सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के हाथ एक और बड़ी उपलब्धि लगी है। दरअसल, इसरो ने नाविक (जीपीएस) सेवाओं को बढ़ाने के लिए नई पीढ़ी के सैटेलाइट को लॉन्च किया। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से जीएसएलवी-एफ12 (GSLV-F12) रॉकेट पर एनवीएस-1 (NVS-1) सैटेलाइट से अंतरिक्ष में भेजा गया। 2232 किलोग्राम वजन वाला यह उपग्रह NavIC (Navigation with Indian Constellation) सीरीज का हिस्सा है।NVS-1 उपग्रह NavIC की दूसरी पीढ़ी के उपग्रहों में से पहला सैटेलाइट है।
लॉन्च के बाद ISRO चीफ डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि हम सात पुराने NavIC सैटेलाइट के सहारे अपना काम चला रहे थे। उन सात में से भी सिर्फ चार ही काम कर रहे हैं, जबकि तीन खराब हो चुके हैं। अगर हम इन तीनों को बदलते तो बाकी के चार भी खराब हो जाते, इसलिए हमने 5 नेक्स्ट जेनेरेशन NavIC सैटेलाइट NVS छोड़ने का फैसला किया।
कम देशों के पास है ये तकनीक
आपको बता दें कि इस उपग्रह में अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी लगी है। इसरो के अनुसार यह पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी का प्रक्षेपण में उपयोग किया जाएगा। ये एक ऐसी महत्वपूर्ण तकनीक है जो कुछ ही देशों के पास ही है। अंतरिक्ष एजेंसी की मानें तो, वैज्ञानिक पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए आयातित रूबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल करते थे। अब अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र में विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी होगी।
जान लें कि साल 1999 में भारत-पाक के बीच हुए कारगिल युद्ध के दौरान भारत सरकार ने घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों की पोजीशन जानने के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी तब अमेरिका ने GPS सपोर्ट देने से मना कर दिया था। इसके बाद से ही भारत अपना नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम बनाने में जुट गया था।
सेना को मिलेगी और ताकत
ये सैटेलाइट किसी भी स्थान की सबसे सटीक रियल टाइम पोजिशनिंग बताएगा। बताया जा रहा है कि NVC-01 के जरिये भारत का नेविगेशन सिस्टम और मजबूत होगा। साथ ही देश की सीमाओं पर निगरानी रखने में सहायता मिलेगी। भारत समय रहते ही सीमाओं पर होने वाली पड़ोसी देशों की नापाक कारगुजारियों का जवाब देने के लिए तैयार हो सकेगा, जिससे उनकी परेशानी बढ़ेगी। आपात स्थिति में नाविक सैटेलाइट देश की आंख बनकर सुरक्षा एजेंसियों को रास्ता दिखाने का काम कर सकती है।