Happy Diwali 2024: हिन्दु धर्म में दीपावली का त्यौहार मुख्य वार्षिक त्यौहारों में से एक होता है। ये एकमात्र ऐसा त्यौहार है जिसमें लगभग एक हफ्ते तक रौनक देखने को मिलती है। दीपावली शब्द का अर्थ है दीप और आवली। दीप का अर्थ है दीपक और आवली का अर्थ है पंक्ति। दीपावली के त्यौहार में चारों ओर दीपक और रोशनी देखने को मिलती है, इसीलिए इसे रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में ये त्यौहार बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। बाजारों में रौनक देखने को मिलती है। सभी अपने घरों में दीपक जलाते हैं। ये त्यौहार सभी धर्मो के लोग मनाते हैं। सभी एक दूसरे के घर मिठाई देने जाते हैं और दीपावली की शुभकमनाएं देते हैं।
क्यों मनाई जाती है दीपावली? | diwali kyon manaya jata hai
दीपावली कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है।
इस वर्ष कब मनाई जाएगी दीपावली? | Happy Diwali 2024:
इस वर्ष दीपावली को लेकर थोङी दुविधा बनी हुई है। हिन्दु पंचांग के अनुसार इस वर्ष दीपावली 31 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार को शाम के 4 बजे से शुरु होकर 1 नवंबर 2024 दिन शुक्रवार को शाम के 5 बजकर 30 मिनट तक मनाई जाएगी।
इसके अनुसार गणेश-लक्ष्मी पूजन 31 अक्टूबर की रात को किया जाएगा।
क्यों मनाई जाती है दीपावली? | diwali kyon manaya jata hai
दीपावली का त्यौहार मनाने का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। भगवान राम को उनके राज्याभिषेक वाले दिन 14 वर्षों का वनवास मिला था। उनके वनवास में उनके साथ माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण भी साथ गए थे। जब भगवान राम माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापिस लौटे थे तब अयोध्यावासियों ने पूरी अयोध्या में दीये जलाकर उनका स्वागत किया था।
बताया जाता है कि जब भगवान राम अयोध्या लौटे थे तब पूरी अयोध्या में केवल दीपक ही दीपक जल रहे थे। चारों ओर इतनी रोशनी थी कि अयोध्या नगरी किसी नई दुल्हन की तरह सजी लग रही थी।
दीपावली की पूजा कैसे की जाती है?
दीपावली के दिन रात को हिंदु पंचांग के अनुसार उचित मुहूर्त में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जिसमें पूजा के लिए लकङी की चौकी का उपयोग किया जाता है। लकङी की चौकी को साफ करके उसपर साफ लाल कपङा बिछाया जाता है। दीपावली के दिन सभी लोग गणेश-लक्ष्मी की नई मूर्ति खरीदकर लाते हैं। चौकी पर दोनों मूर्तियों को स्थापित किया जाता है। दायीं ओर सरसों के तेल का दीया जलाया जाता है ओर बायीं ओर देशी घी का दीया जलाय़ा जाता है।
चौकी पर खील और खिलौने बिछाए जाते हैं और साथ ही चाँदी के किसी आभूषण या सिक्के को भी रखा जाता है। भगवान गणेश को लड्डू और माता लक्ष्मी को सफेद बर्फी का भोग लगाया जाता है। उसके बाद भगवान गणेश की आरती की जाती है और उनसे अपने पूरे परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
दीपावली त्यौहार का महत्व
दीपावली मुख्य रुप से अमावस्य़ा के दिन मनाई जाती है। इस दिन को बङी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। दीपावली से कुछ दिन पहले ही लोग अपने पूरे घर की साफ-सफाई करते हैं। घरों में लाइटें लगाते हैं और अलग-अलग तरह के सजावट के सामान से घर सजाते हैं। मुख्य दीपावली के दिन सभी लोग अपने घरों में सरसों के तेल के दीय़े जलाते हैं। रात को सभी भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। पूजा के बाद उन्हें मिठाई का भोग लगाया जाता है। उसके बाद सभी लोग एक-दूसरे के घरों में जाकर सबको मिठाई देते हैं और साथ ही दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं भी देते हैं।
गणेश-लक्ष्मी के पूजन के साथ ही भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है। कुबेर भगवान धन और संपत्ति के देवता माने जाते हैं। हिन्दु धर्म के लोगों में ऐसी मान्यता है कि मुख्य दीपावली के दिन रात को पूजा के समय अपनी सभी संपत्ति और आभूषणों को रखना शुभ माना जाता है। इससे कुबेर भगवान की विशेष कृपा होती है और धन-धान्य में भी वृद्धि होती है। दीपावली की रात को ठीक 12 बजे माता श्रोती की भी पूजा की जाती है। जिन्हें माता लक्ष्मी का ही एक रुप माना जाता है।