India – Bangladesh Border Challenges : भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर तस्करी के मामले में बीएसएफ और बांग्लादेशी तस्करों के बीच हालिया झड़प एक बार फिर से सीमा सुरक्षा और अवैध गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करती है। पश्चिम बंगाल के बॉर्डर इलाकों में बांग्लादेशी तस्करों द्वारा बीड़ी बनाने वाले पत्तों की तस्करी कोई नई बात नहीं है, लेकिन बीएसएफ की फायरिंग में तस्कर के मारे जाने की घटना दुर्लभ है और इसके पीछे की परिस्थितियाँ जटिल हैं।
जानें घटना क्या है ?
रविवार-सोमवार आधी रात के बाद पश्चिम बंगाल के एक सीमावर्ती इलाके में, बांग्लादेश से अवैध रूप से घुसे तस्करों का एक समूह बीड़ी बनाने वाले पत्तों को लेकर वापस बांग्लादेश जाने की कोशिश कर रहा था। यह समूह बीएसएफ की नजर में आ गया, और जैसे ही बीएसएफ ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तस्करों ने धारदार हथियारों से जवानों पर हमला कर दिया। आत्मरक्षा में बीएसएफ जवानों ने गोली चलाई, जिससे एक तस्कर मारा गया, जबकि बाकी तस्कर भागने में कामयाब हो गए।
ये भी पढ़ें : India – Pakistan Partition 1947 : जानें क्या है उस मशहूर बग्घी की कहानी जिसको लेकर दोनों देशों के बीच विवाद उठ खड़ा हुआ था
मारे गए तस्कर की पहचान अब्दुल्लाह के रूप में हुई, जो बांग्लादेश के चपाइनवाबगंज जिले के सीमावर्ती गांव रिषीपाड़ा का निवासी था। अब्दुल्लाह और उसके साथी बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) की सुरक्षा घेरे को पार कर भारतीय सीमा में घुसे थे और बीड़ी बनाने वाले पत्तों की तस्करी करने की कोशिश कर रहे थे।
तस्करी की समस्या और बीएसएफ की चुनौतियां | India – Bangladesh Border Challenges
बीड़ी बनाने वाले पत्तों की तस्करी पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में एक आम समस्या है। इन पत्तों की तस्करी से तस्कर बड़ी मात्रा में पैसा कमाते हैं, और इसीलिए वे किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं। बीएसएफ के जवानों के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन चुकी है, क्योंकि तस्कर न केवल आधुनिक हथियारों से लैस होते हैं, बल्कि कई बार वे हिंसक प्रतिरोध भी करते हैं।
बीएसएफ के डीआईजी ए के आर्य ने बताया कि बांग्लादेशी तस्करों द्वारा बीएसएफ जवानों पर हमला करने की यह कोई अकेली घटना नहीं है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और मालदा जिले में सीमा चौकियों पर बीएसएफ जवानों पर ऐसे हमले होते रहे हैं। इस क्षेत्र में तस्करों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि वे सीमा पार से आसानी से आ-जा सकते हैं, और बांग्लादेशी सुरक्षा बल (BGB) द्वारा की जाने वाली निगरानी भी अक्सर नाकाफी साबित होती है।
तस्करी के पीछे की वजहें
बीड़ी बनाने वाले पत्तों की तस्करी का एक बड़ा कारण इन पत्तों की मांग और इनसे मिलने वाला मुनाफा है। भारत में बीड़ी बनाने वाले पत्तों का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है, और बांग्लादेश में इसकी भारी मांग है। तस्कर इस मांग का फायदा उठाते हैं और भारत से बांग्लादेश में इन पत्तों की तस्करी करते हैं।
पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में गरीबी और बेरोजगारी भी तस्करी को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारक हैं। कई स्थानीय लोग सीमावर्ती इलाकों में तस्करी को आय के एकमात्र साधन के रूप में देखते हैं, और इसीलिए वे इन अवैध गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं।
बांग्लादेशी तस्करों की बढ़ती गतिविधियां
बांग्लादेशी तस्करों की बढ़ती गतिविधियां दोनों देशों के लिए चिंता का विषय बन चुकी हैं। तस्कर न केवल अवैध रूप से सीमा पार करते हैं, बल्कि वे बीएसएफ जवानों पर भी हमला करने से नहीं चूकते। इन घटनाओं से न केवल सीमा की सुरक्षा पर सवाल उठते हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच तनाव भी बढ़ता है।
बीएसएफ ने इस मामले में बांग्लादेश सरकार से भी हस्तक्षेप की मांग की है ताकि तस्करी और अवैध घुसपैठ को रोका जा सके। बीएसएफ की यह मांग बांग्लादेशी तस्करों की बढ़ती हिंसक गतिविधियों के मद्देनजर और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।