Friday, November 22, 2024
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Chandu Champion Review: ‘चंदू चैंपियन’ देखने लायक है या नहीं, यहां देखें फिल्म की अच्छाइयों से लेकर खामियों तक के बारे में सारी डिटेल्स

Chandu Champion Review: कबीर खान के निर्देशन में बनी कार्तिक आर्यन की फिल्म चंदू चैंपियन आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। ये फिल्म एक सच्ची कहानी पर आधारित है, जिसमें मुरलीकांत पेटकर की इंस्पायरिंग कहानी को लोगों के सामने रखा गया है।

मुरलीकांत पेटकर ने एक ख्वाब देखा था कि वह ओलंपिक में मेडल जीतना चाहते हैं और उन्होंने ये करके भी दिखाया, लेकिन इस बीच उन्हें कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, ये फिल्म इसी कहानी को दर्शाती है। मुरलीकांत पेटकर की ये कहानी ऐसी है, जो लोगों को प्रेरणा देती है कि हजार मुश्किलों के बावजूद सच्ची लगन और मेहनत से इंसान पहाड़ों को भी हिला सकता है।

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क्या है कहानी?

आपको बता दें कि चंदू चैंपियन की कहानी चंदू की है, जो चैंपियन बनना चाहता है। शुरूआत में चंदू का सपना होता है एक मशहूर पहलवान बनना लेकिन किस्मत के भंवर में फंसकर वो अचानक हीं फौज में पहुंच जाता है और बॉक्सर बन जाता है।

हालांकि चंदू की मुश्किलें यहीं समाप्त नहीं होतीं, क्योंकि इसके बाद भी किस्मत कुछ ऐसा खेल खेलती है, जो चंदू को उसके सपनों से दूर ले जाती है। हालांकि अपने मजबूत इरादों के साथ चंदू आखिरकार हजार मुश्किलों से लड़ते हुए अपने ख्वाबों को पूरा कर ही लेता है।

फिल्म में रह गई कुछ खास कमियां

हालांकि चाहे इस फिल्म में यूनिक जैसा कॉन्सेप्ट मिसिंग रहा है। ओवरऑल कहा जा सकता है कि चंदू चैंपियन एक प्रेरणात्मक फिल्म है, जो युवाओं को अपने सपनों के लिए लड़ना सिखाती है। हालांकि यहीं सेम कॉन्सेप्ट हमें भाग मिल्खा भाग में भी देखने को मिला था। इसके अलावा भी ऐसी ही कुछ कहानी सलमान खान की फिल्म टूय्बलाइट की भी थी।

डायरेक्शन हो सकता था और भी बेहतर

डायरेक्शन की बात की जाए अगर तो कबीर सिंह बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन निर्देशकों में से एक हैं। उन्होंने एक था टाइगर और बजरंगी भाईजान जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में दी हैं। हालांकि चंदू चैंपियन को देखकर ये साफतौर पर कहा जा सकता है कि कबीर सिंह अपनी पुरानी फिल्माई गई फिल्मों का ही हिस्सा बन रहे हैं।
ये कहा जा सकता है कि इस फिल्म के फाइट और वॉर सीन बेहद ही शानदार हैं और बहुत ही सही ढंग से फिल्माए भी गए हैं। हालांकि इसके बावजूद इस फिल्म की लेंथ कम की जा सकती थी। दूसरी कमी अगर लगी तो कार्तिक आर्यन में। माना कि उन्होंने इस फिल्म में अपनी बॉडी से लेकर एक्शन सीन तक में पूरी ताकत झोंक दी है, जिसके लिए उन्हें 100 प्वाइंट दिए भी जा सकते हैं।

हालांकि इसके बावजूद इमोशनल सीन्स में कार्तिक कहीं ना कहीं कमजोर साबित हुए हैं। उन्हें इमोशंस को थोड़ा मजबूती से कैच करना होगा। इतना जरूर कह सकते हैं कि अगर कार्तिक या डायरेक्टर का फोकस थोड़ा सा फिजीक के बजाय एक्टिंग की बारीकियों को पकड़ने पर होता तो ये फिल्म और भी ज्यादा शानदार हो सकती थी। इसके साथ ही कहानी के सिक्वेंस को भी काफी उलझा दिया गया है, जिसमें अचानक-अचानक से हीं चंदू को दूसरे सपनों की तरफ भागते देखा जा सकता है। ऐसे में यहां डायरेक्शन पर और भी अच्छे से काम किया जा सकता था।

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और अच्छी हो सकती थी फिल्म

कुल मिलाकर ये फिल्म युवाओं के लिए प्रेरणात्मक साबित हो सकती है। खासकर उनके लिए जिन्हें खिलाड़ियों की लाइफ पर बनी फिल्में पसंद हों, लेकिन कहीं ना कहीं मिसिंग सिक्वेंस, इमोशंस क कमी और साथ ही फिल्म की लेंथ लोगों को थोड़ा बोर कर सकती है।

 

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