Tuesday, September 17, 2024
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Haryana विधानसभा चुनाव में 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है आप, बिना गठबंधन के चुनाव के लड़ सकती है चुनाव

Haryana: हरियाणा विधानसभा चुनाव में राजनीतिक माहौल लगातार गर्माता जा रहा है, और इस बार आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने लिए एक नई रणनीति तैयार की है। जानकारी के अनुसार, आप हरियाणा विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने की योजना बना रही है। रविवार को पार्टी अपनी पहली सूची भी जारी कर सकती है। इस रणनीति के तहत, आम आदमी पार्टी 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है।

कांग्रेस-आप गठबंधन की संभावनाओं पर विराम

इससे पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही थी। हाल ही में कांग्रेस और आप के नेताओं के बीच चर्चा हुई, जिसमें हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए संभावित गठबंधन पर विचार किया गया। हालांकि, शुक्रवार को दोनों पार्टियों के बीच सीट-बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद से राजनीतिक हलकों में यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन संभवतः नहीं होगा। इस असहमति के बाद अब आप पार्टी ने खुद को चुनाव मैदान में अकेले उतारने का फैसला लिया है।

सीट बंटवारे को लेकर मतभेद | Haryana

आम आदमी पार्टी की ओर से हरियाणा में 10 सीटों की मांग की जा रही थी, लेकिन कांग्रेस इस पर सहमत नहीं हो सकी। कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के अनुसार, आप को 10 सीटें देना पार्टी के लिए मुनासिब नहीं था। वहीं, आम आदमी पार्टी को कांग्रेस का सीट बंटवारे का फॉर्मूला अस्वीकार्य लग रहा था। कांग्रेस के कई नेताओं ने भी आप के साथ गठबंधन पर आपत्ति जताई। सूत्रों के मुताबिक, भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाले गुट ने खास तौर पर आप के साथ गठबंधन का विरोध किया है।

कांग्रेस के इन नेताओं का मानना है कि हरियाणा में आप का जनाधार बहुत कमजोर है, और इसके कारण कांग्रेस के लिए गठबंधन फायदेमंद नहीं हो सकता। वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता अपनी पार्टी की उपस्थिति और प्रभाव को हरियाणा में मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं, और उनका मानना है कि पार्टी को अकेले चुनाव लड़ने पर बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।

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लोकसभा चुनाव में गठबंधन का अनुभव

हरियाणा में कांग्रेस और आप का गठबंधन नया नहीं है। हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। उस दौरान कांग्रेस ने राज्य की 10 लोकसभा सीटों में से 9 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जबकि आप के हिस्से में सिर्फ़ एक सीट, कुरुक्षेत्र आई थी। हालांकि, उस चुनाव में भी कांग्रेस और आप को विशेष सफलता नहीं मिली। यही कारण है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में आप ने 9:1 के फॉर्मूले के आधार पर 10 सीटों की मांग की थी, लेकिन कांग्रेस इसे लेकर सहमत नहीं हुई। इसके चलते सीट बंटवारे पर अड़चनें आ गईं।

आम आदमी पार्टी का प्लान बी

कांग्रेस के साथ गठबंधन के टूटने के बाद, आम आदमी पार्टी ने अपने प्लान बी पर काम करना शुरू कर दिया है। आप पार्टी के सूत्रों का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस के कई बागी नेता आप के संपर्क में हैं। यह नेता अपनी वर्तमान पार्टी से असंतुष्ट हैं और आम आदमी पार्टी से जुड़ने के इच्छुक हैं। पार्टी इन नेताओं को टिकट देकर चुनाव में एक नई दिशा में आगे बढ़ने की योजना बना रही है। यह रणनीति आप के लिए एक महत्वपूर्ण मौका हो सकती है, क्योंकि यह उन नेताओं को अपने साथ जोड़ सकती है जो पहले से ही हरियाणा की राजनीति में प्रभावी हैं।

भाजपा की प्रतिक्रिया

हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन को लेकर राजनीतिक चर्चाओं के बीच भाजपा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा नेता शाहजाद पूनावाला ने कांग्रेस-आप गठबंधन पर तीखा निशाना साधा। उन्होंने कहा, “INDI गठबंधन के पास कोई मिशन और विजन नहीं है। उनके पास सिर्फ़ अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं। वे अपने भ्रष्टाचार को बचाने के लिए गठबंधन बनाते हैं, लेकिन ये गठबंधन ज़्यादा समय तक नहीं टिकते।” पूनावाला ने यह भी कहा कि कांग्रेस और आप का गठबंधन हरियाणा में उनकी राजनीतिक हताशा को दर्शाता है।

पूनावाला ने पंजाब और दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य का उदाहरण देते हुए कहा कि इन दोनों राज्यों में भी कांग्रेस और आप एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। दिल्ली में जहां पहले दोनों पार्टियां एक साथ थीं, वहीं अब हरियाणा में दोनों के बीच ‘कभी हां और कभी ना’ की स्थिति बनी हुई है। पूनावाला के मुताबिक, हरियाणा में इन पार्टियों का गठबंधन उनके इस डर को दर्शाता है कि अगर वे अकेले चुनाव लड़ेंगी, तो जनता का समर्थन उन्हें नहीं मिलेगा।

चुनावी मैदान की स्थिति

हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं, जिनके लिए चुनावी मुकाबला होगा। आप पार्टी की योजना 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने की है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि पार्टी का लक्ष्य इस बार बड़ी भूमिका निभाने का है। हालांकि, कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने के कारण आप को एक कठिन संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन पार्टी की नई रणनीति उसे एक मौका दे सकती है।

वहीं, भाजपा भी हरियाणा में अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी हुई है। राज्य में भाजपा की सरकार पहले से ही है, और पार्टी इस बार भी जीत के लिए पूरा जोर लगाएगी। आप के अकेले चुनाव लड़ने से चुनावी मैदान और अधिक दिलचस्प हो गया है, क्योंकि अब तीन प्रमुख पार्टियां—कांग्रेस, भाजपा और आप—मुकाबले में होंगी।

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए आम आदमी पार्टी का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला एक बड़ा राजनीतिक मोड़ साबित हो सकता है। कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने की स्थिति में पार्टी ने खुद को चुनाव मैदान में उतारने की पूरी तैयारी कर ली है। अब देखना यह होगा कि क्या आप अपनी इस नई रणनीति के जरिए हरियाणा में अपनी जड़ें मजबूत कर पाएगी या नहीं। दूसरी ओर, भाजपा और कांग्रेस भी पूरी तैयारी के साथ चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं, जिससे हरियाणा की राजनीति में एक दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना है।

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