Hezbollah : लेबनान और सीरिया के कुछ इलाकों में मंगलवार को हुए सीरियल पेजर ब्लास्ट ने दुनिया का ध्यान फिर से पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष की ओर खींचा है। इन धमाकों में कई लोगों की जान चली गई, जबकि हजारों लोग घायल हो गए। इस घटना के बाद एक बार फिर इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच के तनाव ने तूल पकड़ा है।
हिजबुल्लाह ने इस घटना के लिए सीधे तौर पर इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि इजरायल की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस आरोप के पीछे का कारण यह है कि एक रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने इस पूरे ब्लास्ट की योजना पांच महीने पहले ही बना ली थी और पेजर्स में विस्फोटक पहले से ही फिट कर दिए थे।
यह दावा न्यूयॉर्क टाइम्स और स्काई न्यूज अरबिया जैसी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर किया गया है। इस घटना से ताइवान की कंपनी गोल्ड अपोलो भी सवालों के घेरे में आ गई है, जिसने ये पेजर्स हिजबुल्लाह को सप्लाई किए थे।
पेजर ब्लास्ट का संदर्भ और इजरायल पर संदेह
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हिजबुल्लाह ने इस साल अप्रैल और मई के बीच ताइवान की गोल्ड अपोलो कंपनी से तीन हजार पेजर्स का ऑर्डर दिया था। इन पेजर्स को लेबनान भेजा गया था, लेकिन कहा जा रहा है कि इन पेजर्स में विस्फोटक इजरायल द्वारा फिट किए गए थे।
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच लंबे समय से जारी तनाव के मद्देनजर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इजरायल ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया हो सकता है। बताया जा रहा है कि जब ये पेजर्स लेबनान पहुंचे, तब तक उनमें विस्फोटक फिट कर दिए गए थे। इस घटना से इजरायल पर संदेह गहराता जा रहा है क्योंकि इन पेजर्स की डिलीवरी के समय और दोनों पक्षों के बीच बढ़ते तनाव के समय में सीधा संबंध दिखता है।
इस संदर्भ में इजरायल पर संदेह गहराने का एक और बड़ा कारण यह है कि इससे पहले भी इजरायल ने इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया है। 1996 में इजरायल ने हमास के नेता याहया अयाश की हत्या के लिए उनके फोन में 15 ग्राम RDX विस्फोटक प्लांट किया था। यही वजह है कि पेजर ब्लास्ट के मामले में भी इजरायल पर उंगलियां उठ रही हैं।
विस्फोटक का प्रकार और तकनीकी विवरण
अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि इन पेजर्स का मॉडल नंबर AP924 था। हर पेजर में बैटरी के बगल में एक से दो औंस का विस्फोटक रखा गया था। इस विस्फोटक को दूर से एक्टिवेट किया जा सकता था। रिपोर्ट्स के अनुसार, लेबनान में दोपहर 3:30 बजे पेजर्स पर एक संदेश आया, जिससे यह विस्फोटक सक्रिय हो गया। इस दौरान पेजर से पहले कुछ सेकंड तक बीप की आवाज आई और फिर विस्फोट हुआ।
स्काई न्यूज अरबिया की रिपोर्ट के अनुसार, मोसाद ने इन पेजर्स में PETN (Pentaerythritol Tetranitrate) नाम का विस्फोटक फिट किया था। PETN एक प्रकार का शक्तिशाली विस्फोटक है जिसे आमतौर पर छोटे उपकरणों में इस्तेमाल किया जाता है। इसे पेजर की बैटरी के तापमान को बढ़ाकर सक्रिय किया गया। विस्फोटक का वजन 20 ग्राम से भी कम था, लेकिन यह अत्यधिक घातक साबित हुआ।
विस्फोटक को पेजर की बैटरी के पास ही फिट किया गया था ताकि इसे आसानी से बैटरी के तापमान को बढ़ाकर एक्टिवेट किया जा सके। PETN का उपयोग बेहद सटीक तरीके से किया गया था, ताकि इसे दूर से नियंत्रित किया जा सके और बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया जा सके।
ताइवान की गोल्ड अपोलो कंपनी के ऊपर उठ रहे सवाल
इस घटना के बाद ताइवान की कंपनी गोल्ड अपोलो भी जांच के घेरे में आ गई है। हिजबुल्लाह ने तीन हजार पेजर्स का ऑर्डर इस कंपनी को दिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन पेजर्स को अप्रैल और मई के बीच लेबनान भेजा गया था, लेकिन इस बीच इन पेजर्स के साथ छेड़छाड़ की गई थी।
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कंपनी इस छेड़छाड़ में शामिल थी या नहीं, लेकिन इस घटना के बाद उसकी भूमिका की जांच की जा रही है।
गोल्ड अपोलो कंपनी का इतिहास और प्रतिष्ठा भी अब सवालों के घेरे में है। कई विश्लेषकों का मानना है कि अगर कंपनी इस छेड़छाड़ में शामिल नहीं थी, तो भी उसकी सुरक्षा और मानकों की कमी के कारण इस तरह की घटना संभव हो पाई। यह सवाल उठता है कि अगर ताइवान की कंपनी को इस बात की जानकारी नहीं थी, तो विस्फोटक पेजर्स में कैसे फिट किए गए। इससे कंपनी की गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रियाओं पर भी सवाल उठता है।
इजरायल की रणनीति और मोसाद की भूमिका
मोसाद, इजरायल की खुफिया एजेंसी, को दुनिया की सबसे कुशल खुफिया एजेंसियों में से एक माना जाता है। मोसाद का इतिहास हमेशा से गुप्त और जटिल ऑपरेशनों से भरा रहा है। इससे पहले भी मोसाद ने कई हत्याएं और विस्फोटक प्लांटिंग के ऑपरेशन्स को अंजाम दिया है, जिनमें दुश्मनों के खिलाफ लक्षित हमले शामिल हैं। हिजबुल्लाह के खिलाफ मोसाद के कई खुफिया ऑपरेशन्स हो चुके हैं, और इस बार भी यह कहा जा रहा है कि पेजर ब्लास्ट का पूरा प्लान मोसाद द्वारा ही तैयार किया गया था।
मोसाद की खुफिया गतिविधियों के तहत, ये पेजर लेबनान पहुंचने से पहले ही छेड़छाड़ की गई थी। इस पूरे ऑपरेशन में एक बड़ा सवाल यह भी है कि इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच लंबे समय से चल रहे संघर्ष के बावजूद, इजरायल कैसे इन पेजर्स को छेड़छाड़ करके भेजने में सफल हुआ। यह भी बताया जा रहा है कि पेजर्स में लगे विस्फोटकों को इजरायल ने ही तैयार किया था और मोसाद ने इसे अंजाम तक पहुंचाया।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और आगे की चुनौतियां
इस घटना के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भी प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। लेबनान और सीरिया की जनता पहले ही संघर्षों से जूझ रही है, और इस तरह की घटनाएं क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा सकती हैं। हिजबुल्लाह ने स्पष्ट रूप से इजरायल को दोषी ठहराया है, लेकिन इजरायल की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
यह घटना पश्चिम एशिया में पहले से चल रहे राजनीतिक और सैन्य संघर्ष को और जटिल बना सकती है।
अमेरिका और यूरोप के देश इस घटना को लेकर सतर्क हैं और यह देख रहे हैं कि इससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। इस ब्लास्ट के बाद यह भी संभावना है कि इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच तनाव और बढ़े, जिससे नए सिरे से संघर्ष छिड़ सकता है।
इजरायल के लिए यह घटना भी उसकी रणनीति का एक हिस्सा हो सकती है, जहां वह हिजबुल्लाह को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इसके लिए उसे अंतर्राष्ट्रीय आलोचना का भी सामना करना पड़ सकता है।