Same-sex marriage in India : देश में एक बार फिर समलैंगिक विवाह को कानून बनाने के मुद्दे पर विवाद हो रहा है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें वह समलैंगिक विवाह को कानून बनाने की मान्यता का विरोध कर रहा हैं। हालांकि समान लिंग विवाह और उनके साथ रहने को लेकर पहले भी कई बार लोगों में गुस्सा देखा गया है। आज हम आपको इस आर्टिकल में ये बताएंगे कि हिन्दू धर्म में पुरुष-पुरुष और स्त्री-स्त्री के विवाह (Same-sex marriage) को लेकर क्या मान्यताएं और धारणाएं हैं ?
समलैंगिक विवाह को मिली मान्यता !
लोकमान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में किसी पुरुष का स्त्री में परिवर्तित होने के बाद उसका विवाह पुरुष से हुआ है। लेकिन कभी भी पुरुष-पुरुष और स्त्री-स्त्री के विवाह (Same-sex marriage) का साक्ष्य नहीं मिला है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु और शिव जी के स्त्री रूप के मिलन से देवता अयप्पा का जन्म हुआ था। इसके अलावा एक श्राप की वजह से राजा इल भी स्त्री रूप में परिवर्तित हो गए थे, जिसके बाद उनका विवाह बुध से हुआ था।
हिंदू धर्म के किसी भी पवित्र व महान ग्रंथ में समलैंगिक विवाह (Same-sex marriage) को स्वीकृति नहीं दी गई है। इसके अलावा ये भी बिल्कुल शास्त्र सम्मत नहीं है। इसी वजह से ऋषि-मुनियों, देवता और दैत्यों ने कभी भी समलैंगिक विवाह को इजाजत नहीं दी है और न ही इसका किसी भी शास्त्र में उल्लेख है।
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