Serial Killer Ravinder Kumar: दिल्ली के खतरनाक सीरियल किलर जिसे 30 बच्चों के साथ रेप और उनकी हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था उसे कोर्ट ने दोषी करार कर दिया है। फिलहाल आरोपी रविंद्र कुमार को कितने समय की सजा दी जाएगी इसको तय नहीं किया गया है। पुलिस के मुताबिक, रवींद्र अपना शिकार तलाशने के लिए 40 किलोमीटर तक का सफर तय करता था। वह शोषण करने और फिर मारने के लिए ऐसे बच्चे की तलाश करता था। उसने 2008 और 2015 के बीच कथित तौर पर 30 नाबालिगों को अपना शिकार बनाया। उसका सबसे छोटा शिकार मुश्किल से दो साल का था, जबकि उसका सबसे बड़ा विक्टिम बारह साल का था। बीते शनिवार को कोर्ट ने उसे हत्या और नाबालिगों के साथ रेप के अपराध में दोषी ठहराया है। चलिए जानते हैं दिल्ली के इस सीरियल किलर की कहानी।
भूतिया फिल्मों ने किया मेंटली प्रभावित
साल 2008 से पहले रविंद्र को भूतिया फिल्में देखने को शौक चढ़ा था। तभी से वह एक सीरियल किलर बनना चाहता था। इस दरिंदे की घिनौनी हरकत तब शुरू हुई जब उसने सीडी प्लेयर पर कुछ अश्लील डरावनी फिल्में देखना शुरू कर दिया। उसने बचपन में एक अंग्रेजी फिल्म देखी थी, जिसमें तीन लोग बच्चों की हत्या कर उनसे कुकर्म या दुष्कर्म करते थे। बस इस फिल्म ने उसे मेंटली प्रभावित किया। अब वो भी ऐसा करने की सोचना लगा। वह फिल्म देखने के बाद शराब पीता और सूखे नशे भी करता।
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आपको बता दें कि रविंद्र कुमार पेशे से एक मजदूर था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसने 2008 में पहली बार एक बच्चे को अगवाकर अपना शिकार बनाया था। उस समय उसकी उम्र केवल 15 साल थी। किलर ने पुलिस को बताया कि अब तक वह 30 बच्चों को टारगेट कर चुका है। वह पहले बच्चों को अगवा करता था और फिर उन्हें अपनी हवस का शिकार बना लेता था। इतना ही नहीं आरोपी बच्चों के साथ दुष्कर्म करने के बाद उन्हें जान से मार देता था। गौरतलब है कि उसकी इस घटना की भनक किसी को कानों-कान नहीं लगी। कई साल इसी तरह बीत गए और वह मासूम बच्चों को अपना शिकार बनाता चला गया। दरअसल, वह उन बच्चों को अपना टारगेट बनाता था जो गरीब हो या उनको मां-बाप उनकी पैरवी नहीं कर पाते। इस कारण उसे ऐसा लगता था कि वह कानून नहीं तोड़ रहा है। और यह सिलसिला इस तरह कई सालों तक चलता रहा ।
रात के बनाता था मासूम बच्चों को शिकार
रात को जब मजदूर थक जाते तो रवींद्र अपने शिकार की तलाश में निकल पड़ता। वह सुबह 8 से 12 बजे के बीच अपना निशाना ढूंढ लेता था। वह बच्चों को 10 रुपये के नोट या चॉकलेट का लालच देकर अपने पास आने के लिए फुसलाता था। फिर वह उन्हें किसी दूरस्थ स्थान पर ले जाकर उनके साथ खिलवाड़ करता। उसने अपने पीड़ितों में से अधिकांश को मार डाला था। उसे डर था कि उसके अपराध का सच किसी को पता ना चल जाए।
सच जानकर पुलिस के उड़े होश
पुलिस के मुताबिक, पूछताछ के दौरान रविंद्र ने जो कुछ भी खुलासा किया, उसे सुनकर पूरी टीम हैरान रह गई। उसने अपने अपराध के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इतना ही नहीं, बल्कि उसे अपने लगभग सभी पीड़ितों के नाम भी याद थे। बेगमपुर थाने के एक पूर्व अधिकारी जगमिंदर सिंह दहिया ने 2015 में रविंद्र कुमार और उसके दस्ते को पकड़ा था। उन्होंने इस सीरियल किलर को पीडोफाइल के साथ-साथ नेक्रोफाइल भी कहा था। उन्होंने कहा कि पूछताछ के दौरान रविंद्र ने दावा किया था की उसने उन लड़कियों को मौत के घाट उतारा है जो दुष्कर्म के समय नियंत्रित नहीं हो पा रही थी। दहिया का कहना है कि सभी पीड़ित ग्रामीण क्षेत्रों से थे और आर्थिक रूप से कमजोर थे। इस कारण वह अपने अपराध को इतने लंबे समय तक अंजाम दे सका ।
जाने कैसे पुलिस के हाथ लगा सीरियल किलर?
दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड एसीपी जगमिंदर दहिया ने 2014 में 21 साल के रविंद्र को गिरफ्तार किया था। उस समय दहिया इस केस की जांच कर रहे थे। उन्होंने बताया कि बेगमपुर थाना इलाके में एक बच्चे के साथ दुष्कर्म करने के बाद आरोपी ने उसका गला काट दिया। इसके बाद बच्चे को नाले में फेंक के वह मौके से फरार हो गया। नाला उस समय सूखा था व रेत से भरा हुआ था जिस कारण घायल बच्चे का खून निकलना बंद हो गया और वह बच गया। रविंद्र को लगा की वह मर गया है, लेकिन एक बीट कांस्टेबल ने बच्चे को नाले में देखकर बचा लिया।