Haryana Political Crisis : देश में बढ़ती गर्मी के बीच हरियाणा में एक बार फिर से राजनीती मौसम गरमाया हुआ है। आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले हरियाणा में भाजपा सरकार को बड़ा झटका लगा है। मौजूदा सरकार में भाजपा से समर्थन कर रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस लेते हुए कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। इन तीनों विधायकों के कांग्रेस के समर्थन में आने के बाद हरियाणा में सैनी सरकार सवाल उठ रहा है। क्या हरियाणा में बीजेपी की सैनी सरकार जीर्णे के कगार पर है? हरियाणा विधानसभा में फिलहाल 90 सीट में से सिर्फ 88 पर ही विधायक है। जिसमे 40 एमएलए और भाजपा के, 30 कांग्रेस, 10 जजपा, एक इनेलो और एक हरियाणा लोकहित पार्टी से विधायक हैं।
हाल ही में सीएम बने हैं नायाब सिंह सैनी
करनाल विधानसभी सीट पर उपचुनाव होने हैं, क्योंकि पूर्व सीएम मनोहर लाल ने इस्तीफा देकर यह सीट मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के चुनाव लड़ने के लिए खाली की थी। दूसरी तरफ निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला भाजपा में शामिल हो चुके हैं और अपने विधायकी से इस्तीफा दे चुके थे। हरियाणा में सरकार बनाने के लिए 88 सीट में बहुमत के लिए भाजपा को 45 सीट चाहिए। मौजूदा समय में बीजेपी के पास कुल 43 विधायक ही है, जिनमें 40 एमएलए और भाजपा के खुद के हैं दो निर्दलीय और एक हलोपा के एमएलए के विधायक है। कुल मिला कर फिलहाल सैनी सरकार के पास केवल 43 विधायक ही है। दो विधायक काम हो जाने के कारण मौजूदा सरकार अल्पमत में आ चुके है और जिससे सैनी सरकार के गिरने का कयाश लगाया जा रहा है।
तीन निर्दलिय विधायकों ने दिया इस्तीफा
मंगलवार को तीनों विधायक रोहतक पहुंचे और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान की मौजूदगी में प्रेस से बातचीत किया। कांग्रेस के समर्थन का ऐलान करने वाले 3 विधायक ये है , निर्दलीय विधायक दादरी से सोमबीर सांगवान, पूंडरी से रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंधर हरियाणा सरकार के मीडिया सचिव प्रवीन आत्रेय ने दावा किया है कि आज भी सरकार के पास 47 विधायकों का समर्थन है। आगे उन्होंने कहा की कांग्रेस केवल लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है, जनता को हकीकत पता है। कांग्रेस कानूनन सरकार के विरुद्ध छह महीन तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकता है, क्योंकि मार्च 2024 में ही कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर उनकी किरकिरी हो चुकी है।
विपक्ष ने की फ्लोर टेस्ट की मांग
हरियाणा विधानसभा के पूर्व अतिरिक्त सचिव राम नारायण यादव ने सचिन प्रवीण के कथन पर पलटवार करते हुए कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है, छह माह से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। यह केवल एक धारणा है, क्योंकि विधानसभा का सत्र छह माह में बुलाने का नियम है। अविश्वास प्रस्ताव सत्र के दौरान ही लाया जा सकता है, जबकि विश्वास मत हासिल करने के लिए राज्यपाल कभी भी कह सकते हैं। इसके लिए विपक्ष को राज्यपाल के पास जाकर बताना होता है कि उनके पास बहुमत है। अगर राज्यपाल संतुष्ट होते हैं तो वह सरकार को विश्वास मत हासिल करने के लिए कह सकते हैं और समय भी तय कर सकते हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता नायब सिंह सैनी से जब उन तीन निर्दलीय विधायक के कांग्रेस में जाने की बात पूछी गई तो उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकारी मिली है। विधायकों की कुछ अपनी इच्छाएं होती है। कांग्रेस कुछ लोगों की इच्छाओं को पूरा करने में लगी हुई है। अब कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से कोई लेना-देना नहीं है।