Soan papdi : देश-भर में 24 अक्टूबर, सोमवार को इस बार दिवाली मनाई जाएगी। हिन्दू धर्म में दिवाली, प्रमुख पर्व में से एक हैं। दिवाली आते ही बाज़ार में मिठाइयों व साज-सजावट की दुकाने सज जाती है। इस शुभ दिन लोग एक-दूसरे को गिफ़्ट देने के साथ मिठाइयाँ भी देते हैं और ज़्यादातर लोग मिठाई के नाम पर सोनपापड़ी देते है फिर सामने वाला व्यक्ति किसी और को वो सोनपापड़ी दें देता है और ऐसे ये खेल चलता रहता है और फिर इस तरह घूम-फिरकर वो सोनपापड़ी पहले वाले व्यक्ति के पास आ जाती है। सोनपापड़ी को लेकर हर वर्ष सोशल मीडिया पर कई मीम्स भी बनते हैं और लोग जमकर इस मिठाई के मज़े लेते हैं।
सोनपापड़ी के साथ खेलते है ‘पासिंग द पास’
वैसे कई लोग तो सोनपापड़ी को बहुत पसंद करते है, लेकिन कई लोग इसे बार-बार खाकर ऊब भी चुके हैं। इसलिए, जब भी उन्हें मिठाई के नाम पर सोनपापड़ी मिलती है, वो उसे किसी और को पकड़ा देते हैं और इस तरह हर वर्ष दिवाली पर सोनपापड़ी के डिब्बे के साथ लोग पासिंग द पास खेलते है और कुछ लोग तो दिवाली के आते ही हैप्पी सोनपापड़ी सीज़न भी मनाते है और एक दूसरे को मैसेज भेजकर सोनपापड़ी हफ्ते की हार्दिक बधाई देते हैं।
कौन है सोनपापड़ी की बहन
दुनिया की कई मशहूर मिठाइयों से भी मेल खाती है भारत की सोनपापड़ी। तुर्की में पिस्मानिये नामक मिठाई बहुत मशहूर है, जो भूने हुए आटा, बटर, चीनी और पिस्ता की गार्निशिंग के साथ तैयार होती है। लेकिन भारत में प्राचीन मिठाई सोन पापड़ी को पतीसा की बहन कहा जाता है। पतीसा और सोनपापड़ी में बस एक फर्क ये होता है कि पतीसा थोड़ा ज्यादा सख्त होता है जबकि पापड़ी मुहं में रखते ही घुल जाती हैं।
क्या है सोनपापड़ी का इतिहास
मुंह में जाते घुल जाने वाली इस मिठाई के स्वाद को तो हम बहुत अच्छे से जानते-पहचानते है लेकिन शायद ही इसका इतिहास लोगों को पता होगा। बता दें कि बेसन और मैदे के मिश्रण से बनने वाली इस मिठाई का रंग हल्का पीला और वजन बहुत हल्का होता है। हालाँकि लोगों की सबसे पसंदीदा इस मिठाई का इतिहास के बारे में स्पष्ट कुछ भी नहीं है, कुछ लोगों का मानना है कि ये पश्चिमी महाराष्ट्र में सबसे पहले बनाई गई थी जबकि एक कहानी यह भी है कि इसको सबसे पहले उत्तर प्रदेश राज्य में बनाया गया था। बहरहाल इस मिठाई को पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात में रहने वाले लोग खाना ज्यादा पसंद करते है।