Friday, September 20, 2024
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Haryana Assembly Elections 2024 : हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार क्या हैं चुनावी मुद्दे और जातिय समीकरण

Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा की राजनीति में आगामी विधानसभा चुनाव का महत्त्व बहुत बढ़ गया है, खासकर हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों और चुनौतियों को देखते हुए। हरियाणा में 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे, और 4 अक्टूबर को चुनाव परिणाम सामने आएंगे, जिससे यह पता चलेगा कि किसके हाथों में हरियाणा की सत्ता की चाबी दी जाएगी।

हरियाणा की राजनीतिक समीकरण 

हरियाणा, जो आकार और आबादी में छोटा राज्य है, देश की राजनीति और खेल दोनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हरियाणा की राजनीति दशकों से तीन चर्चित नेताओं—बंसीलाल, देवीलाल, और भजनलाल—के इर्दगिर्द घूमती रही है। हालांकि, 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर के चलते भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्य में बहुमत हासिल किया, और मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया। खट्टर को चौथे ‘लाल’ के रूप में माना जाता है, जिन्होंने राज्य की राजनीतिक दिशा को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हरियाणा के पिछले चुनाव परिणाम | Haryana Assembly Elections 2024

2014 के विधानसभा चुनाव में देवीलाल परिवार की पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD), ने 19 सीटें जीतकर कांग्रेस (15 सीटें) को पीछे छोड़ दिया था। लेकिन 2019 के चुनावों तक सब कुछ बदल गया। देवीलाल परिवार में विभाजन के बाद, जननायक जनता पार्टी (JJP) का गठन हुआ, और INLD में भगदड़ मच गई, जिससे कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल बन गई। 2024 के लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस ने 10 में से 5 सीटें जीतीं और 46 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की, जबकि BJP को 44 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली।

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चुनावी मुद्दे और चुनौतियां 

हालांकि कांग्रेस को हाल के लोकसभा चुनावों में बढ़त मिली, यह याद रखना जरूरी है कि हर चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं। 2019 के चुनाव में BJP ने सभी 10 लोकसभा सीटें जीतीं, लेकिन विधानसभा चुनावों में बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई। 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले, मनोहर लाल खट्टर ने इस्तीफा दे दिया, और नायब सिंह सैनी नए मुख्यमंत्री बने, जिससे राजनीतिक परिदृश्य बदल गया। JJP के साथ BJP का गठबंधन भी टूट गया, जिससे चुनावी परिणामों पर अप्रत्याशित प्रभाव पड़ सकता है।

कांग्रेस में अंतर्कलह | Haryana Assembly Elections 2024

चुनाव से पहले पार्टी में होने वाले पाला-बदल का लाभ BJP और कांग्रेस दोनों को हुआ है। लेकिन कांग्रेस में दस साल पहले जो अंतर्कलह थी, वह अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष और उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर आलाकमान ने हुड्डा को ‘फ्री हैंड’ का संदेश दिया है। हालांकि, कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे नेताओं के पास अभी भी आलाकमान तक सीधी पहुंच है।

सैलजा ने विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत देकर साफ कर दिया है कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। इस बार भी कांग्रेस द्वारा किसी को ‘सीएम फेस’ घोषित करने के आसार कम हैं, लेकिन भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा की ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ यात्रा और सैलजा की यात्रा ने कांग्रेस में खेमेबाजी को और उजागर कर दिया है।

अन्य दलों की भूमिका

BJP और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर के आसार का मतलब यह नहीं कि अन्य दल चुनाव को प्रभावित नहीं करेंगे। आम आदमी पार्टी (AAP), जो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन में थी, विधानसभा चुनाव अलग से लड़ रही है। INLD ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ गठबंधन किया है, और JJP भी चुनाव मैदान में उतरेगी। बहुकोणीय मुकाबला BJP के लिए अनुकूल हो सकता है, क्योंकि सत्ता विरोधी वोट बंट जाएंगे।

अहम चुनावी मुद्दे

हरियाणा के आगामी विधानसभा चुनाव में तीन प्रमुख मुद्दे होंगे: किसान आंदोलन, महिला पहलवानों का आंदोलन, और ‘अग्निपथ’ योजना। हरियाणा में बेरोजगारी की उच्च दर लंबे समय से चर्चा का विषय है, और कांग्रेस इन मुद्दों को चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकती है। बीजेपी को इन मुद्दों से निपटने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने होंगे, लेकिन यह देखने वाली बात होगी कि क्या ये प्रयास जनता का मन बदल पाएंगे।

हरियाणा के आगामी विधानसभा चुनावों का परिणाम न केवल राज्य की राजनीतिक दिशा को तय करेगा बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी इसका असर पड़ेगा। BJP और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर, JJP, INLD, और AAP जैसी पार्टियों की भूमिका, और चुनावी मुद्दे—ये सभी तत्व इस चुनाव को बेहद दिलचस्प और अनिश्चित बनाते हैं। चुनावी रणनीतियों, अंतर्कलह, और राजनीतिक गठबंधनों का असर चुनाव परिणामों पर साफ दिखेगा।

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