की नजर है, जिन्हें चुनाव से पहले अपने पाले में लाया जा सकता है। परिसीमन के बाद कश्मीर के सियासी समीकरण में बदलाव हुआ है, और पार्टी इसे अपने पक्ष में मोड़ने की पूरी कोशिश कर रही है।

जम्मू और कश्मीर का सियासी समीकरण

जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक समीकरण में काफी बदलाव आया है। जम्मू रीजन में बीजेपी का दबदबा है, जबकि कश्मीर में NC और PDP जैसी पार्टियों का प्रभाव है। लेकिन पिछले तीन सालों में, कई नए राजनीतिक दल भी उभर कर सामने आए हैं, जैसे गुलाम नबी आजाद की प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी, नेशनल अवामी यूनाइटेड पार्टी, नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी, आदि। ये सभी दल कश्मीर रीजन में अपना आधार मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देने की उसकी योजना सफल होगी।

परिसीमन के बाद की चुनौतियां

परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है। नए परिसीमन के अनुसार, जम्मू रीजन में 6 नई सीटें जोड़ी गई हैं, जबकि कश्मीर रीजन में 1 नई सीट जोड़ी गई है। इससे जम्मू रीजन में बीजेपी को फायदा हो सकता है, लेकिन कश्मीर रीजन में उसे अब भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। मुस्लिम बहुल इलाकों में बीजेपी को अपने लिए जगह बनानी होगी, और इसके लिए पार्टी ने निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देने का रास्ता चुना है।

जम्मू-कश्मीर के आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी की रणनीति पूरी तरह से स्पष्ट है। पार्टी जम्मू रीजन में अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है, जबकि कश्मीर रीजन में निर्दलीय उम्मीदवारों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की योजना बना रही है। परिसीमन के बाद बदले हुए राजनीतिक समीकरण में बीजेपी के लिए चुनावी चुनौती बढ़ गई है, लेकिन पार्टी अपने ‘बैकडोर प्लान’ के जरिए इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। अब देखना यह होगा कि बीजेपी की यह रणनीति कितनी सफल होती है और धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का उसका सपना साकार हो पाता है या नहीं।

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