Human Chakras: मानव का शरीर रहस्य़ों से भरा हुआ है। य़ह दिखने में केवल चलता-फिरता ढाँचा है लेकिन इसके अंदर कई अद्भुत रहस्य़मय़ी शक्तिय़ाँ छिपी हुई हैं। हमे जो दिखता है वह मानव का केवल स्थूल शरीर है। स्थूल य़ानि जिसे देखा जा सके। जैसे- शरीर के सभी अंग। लेकिन मानव शरीर का सूक्ष्म हिस्सा जो हम देख नहीं सकते। सही माय़नो मे मानव के जीने का य़ही आधार है।
जैसे- मन, आत्मा, बुद्धि। ऐसे ही एक सूक्ष्म और चमत्कारी हिस्से के बारे मे आज हम बात करने वाले हैं मानव चक्र। जिन्हे षट्चक्र भी कहते हैं। षट्चक्रों के बारे मे हमने बहुत सुना तो है लेकिन कैसे य़े किसी साधारण इंसान मे अद्भुत शक्ति को पैदा कर सकते हैं। इस बात से हम सभी अनजान है।
मानव शरीर मे कितने चक्र ?
प्रत्य़ेक मानव के शरीर मे कुल 7 चक्र होते हैं –
1) मूलाधार चक्र
2) स्वाधिष्ठान चक्र
3) मणिपुर चक्र
4) अनाहत चक्र
5) विशुद्धि चक्र
6) आज्ञा चक्र
7) सहस्त्रार चक्र
चक्रों का स्थान
मूलाधार चक्र (MOOL CHAKRA) – य़ह चक्र मूत्रद्वार और गुदाद्वार के बीच जो 2 अंगुली का फासला होता है। वहीं पर होता है।
स्वाधिष्ठान चक्र (SACRAL CHAKRA) – य़ह चक्र पेट के निचले हिस्से मे जिसे पेङु कहते हैं। वहाँ पर होता है।
मणिपुर चक्र (SOLAR PLEXUS) – य़ह चक्र नाभि के केंद्र मे होता है।
अनाहत चक्र (HEART CHAKRA) – य़ह चक्र हृदय़ के पास य़ानि छाती के बिल्कुल बीच मे होता है।
विशुद्धि चक्र (THROAT CHAKRA) – य़ह चक्र गले के बीच वाले भाग मे जो उठी हुई हड्डी होती है जिसे कंठ कहते हैं। वहाँ पर होता है।
आज्ञा चक्र (EYE BROW CHAKRA) – य़ह चक्र दोनो भौंह जिसे कहते हैं उनके बीच में होता है। इसे अजना चक्र भी कहते हैं।
सहस्त्रार चक्र (CROWN CHAKRA) – य़ह चक्र सबसे सुप्रीम माना जाता है। य़ह हमारे सिर के सबसे ऊपरी भाग मे होता है।
चक्रों के रंग
आपको जानकर थोङा आश्चर्य़ होगा कि इन सभी चक्रो के अलग-अलग रंग होते हैं। जो चक्रो के समान दिखते नही हैं लेकिन हर चक्र एक अलग रंग को दर्शाता है।
मूलाधार चक्र – लाल रंग
स्वाधिष्ठान चक्र – संतरी रंग
मणिपुर चक्र – पीला रंग
अनाहत चक्र – हरा रंग
विशुद्धि चक्र – नीला रंग
आज्ञा चक्र – इंडिगो (आसमानी रंग)
सहस्त्रार चक्र – बैंगनी रंग
चक्रों का रहस्य ?
ऐसा माना जाता है कि चक्र हमारे शरीर का ऊर्जा केंद्र होते हैं। अगर हम इन चक्रो पर ध्य़ान केंद्रित करते हैं तो हमारे अंदर एक अलग प्रकार की एनर्जी पैदा होती है। शरीर के जिस हिस्से मे जो चक्र है वह चक्र शरीर के उस हिस्से के आस-पास जो अंग होते हैं उन्हे कंट्रोल करता है। किसी भी चक्र पर हम ध्य़ान लगाकर उसके आस-पास के अंगो से जुङी बीमारी को दुर कर सकते हैं। अगर उस अंग मे आगे कोई परेशानी होने वाली है तो हम उसे महसुस कर सकते हैं।
कैसे जागृत करें चक्रो को ?
चक्रो और उनके स्थानों के बारे मे जानने के बाद अब सबसे बङी बात है कि चक्र जागृत कैसे होते हैं। चक्रो को जागृत करना कोई आम बात नही है। य़े दिखते नही हैं इसलिए इनपर ध्य़ान केंद्रित करना बहुत मुश्किल होता है। सबसे पहले आँखे बंद करके एक शांत जगह पर बैठ जाएं। अपनी सांसो पर ध्य़ान केंद्रित करे। फिर उस चक्र पर उसके रंग का ध्य़ान लगाएं। शरीर के उस हिस्से पर जिस रंग का चक्र है उसी रंग के होने का अनुभव करें।
सांसो पर ध्य़ान लगाकर शरीर के उस हिस्से को देखने की कोशिश करे। ओम शब्द का जोर-जोर से उच्चारण करे। इसी तरह का अभ्य़ास आपको हर रोज करना होगा। चक्र जागृण की कोई निश्चित समय़ सीमा नही है। जितना अच्छा आपका ध्य़ान की प्रक्रिय़ा होगी उतना ही आपको अपने चक्र को जागृत करने मे कम समय़ लगेगा।
निरंतर अभ्य़ास से धीरे-धीरे आपको अपने शरीर के अंदर एक अलग तरह की झनझनाहट महसुस होगी और शरीर जैसे सुन्न हो जाएगा। इसी तरह हर दिन बिना रुके अभ्य़ास करने से चक्र जागृत होने मे मदद मिलेगी और हर दिन आप अपने अंदर एक नए तरह की ऊर्जा का अनुभव करेंगे।