Haryana Aam Aadmi Party 2nd List: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर आम आदमी पार्टी (आप) ने मंगलवार को अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की। इस सूची में नौ उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नाम प्रवेश मेहता, मुख्तियार सिंह बाजीगर और प्रोफेसर छत्रपाल सिंह हैं। खास बात यह है कि प्रोफेसर छत्रपाल सिंह ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से इस्तीफा दिया था और अब आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरने का निर्णय लिया है।
छत्रपाल सिंह एक अनुभवी नेता की आप में वापसी
प्रोफेसर छत्रपाल सिंह हरियाणा की राजनीति में एक जाना-माना नाम हैं। वे उन गिने-चुने नेताओं में से हैं जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर में हरियाणा के कद्दावर नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल को चुनावी मैदान में हराया है। वर्ष 1991 में, छत्रपाल सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में हिसार जिले के घिराय विधानसभा क्षेत्र से देवीलाल को हराकर एक बड़ी जीत दर्ज की थी। उस समय देवीलाल हरियाणा की राजनीति में अपराजेय माने जाते थे, लेकिन छत्रपाल सिंह ने उन्हें हराकर अपनी काबिलियत का परिचय दिया था।
छत्रपाल सिंह का बीजेपी से इस्तीफा उनकी पार्टी में अनदेखी का परिणाम बताया जा रहा है। उनका कहना है कि बार-बार पार्टी नेतृत्व द्वारा नजरअंदाज किए जाने से उनके समर्थकों में निराशा थी, जिसके चलते उन्होंने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया। आम आदमी पार्टी में शामिल होकर उन्होंने एक बार फिर से राजनीतिक सक्रियता दिखाने की मंशा जाहिर की है।
आम आदमी पार्टी की चुनावी रणनीति | Haryana Aam Aadmi Party 2nd List
आम आदमी पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी है। पार्टी का उद्देश्य राज्य में एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरना और सरकार बनाना है। आप हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने घोषणा की है कि पार्टी पूरे राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है और इसके लिए सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रही है। यह निर्णय पार्टी की राष्ट्रीय विस्तार योजना का हिस्सा है, जिसमें आम आदमी पार्टी अब सिर्फ दिल्ली और पंजाब तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि हरियाणा जैसे प्रमुख राज्यों में भी अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने की कोशिश कर रही है।
दूसरी सूची में शामिल अन्य प्रमुख उम्मीदवारों में कृष्ण बजाज (थानेसर) और जवाहर लाल (बावल) का नाम शामिल है। कृष्ण बजाज पूर्व में बीजेपी के सदस्य रह चुके हैं, जबकि जवाहर लाल कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि आम आदमी पार्टी ने विभिन्न दलों के नेताओं को अपने पाले में लाकर हरियाणा में एक नया समीकरण तैयार करने का प्रयास किया है।
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कांग्रेस के साथ गठबंधन एक अधूरी कोशिश
आम आदमी पार्टी की पहली और दूसरी सूची जारी होने के बाद राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठने लगा है कि क्या कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की संभावनाएं पूरी तरह खत्म हो गई हैं? हालांकि, कांग्रेस की ओर से अब भी गठबंधन की संभावना को खत्म नहीं किया गया है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि आम आदमी पार्टी का लिस्ट जारी करना एकतरफा निर्णय है, लेकिन इससे गठबंधन की बातचीत खत्म नहीं हुई है।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी दीपक बावरिया की तबीयत खराब होने के चलते बातचीत में रुकावट आई है। इसके बावजूद, कांग्रेस नेतृत्व ने यह स्पष्ट किया है कि विपक्षी एकता और बीजेपी को हराने के लिए गठबंधन की जरूरत है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने खुद इस दिशा में पहल की थी, ताकि बीजेपी विरोधी वोटों को एकजुट किया जा सके।
कांग्रेस का मानना है कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी की ताकत अपेक्षाकृत कम है, इसलिए कांग्रेस कुछ सीटों को आप के साथ बांटने को तैयार थी। लेकिन आप द्वारा लगातार उम्मीदवारों की सूची जारी करने से यह संकेत मिलता है कि पार्टी ने अपने स्तर पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अगर आप गठबंधन की जगह चुनावी मैदान में अकेले उतरने का निर्णय करती है, तो यह बीजेपी विरोधी वोटों को बांटने वाला फैसला होगा, जो अंततः बीजेपी के पक्ष में जा सकता है।
क्या गठबंधन संभव है?
आम आदमी पार्टी के इस निर्णय के बावजूद, कांग्रेस अब भी गठबंधन की संभावनाओं को खत्म नहीं मान रही है। पार्टी का कहना है कि गठबंधन की गुंजाइश बनी हुई है और अंतिम निर्णय अभी बाकी है। कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं का यह भी मानना है कि हरियाणा जैसे राज्य में विपक्षी एकता के बिना बीजेपी को हराना मुश्किल हो सकता है। इसके साथ ही, राज्य की क्षेत्रीय पार्टियों और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए गठबंधन की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है।
वहीं, आम आदमी पार्टी के भीतर यह विश्वास है कि पार्टी ने पिछले कुछ वर्षों में राज्य में अपनी जड़ें मजबूत की हैं और दिल्ली तथा पंजाब में अपनी सरकारों की सफलता के आधार पर वह हरियाणा में भी मजबूत विकल्प बन सकती है। पार्टी की रणनीति है कि वह सभी सीटों पर चुनाव लड़े और जितना अधिक संभव हो उतने विधायकों को जीताकर राज्य में एक निर्णायक भूमिका निभाए।
आप के अकेले चुनाव लड़ने के परिणाम
अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं होता है और आप अकेले चुनाव लड़ती है, तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है। हरियाणा की राजनीति में जातीय समीकरणों और क्षेत्रीय मुद्दों का गहरा प्रभाव है, और बीजेपी विरोधी वोटों का विभाजन उसकी जीत की संभावनाओं को मजबूत कर सकता है। ऐसे में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन का न होना राज्य में विपक्षी दलों की जीत की संभावनाओं को कमजोर कर सकता है।
कांग्रेस के नेताओं का भी यह मानना है कि अगर विपक्ष एकजुट नहीं हुआ, तो यह राज्य में बीजेपी की सत्ता में वापसी का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। यही कारण है कि राहुल गांधी समेत अन्य कांग्रेस नेता लगातार विपक्षी दलों के साथ गठबंधन की बात कर रहे हैं, ताकि एक व्यापक मोर्चा बनाकर बीजेपी को चुनौती दी जा सके।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में आम आदमी पार्टी की रणनीति और कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाएं राज्य की राजनीति को एक नए मोड़ पर ले जा रही हैं। जहां एक तरफ आम आदमी पार्टी ने राज्य की सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है, वहीं कांग्रेस अब भी गठबंधन की गुंजाइश बनाए हुए है। अगर दोनों दलों के बीच गठबंधन होता है, तो यह राज्य में बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत चुनौती पेश कर सकता है। लेकिन अगर गठबंधन नहीं होता है, तो विपक्षी वोटों का विभाजन निश्चित रूप से बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है।