Haryana Assembly Elections : हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार ने पार्टी के अंदर ही सवालों को जन्म दे दिया है। चुनाव परिणामों ने कांग्रेस नेताओं को चौंका दिया, और अब वे हार के कारणों की गहन समीक्षा में जुट गए हैं। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और हरियाणा में कांग्रेस के पर्यवेक्षक रहे अशोक गहलोत ने इस हार पर गहरा असंतोष व्यक्त किया है। गहलोत ने माना कि चुनाव परिणाम कांग्रेस के अनुमान से विपरीत रहे और इसके कारणों में गुटबाजी प्रमुख कारण हो सकती है।
गहलोत ने शुक्रवार को एबीपी न्यूज़ से बातचीत में यह भी स्वीकार किया कि कांग्रेस नेताओं ने व्यक्तिगत हितों को पार्टी हित से ऊपर रखा, जो हार का एक प्रमुख कारण बन सकता है। गहलोत ने पार्टी नेताओं के बर्ताव की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस को एकजुटता के साथ चुनाव लड़ना चाहिए था, लेकिन गुटबाजी ने पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया।
गठबंधन का मुद्दा
चर्चा के दौरान गहलोत ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस का आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन हो जाता, तो चुनाव में बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते थे। उन्होंने माना कि गठबंधन के अभाव में विपक्षी मतों का विभाजन हुआ, जो बीजेपी के पक्ष में गया।
महाराष्ट्र पर पड़ेगा असर?
गहलोत का मानना है कि हरियाणा में कांग्रेस की हार का असर महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी के कार्यकर्ता और नेता एकजुट होकर काम करेंगे, जिससे परिस्थितियां बदल सकती हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी को संगठनात्मक रूप से सुदृढ़ करने की जरूरत है ताकि हरियाणा जैसी स्थिति दोबारा न हो।
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पार्टी की बैठक और राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने हार के कारणों की जांच के लिए एक समीक्षा बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने विचार-विमर्श किया। गहलोत ने बताया कि राहुल गांधी ने भी इस बात पर सहमति जताई कि पार्टी को चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। राहुल गांधी ने नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को पार्टी हित से ऊपर रखना अस्वीकार्य है।
हरियाणा में जाट बनाम गैर-जाट राजनीति
गहलोत ने बताया कि हरियाणा की राजनीति में जाट बनाम गैर-जाट का मुद्दा एक बार फिर उभर कर सामने आया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने यह प्रचार किया कि जाटों की सरकार बनने से अन्य समुदायों के हित प्रभावित होंगे। इसका फायदा बीजेपी को मिला, जिससे चुनावी परिणामों में बीजेपी की बढ़त रही। गहलोत ने यह भी स्वीकार किया कि कांग्रेस के अंदरूनी संघर्ष जैसे कि हुड्डा बनाम सैलजा की गुटबाजी ने भी पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित किया।
चर्चा के अन्य प्रमुख बिंदु
बैठक में कांग्रेस के दलित वोटों के खिसकने और ईवीएम के संभावित प्रभाव पर भी चर्चा हुई। गहलोत ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि हार के कई संभावित कारणों में से यह भी एक कारण हो सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के पास चुनाव जीतने की पूरी संभावना थी, लेकिन गुटबाजी और आंतरिक मतभेदों ने जीत को हार में बदल दिया।