Hindenburg Report and Opposition: हिंडनबर्ग रिसर्च ने 10 अगस्त को एक रिपोर्ट जारी कर सेबी (SEBI) प्रमुख माधबी बुच और उनके पति पर बड़ा आरोप लगाय है. दरअसल, हिंडनबर्ग द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सेबी (SEBI) प्रमुख माधबी बुच और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस के उस फंड में निवेश किए जिसमें अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदानी के भाई विनोद अदाणी ने पैसा इनवेस्ट किया हुई है.
साथ ही हिंडनबर्ग ने आरोप लगया है कि इस फंड का इस्तेमाल अदानी समूह भारत में अपने शेयर को मैनुपुलेट करने में कर रहा था। आपको बता दे कि हिंडनबर्ग रिसर्च के इन आरोपों को सेबी चीफ माधवबी बुच ने निराधार बताते हुए खारिज किया है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के सहारे विपक्ष ने केंद्र की मोदी सराकार को घेरा है.
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि भारत के बाजार में निवेश के प्रति सुरक्षा की भावना जगाने के लिए सेबी की प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापना केवल एक निष्पक्ष और गहन जांच ही कर सकती है।
अखिलेश यादव का बयान
अखिलेश यादव ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि सेबी की प्रतिष्ठा को बहाल करने के लिए एक निष्पक्ष और गहन जांच की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि निवेशकों का विश्वास बहाल करने और बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए यह जांच अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके अनुसार, इस जांच के बिना बाजार में निवेश की सुरक्षा को लेकर जो शंकाएं उत्पन्न हुई हैं, उन्हें दूर करना मुश्किल होगा।
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गहन-जांच की आवश्यकता | Hindenburg Report and Opposition
अखिलेश यादव के इस बयान के पीछे की सोच यह है कि जब तक सेबी के कार्यों की एक निष्पक्ष और गहन जांच नहीं की जाती, तब तक निवेशकों का विश्वास बहाल नहीं किया जा सकता। सेबी के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, उनकी गंभीरता को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि इन आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाए। इससे न केवल सेबी की प्रतिष्ठा बहाल होगी, बल्कि निवेशकों के मन में भी यह विश्वास जागेगा कि भारत का वित्तीय बाजार सुरक्षित और पारदर्शी है।
देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव| Hindenburg Report and Opposition
सेबी प्रकरण का देश की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। निवेशकों की असुरक्षा की भावना और बाजार में आई अस्थिरता के कारण कई निवेशकों ने अपने निवेश वापस ले लिए हैं, जिससे बाजार में गिरावट देखने को मिली है। ऐसे में अखिलेश यादव का यह कहना कि सेबी प्रकरण की गहन-जांच देश की अर्थव्यवस्था की अपरिहार्यता बन चुकी है, एक बहुत ही महत्वपूर्ण और समयानुकूल बयान है।