India-Russia Relationship: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत और रूस के संबंध दिनों-दिन मजबूत होते जा रहे हैं। उन्होंने भारत को एक “महान देश” बताते हुए उसकी आर्थिक प्रगति की सराहना की और सुझाव दिया कि इसे वैश्विक महाशक्तियों की सूची में शामिल किया जाना चाहिए। सोची शहर में आयोजित वालदाई डिस्कशन क्लब कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान पुतिन ने कहा कि भारत और रूस के संबंध लंबे समय से निरंतरता में विकसित हो रहे हैं और विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग में वृद्धि हो रही है।
पुतिन ने भारत की जमकर की तारीफ
पुतिन ने अपने संबोधन में भारत की आर्थिक विकास दर का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत, विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसकी जीडीपी 7.4% की दर से बढ़ रही है। इस तेज गति से बढ़ते अर्थव्यवस्था के कारण भारत अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पुतिन ने कहा कि रूस और भारत के संबंध पुराने हैं, जो सोवियत संघ के समय से लेकर आज तक एक विशेष स्थान पर हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सोवियत संघ ने भारत की स्वतंत्रता में सहयोग किया था, जो दोनों देशों के रिश्तों में एक ऐतिहासिक महत्व रखता है।
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वैश्विक महाशक्ति बन चुका है भारत
पुतिन ने भारत को वैश्विक महाशक्ति के रूप में देखे जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि भारत के पास दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते देशों में से एक बनने की क्षमता है। उन्होंने भारत की विशाल जनसंख्या का जिक्र किया, जो लगभग 1.5 अरब है, और इसकी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को भी विशेष मान्यता दी। उनका मानना है कि भारत की प्राचीन संस्कृति के साथ-साथ इसकी अर्थव्यवस्था में असीम विकास की संभावनाएं हैं, जिससे इसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर और अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिलता है।
भारत और रूस के बीच गहरी मित्रता का उल्लेख करते हुए पुतिन ने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग हर साल बढ़ता जा रहा है। ऊर्जा, रक्षा, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों ने मिलकर कई बड़े कदम उठाए हैं। रूस की ऊर्जा परियोजनाओं में भारत की भागीदारी और भारतीय प्रौद्योगिकी में रूस की रुचि दोनों देशों के संबंधों को और भी मजबूत बनाती है।
पुतिन का यह बयान वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करता है और इस बात को स्पष्ट करता है कि भारत-रूस संबंध सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये विश्व की उभरती हुई वैश्विक संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।