Friday, November 22, 2024
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नहीं चल पाई सिसोदिया की कोई भी दलील, फिर टली जमानत अर्जी पर सुनवाई

पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को मंगलवार भी कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट द्वारा विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल के समक्ष लाए गए दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आज, 21 तारीख को सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई होनी थी। हालांकि प्रारंभिक प्रस्तुतियों के बाद अदालत ने मामले को गुरुवार 24 मार्च को दोपहर 2 बजे अतिरिक्त बहस के लिए निर्धारित किया गया है।  

सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। तब से वह सीबीआई, ईडी और न्यायिक हिरासत में रहे। इससे पहले सोमवार को अदालत ने सीबीआई मामले में उनकी न्यायिक हिरासत को दो और सप्ताह के लिए बढ़ा दिया था। आज सिसोदिया की जमानत अर्जी को विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने सूचीबद्ध किया गया था और इस मामले में सुनवाई की। सिसोदिया की ओर से उनके वकील दयान कृष्णन ने और CBI की ओर से डीपी सिंह ने अपनी दलीले पेश की। 

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बीमार पत्नी का दिया हवाला

जमानत के लिए सिसोदिया की तरफ से वकील कृष्णन ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि हिरासत में पूछताछ हो चुकी है। सभी शर्तें अब नहीं रह गई हैं। हम उस अवस्था को पार कर चुके हैं। इसमें अब तक कुछ भी असाधारण नहीं निकला है, जिससे आरोपी को लगातार हिरासत में रखा जाये। ये दिखाने के लिए कोई साम्रगी नहीं है कि आरोपी गवाहों को प्रभावित करेगा। इस दौरान सिसोदिया के वकील की तरफ से उनकी बीमार पत्नी का भी हवाला दिया गया। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी एक अपक्षयी बीमारी से पीड़ित है, इसलिए उनका हिरासत से बाहर होना आवश्यक हो गया है। सिसोदिया यहां आसानी से उपलब्ध हैं और उनके ठिकाने का पता चल गया है, इसलिए डरने की कोई जरूरत नहीं है कि वह भाग जाएंगे। इस दौरान उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, यह भी तर्क दिया गया था कि जब मामला दस्तावेजी साक्ष्य के इर्द-गिर्द घूमता है तो आरोपी को जेल में रहने की आवश्यकता नहीं है।

जमानत का किया गया विरोध

सीबीआई जिसका प्रतिनिधित्व डीपी सिंह ने किया था उन्होंने तर्क दिया कि उनके (आरोपी के) पास गवाहों की विश्वसनीयता के साथ छेड़छाड़ करने और सबूतों को मिटाने की शक्ति है। जिस व्यक्ति के साथ हम काम कर रहे हैं, वह 18 मंत्रालयों की देखरेख करते हैं। उनको सारी जानकारी थी। सीबीआई ने सिसोदिया के वकील की दलील का विरोध करते हुए ये कहा कि आबकारी मामले में एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को रवि धवन द्वारा तैयार किया गया था। वह आबकारी मामले की रिपोर्ट देखकर डिस्टर्ब हो गए। सिसोदिया ने पहले रवि धवन को हटाया और फिर वो राहुल सिंह को लेकर आए। इसके बाद आबकारी नीति में बदलाव किए गए।  उसके बाद आबकारी नीति बनाकर कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया गया। 

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आपको बता दें कि सिसोदिया 22 मार्च तक ईडी की हिरासत में है। दोपहर 2 बजे उनको पेश करने का आदेश दिया गया था। 17 तारीख को सिसोदिया की रिमांड की सीमा पांच दिनों के लिए बढ़ा दी गई थी। ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे जोहेब हुसैन ने पिछली सुनवाई में दलील दी थी। ED ने अदालत को बताया कि सिसोदिया की हिरासत के दौरान कई अहम जानकारी मिली है। उनका कई लोगों से उनका सामना कराना है। उन्होंने यह भी कहा कि फोरेंसिक डेटा, मोबाइल डेटा और क्लाउड डेटा एकत्र किए गए हैं और उनका मूल्यांकन किया जा रहा है। 1.23 लाख ईमेल हैं और जांच से संकेत मिलता है कि 22 जुलाई, 2022 को इसे बदलने से पहले वह 8 महीने से अधिक समय से मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे थे।

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