Haryana Vidhansabha Election Date: हरियाणा विधानसभा के चुनावों की तारीख, जो कि एक अक्टूबर 2024 को निर्धारित की गई है, को लेकर एक बार फिर चर्चा गर्म हो गई है। चुनाव आयोग ने इस तारीख की घोषणा की थी, लेकिन अब इस पर पुनर्विचार की संभावना है। यह स्पष्ट हो चुका है कि इस मामले में अंतिम निर्णय मंगलवार, 27 अगस्त 2024 को लिया जाएगा।
डेट बदलने की मांग और उसके पीछे की वजहें
हरियाणा बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने 24 अगस्त 2024 को चुनाव आयोग को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने वोटिंग की तारीख को बदलने की मांग की। इस पत्र में उन्होंने मुख्यतः लंबी छुट्टियों के कारण संभावित कम मतदान के आधार को सामने रखा है।
लंबी छुट्टियों का असर: 28 और 29 सितंबर को शनिवार और रविवार की छुट्टियाँ हैं। 1 अक्टूबर को मतदान है, और इसके बाद 2 अक्टूबर को गांधी जयंती तथा 3 अक्टूबर को अग्रसेन जयंती की छुट्टी है। इस कारण लोग 30 सितंबर को एक दिन की छुट्टी लेकर लंबी छुट्टी का लाभ उठा सकते हैं, जिससे मतदान की संख्या में कमी आ सकती है।
धार्मिक आयोजनों का प्रभाव: 2 अक्टूबर को राजस्थान के मुकाम धाम में आसोज का मेला शुरू होगा। यह बिश्नोई समाज का बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और दिल्ली के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। इस मेले के कारण भी हरियाणा में वोटिंग टर्नआउट पर असर पड़ सकता है।
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अन्य संगठनों की भी मांग Haryana Vidhansabha Election Date
हरियाणा बीजेपी के साथ ही अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा और आईएलएलडी के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर चुनाव की तारीख को बदलने की अपील की है। उनका तर्क है कि लंबी छुट्टियों और धार्मिक आयोजनों के कारण शहरी मतदाता मतदान के दिन कहीं और जा सकते हैं, जिससे मतदान प्रतिशत कम हो सकता है।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
इस संबंध में हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) पंकज अग्रवाल ने बताया कि सभी अनुरोधों को चुनाव आयोग को भेज दिया गया है और अंतिम निर्णय आयोग ही करेगा। मंगलवार, 27 अगस्त 2024 को इस पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है, जिसमें इस मामले पर निर्णय लिया जाएगा।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि अगर चुनाव की तारीख में बदलाव किया जाएगा तो इसे जल्द ही घोषित करना होगा ताकि चुनावी प्रक्रिया पर इसका असर न पड़े। इस प्रक्रिया में कई चीजें शामिल हैं, जैसे कि नई तारीख की घोषणा, मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण, और चुनावी कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति।
जम्मू-कश्मीर चुनावों पर असर
अगर हरियाणा के चुनावों की तारीख में बदलाव किया गया तो इसका प्रभाव जम्मू-कश्मीर के तीसरे चरण के चुनावों पर भी पड़ सकता है, जो कि 1 अक्टूबर को ही होने वाले हैं। चुनाव आयोग को यह भी देखना होगा कि अगर हरियाणा के चुनावों को आगे खिसकाया गया तो क्या जम्मू-कश्मीर के तीसरे चरण के लिए भी तारीख बदली जाएगी।
यदि हरियाणा का चुनाव 1 अक्टूबर से आगे बढ़ाया जाता है, तो 4 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा के तीसरे चरण के लिए पड़े वोटों की गिनती में देरी हो सकती है। इस गिनती के परिणामों का असर हरियाणा के चुनावों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि राष्ट्रीय और राज्यीय राजनीति के बीच गहरे संबंध होते हैं।
संभावित परिणाम और प्रभाव
अगर चुनाव आयोग 1 अक्टूबर की तारीख में बदलाव करने का फैसला करता है, तो इससे कई राजनीतिक और प्रशासनिक पहलुओं पर प्रभाव पड़ सकता है।
चुनावी तैयारियों पर असर: चुनाव की तारीख में बदलाव से राजनीतिक दलों को अपनी चुनावी तैयारियों में बदलाव करना पड़ सकता है। उन्हें अपने प्रचार अभियान को नए सिरे से संगठित करना होगा और मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाने के लिए नए तरीके अपनाने होंगे।
मतदाता जागरूकता अभियान: चुनाव आयोग को नए मतदान की तारीख की घोषणा के बाद मतदाता जागरूकता अभियान को फिर से शुरू करना होगा। यह आवश्यक है कि मतदाताओं को नए तारीख के बारे में सूचित किया जाए और उन्हें मतदान के महत्व को समझाया जाए।
चुनावी कर्मचारी और सुरक्षा बलों की तैनाती: चुनावी तारीख में बदलाव से चुनावी कर्मचारी और सुरक्षा बलों की तैनाती में भी बदलाव आएगा। नए तारीख के हिसाब से इन्हें फिर से नियुक्त किया जाएगा और आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
राजनीतिक पार्टियों की रणनीति: राजनीतिक दलों को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। वे नए तारीख के हिसाब से अपने अभियान को फिर से योजनाबद्ध करेंगे और मतदाताओं को लुभाने के लिए नए तरीके अपनाएंगे।
मतदान प्रतिशत पर प्रभाव: अगर चुनाव की तारीख बदलती है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इससे मतदान प्रतिशत पर कोई असर पड़ता है। लंबी छुट्टियों के कारण कम मतदान की संभावना को देखते हुए, अगर तारीख बदली जाती है तो अधिक संख्या में मतदाता मतदान कर सकते हैं।