Friday, November 22, 2024
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Iran – Israel Tesnsion: इस्माइल हनियेह की हत्या फिर भी इज़रायल से आमने-सामने की लड़ाई से क्यों बच रहा हैं ईरान ?

Iran – Israel Tesnsion: ईरान और इज़रायल के बीच हालिया विवाद का केंद्र “पेजर ब्लास्ट” की घटना बन गई है, जिसमें ईरान के राजदूत मोजतबा अमानी गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस विस्फोट के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। इस घटना के बाद, ईरान ने संयुक्त राष्ट्र में अपने अधिकारों की सुरक्षा की बात कही है, जबकि लेबनान और ईरान ने इज़रायल को इस हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया है। यह विवाद इस क्षेत्र में पहले से ही अस्थिरता और तनावपूर्ण माहौल को और बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।

ismail haniyeh

हमास नेता की हत्या

यह घटना उस समय घटित हुई जब ईरान पहले से ही एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे से निपट रहा था। कुछ समय पहले, तेहरान में हमास नेता इस्माइल हानिया की हत्या कर दी गई थी। हानिया की हत्या ने पहले से ही तनावग्रस्त स्थिति को और जटिल बना दिया था। इस हत्या के बाद ईरान ने अपने इरादों को स्पष्ट करते हुए कहा था कि वह इस घटना का बदला लेगा। हालाँकि, अभी तक ईरान ने इज़रायल के खिलाफ किसी बड़े हमले को अंजाम नहीं दिया है, जिससे यह समझ आता है कि ईरान पूर्ण युद्ध और उसके संभावित नुकसान से बचने की कोशिश कर रहा है।

ईरान की रणनीति: सीधी लड़ाई से बचाव | Iran – Israel Tesnsion

पिछले कुछ दशकों में ईरान को युद्ध के भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है, विशेष रूप से इराक के साथ लंबे समय तक चले युद्ध ने देश को आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी नुकसान पहुंचाया था। इस युद्ध के अनुभव ने ईरान को यह सिखाया कि एक और पूर्ण युद्ध उसकी स्थिति को और कमजोर कर सकता है। इसके अलावा, ईरान पर अमेरिका के प्रभाव को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर ईरान इज़रायल पर हमला करता है, तो अमेरिका इस युद्ध में सीधे तौर पर शामिल हो सकता है, जिससे ईरान को और भी बड़े आर्थिक और सैन्य नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

प्रॉक्सी वारफेयर: ईरान की पसंदीदा रणनीति | Iran – Israel Tesnsion

ईरान की वर्तमान रणनीति यह रही है कि वह अपने प्रॉक्सी गुटों, जैसे कि हमास और हिज़बुल्लाह, के माध्यम से अपने हितों की रक्षा करने की कोशिश करता है। पिछले कुछ वर्षों में, ईरान ने इन गुटों को वित्तीय और सैन्य समर्थन देकर अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की है। यह रणनीति ईरान के लिए सीधे युद्ध से बचने का एक साधन रही है। हालांकि, हाल के घटनाक्रमों से यह स्पष्ट है कि ईरान को अब अधिक संसाधनों और रणनीतिक समर्थन की आवश्यकता है ताकि वह अपने हितों की रक्षा कर सके और अपनी प्रॉक्सी रणनीति को और प्रभावी बना सके।

ईरान के सामने चुनौतियाँ

ईरान के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अगर वह इज़रायल पर सीधा हमला करता है, तो इससे न केवल इज़रायल बल्कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश भी इसमें शामिल हो सकते हैं। इससे ईरान को आर्थिक और सैन्य रूप से भारी नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, ईरान के पास पर्याप्त संसाधनों की कमी भी है, जो उसे इस तरह के किसी बड़े संघर्ष में जाने से रोकती है। इस समय ईरान के पास कई आंतरिक और बाहरी मुद्दों से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। उसकी अर्थव्यवस्था पर पहले से ही प्रतिबंधों का भारी बोझ है और घरेलू स्तर पर भी असंतोष बढ़ रहा है।

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ईरान की ‘रेड लाइन’: सुरक्षा और सामरिक धैर्य

ईरान इस समय किसी भी क्षेत्रीय युद्ध से बचने की कोशिश कर रहा है। उसकी रणनीति इस बात पर आधारित है कि जब तक उसकी ‘रेड लाइन’ यानी राष्ट्रीय सुरक्षा, तेल और गैस सुविधाएं, बंदरगाह, बांध और क्षेत्रीय अखंडता सुरक्षित रहती है, तब तक वह सीधे संघर्ष से बचा रहेगा। यह ईरान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वह अपनी सामरिक धैर्य को बनाए रखे और अपने हितों की रक्षा करे।

ईरान के लिए रेड लाइन की सुरक्षा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा का अधिकांश हिस्सा तेल और गैस के निर्यात पर निर्भर करता है। अगर इज़रायल के साथ किसी संघर्ष के दौरान ये सुविधाएं प्रभावित होती हैं, तो इसका सीधा असर ईरान की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा। इसके साथ ही, ईरान की क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा को भी बड़े खतरे का सामना करना पड़ सकता है।

भविष्य की रणनीति: धैर्य या प्रतिशोध?

हालांकि ईरान ने अब तक इज़रायल पर सीधे हमले से परहेज किया है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अपने राजदूत पर हमले के बाद वह क्या कदम उठाएगा। ईरान की रणनीति अभी भी धैर्य और प्रॉक्सी गुटों के सहारे अपने हितों की रक्षा पर आधारित है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में उसे इस रणनीति को पुनर्विचार करने की जरूरत हो सकती है। राजदूत पर हुए हमले के बाद, ईरान को एक ऐसे दुविधा का सामना करना पड़ रहा है, जहां उसे अपने हितों की सुरक्षा के साथ ही अंतरराष्ट्रीय कानूनों और गठबंधनों का भी ध्यान रखना होगा।

ईरान और इज़रायल के बीच विवाद नए मोड़ ले रहा है, और यह स्पष्ट नहीं है कि आने वाले समय में यह किस दिशा में जाएगा। ईरान अपनी सामरिक धैर्य की रणनीति को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, जबकि इज़रायल पर प्रतिशोध के लिए अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय दबाव बढ़ रहा है। भविष्य में दोनों देशों के बीच होने वाले किसी भी प्रकार के संघर्ष का असर पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र पर पड़ेगा, और यह स्थिति वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। ईरान के लिए, इस समय सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि वह अपनी रेड लाइन की रक्षा करते हुए किसी भी प्रकार के क्षेत्रीय युद्ध से बचा रहे।

 

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