Parikrama of God : दुनिया में अलग-अलग जगह विभिन्न देवी-देवताओं की मान्यता हैं। जहां पर उनकी पूजा-अर्चना का विशेष महत्त्व है। हर एक मंदिर में, वहां पर स्थापित देवी-देवताओं की विशेष उपासना होती हैं। देवताओं को चावल, अगरबत्ती, मुरमुरे, फूल, लड्डू, ध्वज, नारियल और प्रसाद चढ़ाया जाता हैं। साथ ही भगवान की परिक्रमा करने का भी अपना महत्तव है।
परिक्रमा (parikrama of God) को आसान भाषा में फेरी लगाना भी कहा जाता हैं। देवी-देवता की उपासना के साथ-साथ परिक्रमा की भी अहम भूमिका है। हिन्दू मान्यता के अनुसार, परिक्रमा के बिना पूजा अधूरी मानी जाती हैं।
परिक्रमा के लाभ
परिक्रमा को भगवान (parikrama of God) की साधना करने की ही एक प्रक्रिया माना जाता हैं। इससे भगवान प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों में प्रत्येक देवी-देवता की परिक्रमा का विशेष नियम और लाभ के बारे में बताया गया है। इसलिए नियमों के अनुसार ही परिक्रमा करनी चाहिए। जैसे कि-
- शांत रहते हुए फेरी लगाएं
- बीज में परिक्रमा न छोड़ें
- परिक्रमा जहां से आरंभ करें वहीं उसे समाप्त करें
- जिस देवी-देवता की फेरी लगा रहें है, उन्हीं का मन में ध्यान लगाएं
शास्त्रों में बताया गया है कि धार्मिक स्थलों यानी मंदिरों में दंडवत परिक्रमा करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता हैं।
किस भगवान की कितनी परिक्रमा करें
भगवान शिव जी की आधी परिक्रमा करनी चाहिए। शिवलिंग से दूध व जल की धारा जिस तरफ बहती है, उसे सोम सूत्र कहा जाता हैं। सोम सूत्र को लांघना शुभ और उचित नहीं माना जाता हैं। सूर्य भगवान की सात बार फेरी लगाना शुभ होता हैं। इसके अलावा सूर्य देव के मंत्रों का उच्चारण भी करना चाहिए। मां दुर्गा की एक बार और गणेश जी की तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। विष्णु जी (parikrama of God) की चार बार परिक्रमा लगानी चाहिए। अन्य देवी-देवताओं की तीन बार परिक्रमा लगानी चाहिए।
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