Haryana Vidhansabha Election 2024: हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के संभावित गठबंधन को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। हाल ही में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठा। इस बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गठबंधन को लेकर सुझाव दिया और संकेत दिए कि आगामी चुनावों में पार्टी को गठबंधन के साथ उतरने पर विचार करना चाहिए। उनके इस सुझाव पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रतिक्रिया दी और बताया कि AAP के साथ गठबंधन में क्या कठिनाइयां आ सकती हैं।
गठबंधन पर राहुल गांधी की चिंताएँ
राहुल गांधी ने बैठक के दौरान सवाल उठाया कि क्या अकेले चुनाव लड़ने से पार्टी को नुकसान नहीं होगा? क्या गठबंधन की कोई संभावना बन सकती है? उन्होंने संकेत दिया कि गठबंधन का फायदा यह होगा कि विपक्षी वोटों का बंटवारा नहीं होगा, जिससे भाजपा के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनाया जा सकेगा। यह विचार महत्वपूर्ण है क्योंकि विपक्षी दलों का वोट बंट जाने से भाजपा को फायदा मिल सकता है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा की प्रतिक्रिया | Haryana Vidhansabha Election 2024
राहुल गांधी के इस सुझाव का जवाब देते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि AAP ज्यादा सीटों की मांग कर रही है, जो कांग्रेस के लिए स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि AAP को 3-4 सीटें दी जा सकती हैं, लेकिन उनकी ख्वाहिश इससे कहीं ज्यादा है, जिसके चलते गठबंधन कर पाना मुश्किल है। हुड्डा का यह बयान स्पष्ट रूप से बताता है कि कांग्रेस और AAP के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद हैं।
गठबंधन को लेकर नेताओं के विचार | Haryana Vidhansabha Election 2024
गठबंधन को लेकर कांग्रेस और AAP के बीच मतभेद केवल हरियाणा तक ही सीमित नहीं हैं। कांग्रेस और AAP के कई नेता पहले ही सार्वजनिक रूप से गठबंधन की संभावनाओं को नकार चुके हैं। हरियाणा में कांग्रेस के नेता इस समय राज्य में पार्टी की स्थिति को मजबूत मानते हैं और उनका विश्वास है कि कांग्रेस अकेले दम पर चुनाव लड़ने में सक्षम है।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा ने भी इस संदर्भ में बयान दिया था कि कांग्रेस राज्य में एक मजबूत खिलाड़ी है और उसे किसी गठबंधन की जरूरत नहीं है। वहीं, AAP के प्रमुख नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी हरियाणा की सभी 90 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी गठबंधन के सवाल पर कहा था कि हरियाणा में AAP के साथ गठबंधन की संभावना नहीं है। उनका यह बयान भी कांग्रेस के आत्मविश्वास को दर्शाता है कि पार्टी अपने बलबूते पर चुनाव जीत सकती है।
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कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार
हरियाणा में कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले कुछ चुनावों में सुधरा है। 2024 के लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस ने 10 में से 5 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि AAP को मात्र 3.94% वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा था, जहां उसने 90 में से 31 सीटें जीतीं और उसका वोट शेयर 28.08% रहा। यह प्रदर्शन 2014 के चुनाव की तुलना में बेहतर था, जब पार्टी को सिर्फ 15 सीटें मिली थीं।
कांग्रेस के इस बेहतर प्रदर्शन ने पार्टी के अंदर आत्मविश्वास को बढ़ाया है कि वह अकेले चुनाव लड़कर भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। यह आत्मविश्वास ही पार्टी को गठबंधन से दूर रख रहा है, खासकर जब AAP जैसी पार्टी ज्यादा सीटों की मांग कर रही है।
गठबंधन की संभावना
हालांकि, राहुल गांधी ने यह स्पष्ट किया कि विपक्षी वोटों का बंटवारा रोकने के लिए गठबंधन की संभावना पर विचार करना जरूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर गठबंधन किया जा सकता है, तो उसे लेकर गंभीरता से सोचा जाना चाहिए। राहुल गांधी का यह बयान बताता है कि कांग्रेस के अंदर अब भी गठबंधन को लेकर विचार-विमर्श जारी है।
हरियाणा में कांग्रेस और AAP के बीच गठबंधन की संभावनाएं फिलहाल धूमिल नजर आ रही हैं। सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच गंभीर मतभेद हैं। हालांकि, राहुल गांधी जैसे नेता अब भी गठबंधन की संभावना पर विचार करने का सुझाव दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के भीतर से ही इसके खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। कांग्रेस का हालिया प्रदर्शन और आत्मविश्वास उसे अकेले चुनाव लड़ने की ओर प्रेरित कर रहा है, जबकि AAP भी अपनी मजबूत स्थिति के दम पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। इस सब के बावजूद, अंतिम फैसला आने वाले दिनों में राजनीतिक समीकरणों पर निर्भर करेगा।