Haryana Vidhansabha Election 2024: हरियाणा में विधानसभा चुनावों का माहौल गरम हो चुका है, और सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियाँ अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर रही हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस ने भी अपनी पहली सूची जारी की है, जिसमें 32 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं।
मौजूदा 28 विधायकों को फिर से टिकट दिया गया है, और लाडवा विधानसभा सीट से मेवा सिंह को मैदान में उतारा गया है। मेवा सिंह हरियाणा की राजनीति का एक बड़ा नाम हैं, जिन्होंने कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस बार उनका मुकाबला हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से होगा, जिससे लाडवा सीट हॉट सीट बन चुकी है।
कौन हैं मेवा सिंह?
मेवा सिंह का राजनीतिक करियर तीन दशकों से भी अधिक लंबा है। उन्होंने 1985-86 में राजनीति में कदम रखा, और उनके सियासी सफर की शुरुआत सरपंच पद से हुई थी। ज़मीनी स्तर पर राजनीति का अनुभव प्राप्त करने के बाद उन्होंने बड़े राजनीतिक मंचों की ओर रुख किया। उनकी मेहनत और लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता ने उन्हें कुरुक्षेत्र जिला परिषद का अध्यक्ष बनाया। इसी दौरान वे इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ जुड़ गए और वहां से उनका राजनीतिक प्रभाव और भी बढ़ा।
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हालांकि, मेवा सिंह की सियासी यात्रा में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने 2009 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। यह चुनाव उनके लिए बड़ी चुनौती साबित हुआ क्योंकि वे महज 21,775 वोट ही हासिल कर पाए और इनेलो के शेर सिंह बड़शामी से हार गए। लेकिन इस हार से वे हतोत्साहित नहीं हुए और अपनी राजनीतिक रणनीतियों पर फिर से काम करना शुरू किया।
कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय | Haryana Vidhansabha Election 2024
2011 में मेवा सिंह ने बीजेपी को अलविदा कह दिया और कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया। कांग्रेस में उनका आना पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी, क्योंकि इससे पार्टी को लाडवा क्षेत्र में एक सशक्त नेता मिल गया। लेकिन मेवा सिंह की राजनीतिक यात्रा में एक और बड़ा मोड़ 2014 में आया, जब वे जेबीटी घोटाले में दोषी ठहराए गए और चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिए गए। इस वजह से उनकी पत्नी, बचन कौर, ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
2019 में जीत की वापसी
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में मेवा सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, और इस बार उन्होंने बीजेपी के पवन सैनी को हराकर जीत हासिल की। यह जीत मेवा सिंह के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी, क्योंकि उन्होंने 12,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में मेवा सिंह ने 57,665 वोट हासिल किए थे, जबकि पवन सैनी को 45,000 से ज्यादा वोट मिले थे। यह जीत उनके राजनीतिक करियर में एक नई शुरुआत के रूप में देखी जा सकती है, जिसने उन्हें हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरे के रूप में स्थापित किया।
लाडवा हॉट सीट के तौर पर देखा जायेगा
लाडवा विधानसभा सीट हरियाणा की राजनीति में हमेशा से ही खास रही है, लेकिन इस बार के चुनावों में यह सीट और भी महत्वपूर्ण बन चुकी है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के मेवा सिंह और बीजेपी के नायब सैनी के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा। इस मुकाबले ने लाडवा सीट को हरियाणा की “हॉट सीट” बना दिया है।
लाडवा विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास भी काफी दिलचस्प रहा है। इस सीट पर हर चुनाव में सत्ता परिवर्तन होता रहा है। साल 2009 में इनेलो ने यहां जीत दर्ज की थी, 2014 में बीजेपी और 2019 में कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा किया। इस बार देखना होगा कि लाडवा की जनता किसे अपना नेता चुनती है और क्या इस बार भी सत्ता परिवर्तन होगा या फिर कोई उम्मीदवार लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर पाएगा।
मेवा सिंह की रणनीति और चुनौतियाँ
मेवा सिंह के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी होंगे। मुख्यमंत्री पद की ताकत और बीजेपी की मजबूत चुनावी मशीनरी को देखते हुए यह मुकाबला आसान नहीं होगा। इसके अलावा, लाडवा क्षेत्र में विकास और स्थानीय मुद्दों पर जनता की राय भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मेवा सिंह की रणनीति इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर जोर देने की हो सकती है, जिसमें किसानों के मुद्दे, बेरोजगारी, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं का विकास प्रमुख रहेंगे।
इसके अलावा, कांग्रेस की राज्य स्तर पर स्थिति और पार्टी नेतृत्व की दिशा भी चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है। हाल ही में कांग्रेस ने अपनी संगठनात्मक ढांचे में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो चुनावी रणनीति में भी दिखाई दे सकते हैं। मेवा सिंह की छवि एक ज़मीनी नेता की रही है, और वे जनता के बीच लगातार सक्रिय रहे हैं। ऐसे में उनकी यह छवि उन्हें फायदा पहुंचा सकती है।
लाडवा के चुनावी समीकरण
लाडवा की जनसंख्या संरचना भी चुनावी नतीजों को प्रभावित करने वाली एक महत्वपूर्ण कारक हो सकती है। इस क्षेत्र में जाट और गैर-जाट वोटर का संतुलन है, और जातिगत समीकरण हमेशा से ही हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। मेवा सिंह की पकड़ जाट वोटरों पर अच्छी मानी जाती है, जबकि नायब सिंह सैनी गैर-जाट वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेंगे।
हरियाणा के लाडवा विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प और कड़ा होने वाला है। एक तरफ कांग्रेस के मेवा सिंह हैं, जिन्होंने पहले भी इस सीट पर जीत दर्ज की है, और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी हैं, जो बीजेपी की ओर से एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में सामने आए हैं। इस बार लाडवा की जनता किसे चुनती है, यह देखना बेहद रोचक होगा।