Recently updated on July 25th, 2024 at 12:42 pm
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का वादा किया था और वो अपने इसी वादे पर काम भी कर रहे हैं। आप जानते ही होंगे कैसे यूपी STF ने उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी असद को एनकाउंटर में ढेर कर दिया और इसके बाद तीन बदमाशों ने अतीक और अशरफ की हत्या भी कर दी। लेकिन असद के एनकाउंटर से कुछ लोगों को तकलीफ भी बहुत हो रही है। वो इसे धर्म से जोड़ रहे हैं और कह रहे हैं कि योगी सरकार केवल मुस्लिम धर्म के लोगों को ही निशाना बना रही हैं।
खासतौर पर विपक्ष के नेताओं ने योगी सरकार को घेरने के लिए असद के एनकाउंटर में धर्म का एंगल खोज लिया है। जिसके बाद उन्होंने हिंदू-मुस्लिम करना शुरू कर दिया। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने असद के एनकाउंटर को भाईचारे के खिलाफ बता दिया। तो वहीं ओवैसी साहब ने तो कहा दिया कि बीजेपी धर्म देखकर एनकाउंटर करती है।
लेकिन हमारा आपसे सवाल यही है कि इतने बड़े अपराधी को धर्म के चश्मे से देखना कितना सही है? अपराधियों का धर्म निकालकर सियासत करना कहां तक जायज है? इनको अतीक और उसका कुनबा माफिया नहीं बल्कि मुसलमान नजर आ रहा है। ये लोग तो धर्म को मुद्दा बनाकर असद के एनकाउंटर को गलत ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। तो चलिए इसकी सच्चाई जानने के लिए अब कुछ आंकड़ों पर भी नजर डाल लेते हैं।
आपको बता दें कि योगी सरकार ने एक लिस्ट जारी की है, जिसके मुताबिक 2017 से अब तक 183 अपराधी एनकाउंटर में ढेर किए गए है। इन 183 अपराधियों में केवल 57 ही मुस्लिम हैं। वहीं, 126 अपराधी हिंदू हैं।
– योगी सरकार 2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई थी। साल 2017 में 28 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए थे, जिसमें 14 मुस्लिम थे।
– वहीं 2018 में 41 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए, जिसमें 14 मुस्लिम थे।
– जबकि 2019 में 34 अपराधियों का एनकाउंटर हुआ, जिसमें 11 मुस्लिम धर्म से जुड़े लोग शामिल थे।
– 2020 की बात की जाए तो 26 अपराधी मारे गए, जिसमें 5 मुस्लिम थे
– 2021 में 26 अराधी मारे गए, जिसमें 7 मुस्लिम थे।
– 2022 में 14 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए, जिसमें एक मुस्लिम था।
– वहीं 2023 में अभी तक 14 अपराध ढेर हुए, जिसमें 5 मुस्लिम शामिल हैं।
इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि क्या योगी सरकार धर्म देखकर अपराधियों को निशाना बनाती है या सरकार का मकसद अपराध मुक्त उतर प्रदेश बनाना है। फिर पता नहीं क्यों कुछ लोग केवल राजनीति करने के लिए अतीक और उनके कुनबे जैसे खूंखार माफियाओं के हितैषी तक बनने लगते हैं।