Friday, November 22, 2024
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Haryana : हरियाणा विधानसभा चुनाव में जेजेपी के सामने कई चुनौतियाँ, क्या करेगी पार्टी ?

Haryana :हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी (JJP) के सामने कई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं, जिनका असर पार्टी की भविष्य की राजनीति पर गहरा हो सकता है। 2019 के चुनाव में धमाकेदार प्रदर्शन करने और किंगमेकर की भूमिका निभाने वाली इस पार्टी को इस बार अंदरूनी उठापटक और भगदड़ का सामना करना पड़ रहा है। दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व में 10 सीटें जीतने वाली JJP को तब भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने का मौका मिला, लेकिन आज परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं।

जेजेपी का सियासी सफर: 2019 से 2024 तक

2019 के विधानसभा चुनाव में JJP ने 14.9% वोट हासिल कर 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस जीत ने पार्टी को हरियाणा की राजनीति में एक अहम स्थान दिलाया। भाजपा के साथ गठबंधन करके दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम का पद मिला, जिससे पार्टी की स्थिति और मजबूत हुई। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में JJP को बड़ा झटका लगा, जब उसके सभी प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके और महज 0.87% वोट हासिल कर पाए। इससे पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट आई और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए चुनौतियाँ बढ़ गईं।

विधायकों की बगावत: उठापटक की शुरुआत | Haryana

हरियाणा विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही JJP के पांच विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है। इनमें गुहला चीका से विधायक ईश्वर सिंह, पूर्व पंचायत मंत्री और टोहाना के विधायक देवेंदर बबली, उकलाना से अनूप धानक, शाहाबाद से राम करण काला, और बरवाला से जोगी राम सिहाग शामिल हैं। इनमें से रामकरण काला ने तो दिल्ली में कांग्रेस का दामन भी थाम लिया। इस प्रकार के इस्तीफों ने पार्टी में उठापटक की स्थिति पैदा कर दी है।

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गठबंधन टूटने का असर | Haryana

भाजपा द्वारा हरियाणा में मुख्यमंत्री पद से मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नया सीएम बनाने के बाद गठबंधन की स्थिति कमजोर हो गई। भाजपा ने नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया और JJP को दरकिनार करते हुए अकेले सरकार बनाई। इस फैसले से JJP के अंदर असंतोष पनपने लगा और कई विधायकों ने खुलेआम भाजपा को समर्थन देने की बात कही। गठबंधन टूटने के बाद JJP में भगदड़ मच गई और पार्टी के अस्तित्व पर सवाल उठने लगे।

दुष्यंत चौटाला की चुनौती

JJP से विधायकों के इस्तीफों के बावजूद दुष्यंत चौटाला ने कहा कि पार्टी ने हमेशा विधायकों को पूरा मान-सम्मान दिया है और JJP से ज्यादा सम्मान उन्हें कहीं और नहीं मिलेगा। लेकिन उनके इस दावे के बावजूद पार्टी के कई विधायक असंतुष्ट नजर आ रहे हैं और दूसरी पार्टियों का रुख कर रहे हैं। इससे JJP की स्थिति कमजोर हो गई है और दुष्यंत चौटाला के सामने पार्टी को एकजुट रखने की बड़ी चुनौती है।

राजनीतिक विश्लेषण

हरियाणा की राजनीति में JJP के सामने आने वाली इन चुनौतियों का असर आने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। 2019 में जिस पार्टी ने किंगमेकर की भूमिका निभाई थी, आज वह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। विधायकों के इस्तीफों से पार्टी की आंतरिक संरचना में कमजोरी साफ नजर आ रही है। इसके अलावा, भाजपा और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों के सामने JJP का सामना कठिन हो सकता है, क्योंकि इन पार्टियों के पास पहले से ही मजबूत आधार है।

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